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क्या सिक्स हिटर्स को तरजीह देने की वजह से कमज़ोर पड़ गई पंजाब की गेंदबाज़ी?

पंजाब किंग्स ने इस सीज़न सबसे ख़राब औसत के साथ गेंदबाज़ी की है

इस सीज़न में पंजाब किंग्स की गेंदबाज़ी अब तक बेअसर साबित हुई है  BCCI

आईपीएल में पंजाब किंग्स ने अब तक अनूठा खेल दिया है। इस सीज़न में पंजाब किंग्स की यात्रा अच्छे अंतरों से जीत, भारी अंतर से हार और अंतिम ओवर में क़रीबी अंतर से मिली हार के बीच रही है। गेंद और छक्कों के अनुपात के मामले में पंजाब किंग्स तीसरे नंबर पर है, डॉट गेंद प्रतिशत के मामले में भी वह तीसरे पायदान पर हैं, बैटिंग औसत के मामले में नीचे से दूसरे स्थान पर हैं। यह नीलामी के वक़्त ही तय हो गया था कि इस सीज़न पंजाब किंग्स की टीम की बल्लेबाज़ी में आक्रामकता झलकने वाली है। इस सीज़न में उन्होंने पांच दफ़ा 180 रनों से अधिक का टोटल खड़ा किया है, जबकि तीन बार वह एक पारी में 151 या उसके नीचे रहे हैं।

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पंजाब किंग्स के अलावा सिर्फ़ कोलकाता नाइट राइडर्स ही जोख़िम भरी बल्लेबाज़ी कर रहे हैं। हालांकि बल्लेबाज़ी में यह आक्रामकता काफ़ी सीज़न से उनकी पहचान रही है। दूसरी तरफ़ 18 महीने पहले पंजाब किंग्स के तत्कालीन कप्तान ने स्ट्राइक रेट को ज़्यादा तरजीह न दिए जाने योग्य बताया था।

हालांकि लगातार सात सीज़न में प्लेऑफ़ तक क्वालिफ़ाई न कर पाने वाली पंजाब किंग्स इस बार बदलाव करने का मन बना चुकी थी। नीलामी के दौरान पंजाब किंग्स के खेमे ने सिक्स हिटर्स के लिए अपनी जेब ढीली करने में कोई कोताही नहीं बरती। नीलामी के दौरान उनके द्वारा खरीदे गए छह सबसे महंगे खिलाड़ियों में पांच ऐसे बल्लेबाज़ थे, जो कि अपनी आक्रामक शैली के लिए जाने जाते हैं। यह खिलाड़ी थे, लियम लिविंगस्टन, शिखर धवन, शाहरुख़ ख़ान, जॉनी बेयरस्टो और ओडीन स्मिथ। टीम में सिक्स हिटर्स की भरमार रखने की चाहत ने पंजाब किंग्स को गेंदबाज़ी आक्रमण के साथ समझौता करने पर मजबूर कर दिया। नतीजतन, रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के ख़िलाफ़ खेले गए पहले मुक़ाबले में जहां उन्हें 206 रनों के विशालकाय लक्ष्य का सामना करना पड़ा, तो वहीं कोलकाता के ख़िलाफ़ अगले ही मैच में पूरी टीम 137 रनों के स्कोर पर ही आउट हो गई।

डेन वेस्टन (जो कि दुनिया की कई लीगों की टीमों के साथ बतौर एनालिस्ट काम कर चुके हैं) पंजाब किंग्स की ऑक्शन टीम का हिस्सा थे। वेस्टन ने नीलामी को रणनीति तैयार करने के लिए क़रीब छह हफ़्ते पंजाब किंग्स के साथ बिताए। हालांकि वह सीज़न के दौरान पंजाब की आंतरिक रणनीति टीम का हिस्सा नहीं हैं। वेस्टन को एक ऐसी टीम बनाने पर ज़्यादा विश्वास है जिसका ध्यान डॉट गेंद गिनने के बजाय बॉउंड्री वाली गेंदों को गिनने पर अधिक हो। कुछ वैसी ही टीम जो 2012 और 2016 के विश्व कप के दौरान वेस्ट इंडीज़ की थी। वेस्टन ने इस मसले पर अपनी राय व्यक्त करते हुए कहा, "हर लीग एक दूसरे से जुदा होता है, लेकिन एक मैच के दौरान सबसे ज़्यादा बॉउंड्री मारने वाली टीमें 87 फ़ीसदी बार मुक़ाबला जीतती है। आपके पास सिर्फ़ दो विकल्प हैं, या तो आप बॉउंड्री मारें या विपक्षी टीम को ऐसा करने से रोकें। आदर्श स्थिति में आप दोनों ही चीज़ें चाहेंगे, लेकिन बाज़ार का तकाज़ा आपको एक क्षेत्र पर अधिक ध्यान केंद्रित करने पर मजबूर करता है।"

चेन्नई के ख़िलाफ़ बल्लेबाज़ी के दौरान धवन और राजपक्षा  BCCI

हालांकि पंजाब की बल्लेबाज़ी में बदलाव के संकेत मिलना शुरु हो गए हैं। पंजाब ने अपने पहले पांच मैचों में पावरप्ले के दौरान 10 के अधिक रन रेट से स्कोर किया, लेकिन पिछले तीन मैचों में उन्होंने 7.33 के रन रेट से ही स्कोर किया है और एक बार भी 50 का आंकड़ा छू नहीं पाए हैं। पहले दो मुक़ाबलों में ज़रूर पंजाब किंग्स को लगे शुरुआती झटकों ने उन्हें आक्रामक शैली में बल्लेबाज़ी करने से रोक दिया हो, लेकिन चेन्नई सुपर किंग्स के ख़िलाफ़ खेले पिछले मुक़ाबले में शिखर धवन, मयंक अग्रवाल और भानुका राजपक्षा ने सधी हुई बल्लेबाज़ी के साथ अपनी पारियों को शुरुआत की, ताकि वह बाद में बल्लेबाज़ी करने आने वाले अपने सिक्स हिटर्स के लिए मंच तैयार कर सकें। जिसके परिणामस्वरूप पंजाब किंग्स ने स्कोर बोर्ड पर 187 रन टांग दिए।

पंजाब किंग्स के बैटिंग कंसलटेंट जूलियन वुड ने कहा,"शीर्ष क्रम में हमारे पास शिखर और मयंक जैसे बल्लेबाज़ हैं, जो कि स्ट्रॉन्ग क्रिकेट शॉट खेलने का माद्दा रखते हैं। पहले दस ओवर में आप मुख्यतः चौके लगाते हैं, जबकि आख़िरी दस ओवरों का खेल छक्के लगाने का होता है। जब-जब हमने पावरप्ले में विकेट नहीं गंवाए हैं, हम हावी रहे हैं। हालांकि मध्य क्रम में हमें परेशानी का सामना करना पड़ा है। आपको आक्रामकता के साथ चतुराई भी दिखानी होती है, आप सिर्फ़ गेंदों को हवा में खेल नहीं सकते।"

इस सीज़न में पंजाब का अप्रोच ख़तरे से खाली नहीं रहा है। कुल आठ मुक़ाबलों में उनके खाते में चार जीत के साथ-साथ चार हार भी हैं। कुल मिलाकर इस सीज़न में उनका मिलाजुला प्रदर्शन रहा है। आलोचकों की नज़र में पंजाब किंग्स द्वारा बल्लेबाज़ी पर अधिक ध्यान केंद्रित करने की वजह से उनकी गेंदबाज़ी पर काफ़ी असर पड़ा है। इस सीज़न में उनका गेंदबाज़ी औसत सबसे अधिक रहा है, जबकि प्रति ओवर रन खर्च करने के मामले में पंजाब किंग्स दूसरे पायदान पर हैं।

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मैट रोलर ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो के असिस्टेंट एडिटर हैं। अनुवाद ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो हिंदी में एडिटोरियल फ़्रीलांंसर नवनीत झा (@imnot_nav) ने किया है।