पहले बल्लेबाज़ी करने वाली टीमें जाएं तो जाएं कहां?
ओस के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए टीमें अतिआक्रामक रवैया अपना रही हैं
हां या ना : आंद्रे रसल के लिए नंबर-6 का स्थान बिल्कुल परफ़ेक्ट है
पंजाब के ख़िलाफ़ कोलकाता की जीत से जुड़े कुछ अहम सवालों पर रवि शास्त्री का फ़ैसलाइंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) 2022 में अब तक ओस का भारी प्रभाव रहा है। यह न केवल नतीजों से नहीं (आठ में से सात मैच लक्ष्य का पीछा करने वाली टीम ने जीते हैं) बल्कि इस बात से भी पता चलता है कि खिलाड़ियों और कोचों ने बढ़-चढ़कर इस विषय पर बात की है।
कोलकाता नाइट राइडर्स के कप्तान श्रेयस अय्यर ने शुक्रवार को टॉस जीतने के बाद कहा, "हम पहले गेंदबाज़ी करेंगे, वह इसलिए क्योंकि बाद में मैदान स्विमिंग पूल बन जाएगा।"
इससे 24 घंटे पहले मोईन अली ने ब्रॉडकास्टर स्टार स्पोर्ट्स से बातचीत के दौरान कहा था, "ओस के कारण लक्ष्य का बचाव करना मुश्किल होगा। साथ ही उनके (लखनऊ सुपर जायंट्स) के पास एक बढ़िया बल्लेबाज़ी क्रम है। हमें अच्छी गेंदबाज़ी करनी होगी।" यह शब्द उस व्यक्ति के थे जिसकी टीम ने 210 रन स्कोरबोर्ड पर लगाए थे। सुपर किंग्स को उस मैच में हार मिली और यह इस सीज़न में तीसरा मौक़ा था जब किसी टीम ने 200 से अधिक का लक्ष्य हासिल किया।
पंजाब किंग्स ने टूर्नामेंट के दूसरे ही दिन रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के विरुद्ध 206 रनों का पीछा आसानी से कर लिया था। इस पारी के मद्देनज़र हम समझ सकते हैं कि क्यों उन्होंने केकेआर के ख़िलाफ़ इतनी आक्रामक बल्लेबाज़ी की।
यह रणनीति सही मायने में एक दो धारी तलवार है। जब यह काम कर जाती है तो ऐसा लगता है कि कोई आपको रोक ही नहीं सकता। अब शिवम मावी के ख़िलाफ़ भानुका राजापक्षा की लगातार चार बाउंड्रियों को ही देख लीजिए। हालांकि इससे विकेटों की झड़ी लगने का भी ख़तरा बना रहता है। पंजाब किंग्स के साथ वही हुआ और वह 10 गेंदें शेष रहते ऑलआउट हो गए।
पहले बल्लेबाज़ी करने वाली टीमें भली-भांति जानती है कि अगर वह 220 के लक्ष्य को ध्यान में रखकर बल्लेबाज़ी करती हैं तो वह 135 पर सिमट भी सकती हैं। बावजूद इसके पंजाब किंग्स ने यह रुख़ अपनाया। केकेआर ने भी दो दिन पहले इसी शैली से बल्लेबाज़ी करने का प्रयास किया था और उन्हें आरसीबी के ख़िलाफ़ मुंह की खानी पड़ी थी।
150 या 170 के सम्मानजनक स्कोर तक जाने की बजाय करो या मरो वाला अंदाज़ हमें टीमों द्वारा परिस्थितियों के आकलन के बारे में बहुत कुछ बताता है। टीमें जानती है कि 150-170 से वह मैच जीत नहीं सकती। तो क्यों ना रिस्क लिया जाए?
बुधवार को केकेआर की तरह शुक्रवार को पंजाब किंग्स के लिए यह रणनीति काम ना आई। लेकिन यह चेन्नई के लिए काम कर गई थी। हालांकि एक और स्विमिंग पूल पर उनके गेंदबाज़ 210 रनों का बचाव करने में नाकाम रहे थे।
यह कहना जल्दबाज़ी होगी कि क्या इस पूरे सीज़न में यह पैटर्न बरक़रार रहेगा। हालांकि कुछ ज़्यादा बदलाव होते नज़र नहीं आ रहे हैं क्योंकि इस लीग चरण की मेज़बानी करने वाले तीन मैदान मुंबई में है जहां शाम होते होते तापमान में भारी गिरावट आती है।
ओस तो अपने पैर जमा चुकी है। वह कही नहीं जाएगी। अब टॉस हारने वाली टीमें पहली पारी में एक विशालकाय स्कोर खड़ा करने की भरपूर कोशिश करेगी। यह किसी दिन काम कर जाएगा तो किसी दिन उन्हें निराशा हाथ लगेगी। लेकिन इसी आक्रामक अंदाज़ से वह मैच में बने रहने और उसे जीतने में क़ामयाब हो पाएंगी।
कार्तिक कृष्णस्वामी ESPNcricinfo में सीनियर सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सब एडिटर अफ़्ज़ल जिवानी ने किया है।
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