आंकड़े झूठ नहीं बोलते : पंजाब और हैदराबाद को निचला मध्य क्रम ले डूबा
एक समय पर अपनी गेंदबाज़ी के लिए मशहूर सनराइज़र्स हैदराबाद की गेंदबाज़ी में दरारे नज़र आई

चढ़ता सूरज धीरे-धीरे, ढलता है ढल जाएगा। ना,ना, मैं क़व्वाली के मूड में नहीं हूं बस इस बात का दुख है कि इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) 2022 का लीग चरण समाप्त होने जा रहा है। इस सीज़न के 70वें मुक़ाबले में ऐसी दो टीमें आमने-सामने होंगी जिनके पास प्रतिभा की कोई कमी नहीं थी लेकिन वह अहम पलों को अपनी तरफ़ नहीं कर पाए। रविवार को वानखेड़े स्टेडियम में सनराइज़र्स हैदराबाद का सामना होगा पंजाब किंग्स से। दोनों टीमें प्लेऑफ़ में नहीं जा सकती हैं लेकिन इस मैच में कई मज़ेदार आंकड़े और कहानियां छुपी हुई है।
हैदराबाद की गेंदबाज़ी ने किया निराश
लगातार दो सीज़नों में प्लेऑफ़ में प्रवेश नहीं करने वाली हैदराबाद टीम को इस सीज़न गेंदबाज़ी क्रम ने काफ़ी निराश किया। एक समय पर अपनी गेंदबाज़ी के लिए मशहूर इस टीम ने 13 मैचों में आठ बार 175 से अधिक रन ख़र्च किए। भारतीय गेंदबाज़ तो अपनी उम्मीदों पर खरे उतरे लेकिन विदेशी तेज़ गेंदबाज़ टीम के लिए चिंता का सबब बने रहे। एक मैच में बेंगलुरु के ख़िलाफ़ मार्को यानसन के तीन विकेट को छोड़कर कोई भी विदेशी तेज़ गेंदबाज़ अपनी छाप नहीं छोड़ पाया और उन्होंने औसतन 9.9 की इकॉनमी से रन लुटाए।
इसके अलावा नीलामी के बाद से ही हैदराबाद के पास स्पिन गेंदबाज़ी में ज़्यादा विकल्प नहीं थे। और तो और तेज़ गेंदबाज़ों की असफलता ने स्पिनरों की मुश्किलें बढ़ाई। हैदराबाद के स्पिनरों ने इस सीज़न में सिर्फ़ 56 ओवर डाले जो किसी भी टीम के स्पिन आक्रमण के लिए सबसे कम है। साथ ही उन्होंने केवल 13 विकेट अपने नाम किए। पांच मैच तो ऐसे भी रहे जहां स्पिनरों को खाली हाथ लौटना पड़ा। यही कारण है कि 2016 की चैंपियन टीम को इस सीज़न टॉप चार से हाथ धोना पड़ा।
निचले मध्य क्रम को सुधार की ज़रूरत
हैदराबाद और पंजाब दोनों के निचले मध्य क्रम ने प्रभावित नहीं किया। हैदराबाद के लिए छठे और सातवें नंबर के बल्लेबाज़ ने कुल मिलाकर केवल 150 रन बनाए और वह भी मात्र 118 के स्ट्राइक रेट से। अगर कोई एक टीम है जिसके निचले मध्य क्रम ने इससे भी कम के स्ट्राइक रेट से बल्लेबाज़ी की है तो वह है पंजाब किंग्स (110 का स्ट्राइक रेट)। लंबे समय तक अपनी सबसे अच्छी एकादश की खोज में लगी पंजाब टीम को सातवें और आठवें नंबर पर एक विशेषज्ञ ऑलराउंडर की कमी खली। ओडीन स्मिथ और हरप्रीत बराड़ अपनी भूमिका को ठीक से नहीं निभा पाए। इसके परिणामस्वरूप अंतिम पांच ओवरों में पंजाब के बल्लेबाज़ों ने केवल 9.6 के रन रेट से बल्लेबाज़ी की जो इस पूरी लीग में किसी भी टीम के लिए सबसे कम है।
कप्तान मयंक का बल्ला रहा शांत
15 सीज़नों में केवल दो बार प्लेऑफ़ में पहुंचने वाली पंजाब किंग्स को इस सीज़न भी निराशा हाथ लगी। डेथ गेंदबाज़ी सटीक रहने के बावजूद यह टीम मैच अपने नाम नहीं कर पाई। इसका एक बड़ा कारण नए कप्तान मयंक अग्रवाल का ख़राब फ़ॉर्म था। सात पारियों में 20 से कम के स्कोर पर आउट होने वाले मयंक ना तो शीर्ष क्रम और ना ही मध्य क्रम में अपना जलवा बिखेर पाए। 11 पारियों में 195 रन बनाने वाले मयंक की औसत केवल 17.7 की रही। यह इस सीज़न में कम से कम 150 रन बनाने वाले सभी बल्लेबाज़ों में दूसरी सबसे ख़राब औसत है। उनका ना चलना पंजाब की असफलता का एक कारक बन गया।
अफ़्ज़ल जिवानी (@jiwani_afzal) ESPNcricinfo हिंदी में सब एडिटर हैं।
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