एक बार फिर टीम के पुराने लड़के ने RCB को घर में हराया
इस सीज़न चिन्नास्वामी में RCB ने अपने तीनों मैच गंवाए हैं और हर बार हार में एक पूर्व RCB खिलाड़ी ने अहम रोल निभाया

"मैं इम्पैक्ट खिलाड़ी को लेकर थोड़ा अस्पष्ट हूं लेकिन हम उसी टीम के साथ खेल रहे हैं।"
यह रजत पाटीदार थे जिन्होंने एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में IPL 2025 में अपना लगातार तीसरा टॉस गंवाया। बारिश से प्रभावित मैच में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) ने मुकिश्ल स्थिति में इम्पैक्ट सब के लिए देवदत्त पड़िक्कल का इस्तेमाल ही नहीं किया। पाटीदार की टिप्पणी के बाद इस फ़ैसले ने सवाल खड़े कर दिए।
क्या यह चूक थी या सरासर ग़लती?
या फिर एक इरादे का संकेत दिया गया कि एक संक्षिप्त मैच में बल्लेबाज़ी संसाधनों पर अधिक जोर देने से बचें और इसके बजाय गेंदबाज़ी को मज़बूत करें।
दुर्भाग्य से RCB के लिए यह योजना आकार लेने से बहुत पहले ही विफल हो गई। उनका शीर्ष क्रम लड़खड़ा गया और इसकी शुरुआत पहले ही ओवर में अर्शदीप सिंह द्वारा शॉर्ट बॉल पर फ़िल साॅल्ट को आउट करने से हुई, यह कुछ उसी तरह था जैसे उन्होंने इस साल की शुरुआत में भारत के लिए टी20 सीरीज़ में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ किया था।
इससे RCB के पतन की ऐसी स्थिति बन गई जिसकी उसने कल्पना भी नहीं की थी।
बारिश और नमी का पिच पर असर पड़ा, जिससे तेज़ गेंदबाज़ों को उछाल और मूवमेंट दोनों मामले में थोड़ी अतिरिक्त मदद मिली।
विराट कोहली पुल करने से चूके और मिडऑन पर कैच दे दिया। लियम लिविंगस्टन के बल्ले का ऊपरी किनारा लगा और कैच आउट हुए। जितेश शर्मा स्लॉग स्वीप को मिस टाइम कर गए। मार्को यानसन की शॉर्ट गेंद अपेक्षा से अधिक तेज़ी से उठी और क्रुणाल पंड्या के दस्ताने को छूती हुई पीछे चली गई।
6.1 ओवर में पांच विकेट पर 33 रन के स्कोर पर RCB के लिए पड़िक्कल से पारी की शुरुआत न करवाने का साहसिक फै़सला लेना मुश्किल था। पारी के डगमगाने के साथ उन्हें अपने प्रतिभाशाली खिलाड़ी मनोज भंडागे को बुलाने पर मजबूर होना पड़ा।
कई सालों तक RCB के रिजर्व खिलाड़ियों में शामिल रहे भंडागे ने कर्नाटक के लोगों में एक फिनिशर के तौर पर अपनी पहचान बनाई थी और अपने वादे के मुताबिक प्रदर्शन करने का इंतज़ार कर रहे थे। वह पल IPL की रोशनी में आया, 30,000 प्रशंसक जोर-जोर से चिल्ला रहे थे और वह एक संकट का सामना कर रहे थे।
यह डेब्यू से ज़्यादा अग्नि परीक्षा थी। भंडागे को आखिरकार आठवें ओवर में RCB के 41 रन पर छह विकेट के स्कोर पर अपना पल मिला। पारी चार गेंदों तक ही चली, यानसन की गेंद पर पर पगबाधा हो गए और इस निराशा ने RCB की भयावह रात का संकेत दिया।
इस सीज़न में अपने पहले घरेलू मैच में, गुजरात टाइटंस (GT) के ख़िलाफ़ RCB को एक बार फिर से हार का सामना करना पड़ा। तब सात सीज़नों से उनके सेटअप का हिस्सा रहे मोहम्मद सिराज विपक्षी टीम के लिए खेलते हुए उनको चोट पहुंचा गए। एक हफ्ते बाद, केएल राहुल ने एक और पुराने पल की यादें ताज़ा कर दीं।
2016 में मई की एक गर्म दोपहर में RCB की जर्सी में राहुल की टी20 सफ़र ने सही मायने में आकार लिया। उस दिन राजकोट में अब बंद हो चुकी गुजरात लायंस के ख़िलाफ़ चोटिल मनदीप सिंह की जगह पर अंतिम एकादश में शामिल किए गए राहुल ने अर्धशतक जमाया और शेष सत्र के लिए मध्यक्रम में अपनी जगह पक्की कर ली।
इस सीजन में "घर" पर वापस आकर, राहुल ने विजयी रन बनाए और मैदान पर एक काल्पनिक गोलाकार बनाया और उसमें अपना बल्ला रख दिया, जहां उन्होंने कन्नड़ फिल्म कंतारा का एक दृश्य दोहराया था और गर्व से अपने साथियों से कहा, "यह मेरा मैदान है"।
शुक्रवार की रात को नेहल वढेरा के छक्के लगाने से पहले ही टीम को नुकसान हो चुका था और PBKS को जीत मिल गई। इसकी शुरुआत युज़वेंद्र चहल से हुई, जो RCB के एक और पूर्व दिग्गज हैं। जिन्होंने न केवल वापसी की, बल्कि यह भी याद दिलाया कि सीज़न की ख़राब शुरुआत के बावजूद वह अभी भी अपनी क्षमता दिखा सकते हैं, जहां उनकी उपयोगिता पर सवाल उठाए गए थे।
ग्लेन मैक्सवेल के विपरीत, चहल को जब रिलीज़ किया गया तो वह एक असंतुष्ट पूर्व खिलाड़ी की तरह दिखे, और ऐसा होना जायज़ भी था। चिन्नास्वामी में किसी भी गेंदबाज़ ने उनसे ज़्यादा विकेट नहीं लिए थे। 10 लाख रुपये की मामूली क़ीमत पर अनुबंधित होने से लेकर भारत के सफ़ेद गेंद के आक्रमण के मुख्य खिलाड़ी बनने तक चहल का उदय RCB के उन पर भरोसे को दर्शाता है।
वह वह व्यक्ति था जिसकी ओर कोहली ने कप्तान के रूप में तब रुख किया जब टीम का समय मुश्किल में था। ऐसा व्यक्ति जिसने गेंदबाज़ों के लिए कब्रगाह पिच पर गेंद फेंकने की हिम्मत की। शुक्रवार की रात, चहल ने न केवल अपना क्षेत्र दोबारा प्राप्त किया, बल्कि वह एक स्टेटमेंट भी दे रहे थे।
चहल ने इरादे के साथ शुरुआत की, अपनी पहली चार गेंदों को बहादुरी से ख़तरे के निशान में फ़ेंका। चौथी गेंद पर, उन्हें इनाम मिला जब जितेश ने स्लॉग स्वीप में गेंद को ऊपर से मारने के प्रयास में बाउंड्री राइडर को कैच दे दिया। गेंद अंदर की ओर आई, लूप लिया और बल्लेबाज़ से दूर रह गई। एक लेगस्पिनर का क्लासिक कॉलिंग कार्ड। बारिश से बाधित 14 ओवर के मैच में एक विकेट के साथ चार रन का ओवर सोना था।
लेकिन चहल का खेल यहीं खत्म नहीं हुआ। उनका अगला काम और भी शानदार था। रजत पाटीदार को आउट करना, जो स्पिन को फु़टवर्क से नहीं बल्कि स्थिरता से मारते हैं। पाटीदार संतुलन पर पनपते हैं, एक ठोस आधार से शक्ति प्राप्त करते हैं, स्पिनरों को सहज क्रूरता के साथ दूर मारते हैं।
पिछले साल धर्मशाला में उन्होंने राहुल चाहर के ख़िलाफ़ छक्कों की बरसात की थी। यहां परिस्थितियां भले ही अलग रही हों, लेकिन RCB की पारी में भी उनका ख़तरा उतना ही वास्तविक था। और फिर भी, शुक्रवार की रात चहल ने कोड को तोड़ दिया।
ललचाने वाली फ़्लाइटेड गेंद और लूप के साथ उन्होंने पाटीदार को एक ऊंचे स्ट्रोक के लिए आगे खींचा। लेकिन गेंद उनके हिटिंग आर्क के बाहर घूम गई। परिणाम लांग ऑफ़ पर एक सीधा कैच। चहल की दहाड़ और अपने साथियों के पास दौड़ना सब कुछ कह गया। और कहीं स्टैंड में, आप लगभग RCB के प्रशंसकों के बीच आह सुन सकते थे।
इस विकेट के होने के बाद RCB की बल्लेबाज़ी के दौरान आम तौर पर दर्शक बनकर संतुष्ट रहने वाले टिम डेविड को भारी काम करना पड़ा। स्थिति आतिशबाज़ी से कहीं अधिक की मांग कर रही थी, इसमें संयम और गणना की आवश्यकता थी, क्योंकि 14 ओवर के अंदर आउट होने का ख़तरा वास्तविक था।
डेविड ने टूर्नामेंट में अपनी सबसे लंबी पारी खेलकर इस चुनौती का जवाब दिया। 26 गेंदों पर 50 रन एक ऐसी पारी जिसने RCB को एक ऐसा स्कोर दिया जो भले ही मज़बूत न हो, लेकिन आकार में तो था। और फिर गेंदबाज़ों ने कमान संभाली, जॉश के साथ खेलते हुए मुकाबले को उससे भी आगे ले गए, जितना स्कोर होना चाहिए था। डेविड ने उन्हें एक मंच दिया।
और वे ख़तरनाक रूप से इस बात के क़रीब पहुंच रहे हैं कि "यह [घरेलू हार] महज एक संयोग नहीं है।"
शशांक किशोर ESPNcricinfo में वरिष्ठ संवाददाता हैं।
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