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लखनऊ सुपर जायंट्स के ख़राब प्रदर्शन के पीछे की अहम वजह

LSG का कमज़ोर मध्‍य क्रम, कप्‍तान का फ़्लॉप शो और अनुभवहीन तेज़ गेंदबाज़ी उनको ले डूबी, आंकड़ों के जरिए जानिए उनके ख़राब प्रदर्शन की वजह

Rishabh Pant के लिए बल्लेबाज़ के तौर यह सीज़न काफ़ी ख़राब रहा  BCCI

घरेलू मैदान पर सनराइज़र्स हैदराबाद (SRH) से हारकर लखनऊ सुपर जायंट्स (LSG) की टीम IPL 2025 से बाहर होने वाली पांचवीं टीम बन गई। यह लगातार दूसरा साल है, जब अपने पहले दो सीज़न में प्ले ऑफ़ में पहुंचने वाली यह नई टीम अंतिम चार के लिए क्वालिफ़ाई नहीं कर पाई। एक नया कप्तान, नई टीम, नया जोश भी LSG की उम्मीदों को पर नहीं लगा सके। किसी मैच को हारकर कोच ने पिच की आलोचना की, तो किसी मैच से पहले गेंदबाज़ ने पिच को सही से नहीं समझ पाने की ग़लती स्‍वीकारी। एक नज़र डालते हैं कि LSG के प्‍लेऑफ़ से बाहर होने के पीछे की वजहें क्‍या रही हैं।

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प्रभावी गेंदबाज़ों की अनुप‍स्थिति और उनमें भी चोटिल

LSG ने जब नीलामी में अपनी टीम चुनी थी तो उसमें एक अनुभवी विदेशी या स्‍वदेशी तेज़ गेंदबाज़ की कमी साफ़ दिखाई दे रही थी। अनुभवी गेंदबाज़ों के नाम पर उनके पास मोहसिन ख़ान, आकाश सिंह, आकाश दीप, आवेश ख़ान, मयंक यादव जैसे तेज़ गेंदबाज़ थे। मोहसिन जब चोटिल होकर खेलन के लिए अनुपलब्‍ध थे तो उनकी जगह शार्दुल ठाकुर को टीम में लिया गया। इसके अलावा उनके पास आकाश, आवेश ख़ान थे लेकिन उनका इकॉनमी इतना सही नहीं रहा है। मयंक चोट के बाद लौटे लेकिन उनमें वह रफ़्तार दिखाई नहीं दी। बाद में वह भी चोटिल हो गए। इस बीच शमार जोसेफ़ एकमात्र विदेशी तेज़ गेंदबाज़ उनके पास थे, लेकिन पूरे टूर्नामेंट में उनको एक मैच नहीं खिलाया गया। मयंक जब चोटिल हुए तो पिछले मैच में विलियम ओरूर्क को शामिल करके उनका डेब्‍यू कराया गया।

पंत के IPL इतिहास का सबसे ख़राब सीज़न

LSG ने बहुत ही उम्मीदों के साथ IPL इतिहास की सबसे बड़ी बोली लगाकर ऋषभ पंत को ख़रीदा और फ‍िर उनको अपना कप्‍तान बनाकर एक शानदार सीज़न का सपना संजोया। लेकिन लेकिन पंत इन उम्मीदों पर कहीं से भी ख़रा नहीं उतरे और पूरे सीज़न में सिर्फ़ एक अर्धशतक लगाना इस बात का प्रमाण है।

IPL 2016 के पंत के डेब्यू IPL सीज़न के बाद यह पहला मौक़ा था, जब वह एक सीज़न में 300 रन नहीं बना सके। उनके नाम इस सीज़न 12 मैचों में 100 की मामूली स्ट्राइक रेट और सिर्फ़ 12.27 की औसत से 135 रन हैं, जिसमें सिर्फ़ छह छक्के और 12 बाउंड्री शामिल हैं। घर हो या बाहर पंत हर जगह संघर्ष ही करते दिखे। उन्होंने इस दौरान बल्लेबाज़ी पोज़िशन भी बदला और ओपनिंग भी करने आए, लेकिन यह भी उनके लिए काम नहीं कर सका। इसके अलावा उनकी कप्तानी भी बहुत ही औसत रही और माना जा रहा है कि इस प्रदर्शन के कारण ही वह भारतीय टेस्ट टीम की कप्तानी की दौड़ से भी पीछे छूट गए।

रवि बिश्‍नोई की हल्‍की हुई धार

या तो यह कहें कि रवि बिश्‍नोई ने इस बार उस तरह की गेंदबाज़ी नहीं की जिसके लिए उनको रिटेन किया गया था या यू कहें कि एक अन्‍य लेग स्पिनर दिग्‍वेश राठी के बेहतरीन प्रदर्शन करने की वजह से उनको दूसरे स्पिनर के तौर पर तरज़ीह दी जाने लगी। LSG के लिए इस सीज़न अब तक वह केवल 11 मैच ही खेल पाए और केवल नौ ही विकेट उनको मिले, यहां पर उन्‍होंने 10.83 की महंगी इकॉनमी से रन ख़र्च किए। अगर उनके पिछले साल के प्रदर्शन पर नज़र डाली जाए तो उन्‍होंने 14 मैचों में 8.77 की इकॉनमी से 10 विकेट लिए थे।

पूरन : पहले हाफ़ बनाम दूसरे हाफ़

निकोलस पूरन ने अब तक LSG के लिए इस सीज़न में 12 मैचों में 41.36 की औसत से 455 रन बनाए हैं, जहां पर उन्‍होंने चार अर्धशतक लगाए हैं और उनका सर्वश्रेष्‍ठ स्‍कोर नाबाद 87 रन रहा है। ये आंकड़ें अभी बेहतर दिखाई देते हैं, लेकिन अगर आप उनके शुरुआती मैचों में नज़र डालेंगे तो जानेंगे कि एक समय यह औसत इससे भी अधिक था। एक समय पर वह लंबे समय तक ऑरेंज कैप पाने वाले खिलाड़ी भी रहे थे। लेकिन उनके प‍िछले छ‍ह स्‍कोर 45, 6, 27, 9, 11, 8 हैं, जो बताते हैं कि उन्‍होंने अपनी फ़ॉर्म टूर्नामेंट के दूसरे फ़ेज़ में गिरी है और इसका नुकसान LSG को अधिक उठाना पड़ा है। पूरन नहीं चले और दूसरी ओर पंत का भी फ़ॉर्म बेहद ही ख़राब था, जिसकी वजह से अगर मिचेल मार्श और ऐडन मारक्रम में से कोई भी एक क्रीज़ पर अधिक समय पर नहीं टिकता तो टीम के लिए मुश्किलें खड़ी हो जाती थी।

इतने फ़‍ि‍निशर तो मध्‍य क्रम में कौन

LSG के लिए एक बड़ी समस्‍या उनका मध्‍यक्रम भी था, जिसके पीछे की एक वजह एक से अधिक कई फ़ीनिशरों को टीम में जगह देना भी था। मध्‍य क्रम में उनके पास अनुभव के नाम पर एक अनकैप्‍ड प्‍लेयर आयुष बदोनी थे, जिनको कई बार उन्‍होंने इम्‍पैक्‍ट खिलाड़ी के तौर पर भी इस्‍तेमाल किया। इसके अलावा फ़ीनिशरों में डेविड मिलर और अब्‍दुल समद दोनों को ही प्‍लेयिंग इलेवन में रखकर वे दोनों में से किसी का भी सही से इस्‍तेमाल नहीं कर सके। मिलर ने 11 मैच खेले और उसमें मात्र 30.60 की औसत से 153 रन ही बनाए, जिसमें भी उनका सर्वाधिक स्‍कोर नाबाद 27 रन था। दूसरी ओर समद ने भी 11 मैचों में 20.37 की औसत से मात्र 163 रन बनाए, जिसमें 45 रन उनका सर्वाधिक स्‍कोर रहा। दूसरी ओर बदोनी ने 12 मैचों में 32.90 की औसत से 329 रन बनाए, जिसमें उनके नाम दो अर्धशतक थे। कमाल की बात यह है कि इन सभी पारियों में पिछले मैच में सनराइज़र्स हैदराबाद के ख़‍िलाफ़ पहली बार दहाई का आंकड़ा नहीं छू पाए। उन्‍होंने रन जरूर बनाए, लेकिन मध्‍य क्रम में वह बहुत कम साझेदारियां बना सके।

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निखिल शर्मा ESPNcricinfo हिंदी में सीनियर सब एडिटर हैं। @nikss26