जेमिमाह : मुंबई के मैदान पर लड़कों के क्रिकेट के दबाव से निकलकर आई विश्व कप में मैच विजयी पारी
वनडे विश्व कप से बाहर होने के बाद इस बल्लेबाज़ ने खु़द को अपने कंफ़र्ट ज़ोन से बाहर निकाला

वनडे विश्व कप से चूकने के बाद उनके जीवन के "सबसे निचले चरणों में से एक" से लेकर टी20 विश्व कप में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ पहले मैच में तनाव कम करने वाले अर्धशतक तक जेमिमाह रोड्रिग्स के जीवन में इस बीच बहुत कुछ हुआ, लेकिन जेमिमाह को पसंद है कि जीवन सही चल रहा है अभी, लेकिन उन्होंने मुंबई के मैदानों की टर्न लेती पिचों को अपनी वापसी का श्रेय दिया।
जेमिमाह की ऋषा घोष के साथ चौथे विकेट के लिए नाबाद 58 रनों की साझेदारी की वजह से भारत ने पाकिस्तान को सात विकेट से हरा दिया।
भारत ने एक ओवर बचे रहते यह मैच जीता और 38 गेंद में नाबाद 53 रन बनाने वाली जेमिमाह ने कहा कि पिछले साल वनडे विश्व कप से बाहर होने के बाद वह खु़द को दबाव में लाने के लिए मुंबई में अंडर-14 के लड़कों के साथ खेलीं, जिसकी वजह से ही वह महिला टी20 विश्व कप में भारत को इस टूर्नामेंट का सबसे बड़ा लक्ष्य हासिल करा पाई।
जेमिमाह ने याद करते हुए कहा, "मैं ब्रेक लेने के बाद अपने कोच प्रशांत शेट्टी और मेरे पिता के पास पहुंची। हमने प्लान पर काम किया। एक सप्ताह में मुझे दो मैच खेलने थे, बाक़ी के समय अभ्यास और रविवार के दिन छुट्टी। इस बीच मैं खु़द को एक मुश्किल परिस्थिति में डाल रही थी।"
"मैं पाटा विकेट पर नहीं खेल रही थी, मैं टर्निंग विकेट पर खेल रही थी। मुंबई में मैं आज़ाद मैदान गई और लड़कों के ख़िलाफ़ मैच खेले। सुबह बहुत ओस रहती थी, यह बड़ा मैदान है, कई पिच है, ग्राउंड पर कोई कवर नहीं होता है, आप पिच के अंदर अपनी उंगली डाल सकते हो। उन परिस्थितियों में मैं अंडर-19 के लड़कों के साथ खेली।"
"दूसरी पारी में तेज़ी से बदलाव होता था, गेंद टर्न होने लगती थी और गेंदबाज़ अच्छे थे। उस टूर्नामेंट के पहले मैच में मैंने क़रीब 45 रन बनाए और इससे आत्मविश्वास मिला, यह ऐसा था जैसे पाटा विकेट पर 80 रन बनाए हों। लिहाज़ा ऐसी परिस्थिति में खु़द को डालकर मुझे मदद मिली, मैं अपने कंफ़र्ट ज़ोन से बाहर निकली। यह बहुत मुश्किल हिस्सा था।"
उन्होंने कहा, "मैं अंडर-14 के लड़कों के साथ खेली। आप दबाव को समझ सकते हो, मैं एक भारतीय खिलाड़ी होकर अंडर-14 के लड़कों के साथ खेल रही थी, अगर मैं अपना विकेट खोती तो वे कहते क्या है यह। ऐसी चीज़ मेरे दिमाग़ में चल रही थी। वह बहुत दबाव भरा था, लेकिन मैं उन सोच से लड़ी।"
"लेकिन मुझे लगता है कि यह सब चीज़ आपको बनाती है और ऐसा खिलाड़ी बनाती है जो आप हो और जो हुआ उसके लिए मैं शुक्रगुज़ार हूं। आपने मुझे वापस जाने और चीज़ों को बदलने का अवसर दिया। मुझे पसंद है जिस तरह की मेरी ज़िंंदगी चल रही है।"
2021 में पांच वनडे में दहाई का आंकड़ा नहीं छूने के बाद जेमिमाह को न्यूज़ीलैंड में हुए वनडे विश्व कप टीम से बाहर कर दिया था, उस साल उन्होंने पिछला मैच जुलाई में खेला था। टी20 में उस दौरान पांच मैचों में उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर नाबाद 49 रन था, हालांकि पिछले साल उन्होंने 20 मैचों में 38.58 की औसत से पुनरुत्थान का आनंद लिया।
लेकिन इसके पीछे काफ़ी कड़ी मेहनत है और परिवार, दोस्तों, टीम के साथियों और कोच शेट्टी का समर्थन, जो मुश्किल समय में उनके साथ थे।
जेमिमाह ने कहा, "दिल से कहूं तो कई बार मेरे पास खु़द से कहने को कुछ नहीं होता था। कई बार मैं हिम्मत हार जाती थी, मेरे पास जारी रखने की ताक़त नहीं थी।"
"मैंने अपने अभ्यास का तरीक़ा बदला। मैंने अपनी पारी को प्लान करने का तरीक़ा बदला। मैंने अपने खेल को अच्छे से समझा। मुझे उस समय अच्छे रिश्तों की अहमियत समझ में आई थी और साथ ही ऐसा भी लगा था कि यह मेरे जीवन के सबसे बुरे दौर में से एक था लेकिन यही वजह रही कि मैं आज यहां आ सकी।"
"इसी समय पिछले साल जब मैं अपने घर पर थी और मैं अच्छे स्पेस में नहीं थी क्योंकि मैं 50 ओवर के विश्व कप टीम से बाहर हुई थी। यह मेरे लिए मुश्किल समय था। अगर यह मेरे परिवार और मेरे माता-पिता और मेरे भाइयों के लिए नहीं होता और इतने सारे लोग हैं तो मैं उनका नाम नहीं ले सकती क्योंकि हम यहां रात के 12 बजे तक बैठे रहेंगे। ऐसे कई लोग थे जिन्होंने इस दौरान मेरी मदद की।"
रविवार को जेमिमाह ने आख़िरी ओवर में तीन चौके लगाकर मैच का पासा पलट दिया था, एक ऐसे मैच में जहां मैदान पर काफ़ी दर्शक थे और भारतीय टीम का उत्साह बढ़ा रहे थे।
उन्होंने कहा, "जब मैं आज आई थी तो मुझे किसी को साबित नहीं करना था। कई बार ऐसा होता है कि आप विश्व कप में वापसी करते हो और आप यह या वह साबित करना चाहते हो। मैंने ऐसा पहले किया है और यह मेरे लिए काम नहीं किया। तो मैं ऐसी थी कि मुझे किसी को साबित नहीं करना है। मैंने अच्छा किया है और इसी वजह से मैं यहां हूं। मैंने प्रदर्शन किया है और इसी वजह से मैं टीम में हूं। तो इसके साथ मैं काफ़ी आत्मविश्वास से थी और जब मैं बल्लेबाज़ी करने गई मैंने बस यही सोचा कि कैसे भारत को जीत दिलाने में मदद कर सकती हूं।"
चोट की वजह से स्मृति मांधना इस मैच में नहीं खेली और भारत ने कप्तान हरमनप्रीत कौर सहित 65 रन पर दो विकेट गंवा दिए। लेकिन अंडर-19 विश्व कप टीम का हिस्सा रहीं ऋचा ने 20 गेंद में नाबाद 31 रन बनाकर भारत को जीत दिलाने में मदद की।
भारत का इरादा अंडर-19 टीम की सफलता को सीनियर ख़िताब में तब्दील करना है क्योंकि भारत तीन साल पहले टी20 विश्व कप के फ़ाइनल में ऑस्ट्रेलिया से हारा और हाल ही में राष्ट्रमंडल खेलों में वे इसी टीम से नौ रनों से हारे।
उन्होंने कहा, "यह चैप्टर कभी ख़त्म नहीं हो सकता है। राष्ट्रमंडल खेल अभी भी दिमाग़ में ताज़ा है। हमने अच्छी साझेदारी की लेकिन ग़लत समय पर अपना विकेट खो दिया। यह अभी भी मुझे डराता है। मुझे लगता है कि यह अभी भी हमारी टीम को डराता है क्योंकि हमारे गेंदबाज़ी आक्रमण ने उस टीम को 161 रन पर रोक दिया था जो उस दिन एक खूंखार टीम थी। मुझे लगता है वह इसके हक़दार थे।"
"यह सब सीखना है। यदि अभी नहीं तो भविष्य में यह पक्का होगा और हम इसके लिए तैयार हो रहे हैं। हो सकता है कि यही हमारी टीम को कुछ बड़े काम के लिए तैयार करने जा रहा हो जो भविष्य में हमारे लिए होना है।"
वल्केरी बेंस ESPNcricinfo में जनरल एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी में सीनियर सब एडिटर निखिल शर्मा ने किया है।
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