जोफ़्रा आर्चर : मैं ऐशेज़ खेलने के लिए हरसंभव प्रयास करूंगा
इंग्लैंड के तेज़ गेंदबाज़ भारत के ख़िलाफ़ बचे हुए सभी मैच खेलना चाहते हैं
जोफ़्रा आर्चर ने इंग्लैंड की भारत के ख़िलाफ़ लॉर्ड्स में मिली रोमांचक जीत में काफ़ी अहम भूमिका निभाई। टेस्ट क्रिकेट में दमदार वापसी करते हुए, उन्होंने आगामी ऐशेज़ सीरीज़ खेलने की इच्छा दोहराई है।
आर्चर ने कोहनी और पीठ की चोटों के कारण चार साल से ज़्यादा समय तक कोई टेस्ट नहीं खेला था, लेकिन सावधानीपूर्वक योजना के तहत वापसी करते हुए उन्होंने आख़िरकार सफेद कपड़ों में वापसी की। उन्होंने अपनी तीसरी ही गेंद पर विकेट लिया और फिर भारत की चौथी पारी की रनचेज़ में अहम मौक़ों पर विकेट लिए। उन्होंने मैच में 105 रन देकर कुल 5 विकेट लिए।
उन्होंने 39.2 ओवर फेंके और अपनी रफ़्तार को 90 मील प्रति घंटा (145 किमी/घंटा) के क़रीब बनाए रखा। अब उनके पास 23 जुलाई से ओल्ड ट्रैफ़र्ड में शुरू होने वाले चौथे टेस्ट से पहले एक हफ़्ते का समय है। आर्चर ने कहा कि वे भारत के ख़िलाफ़ बचे दोनों टेस्ट खेलना चाहेंगे, हालांकि इंग्लैंड उनके वर्कलोड को लेकर सतर्क रहेगा।
आर्चर ने मैच के बाद स्काई स्पोर्ट्स से कहा कि उनके ओवर "दिसंबर तक पहले से तय हैं", जिससे इंग्लैंड की योजनाओं की बारीकी का अंदाज़ा लगता है। लेकिन सफल वापसी ने उनके अंदर एक बार फिर ऑस्ट्रेलिया के ख़िलीाफ़ ऐशेज़ खेलने की भूख जगा दी है। उन्होंने अपना पिछला ऐशेज़ छह साल पहले खेला था। पि उन्होंने कहा, "अगर इजाज़त मिली तो मैं बाक़ी दोनों टेस्ट खेल सकता हूं। मैं ये सीरीज़ हारना नहीं चाहता। मैंने कीसी (इंग्लैंड के पुरुष क्रिकेट डायरेक्टर रॉब की) से कहा था कि मैं टेस्ट समर खेलना चाहता हूं और मैं एशेज भी खेलना चाहता हूं। लगता है एक टारगेट तो टिक हो गया है और अब मैं नवंबर में उस फ्लाइट पर चढ़ने के लिए सब कुछ करूंगा।"
स्टोक्स और मक्कलम की कप्तान-कोच जोड़ी के तहत यह उनका पहला टेस्ट था, और इससे बेहतर शुरुआत मुश्किल ही होती। लंबे रिहैब के बाद उन्हें राहत मिली कि मेहनत रंग लाई।
आर्चर ने कहा, "टेस्ट क्रिकेट वही फ़ॉर्मेट था जिसमें वापसी सबसे ज़्यादा मुश्किल होती। इसलिए पिछले डेढ़-दो साल में मैंने वनडे और T20 ही ज़्यादा खेले। और आप हमेशा सोचते रहते थे... जब से बैज़ (मक्कलम) टीम में आए हैं, टीम ने बहुत ही रोमांचक क्रिकेट खेली है। मुझे लगता है टीम की मानसिकता मेरे खेलने के अंदाज़ से मेल खाती है। तो मैं बस इंतज़ार कर रहा था कि बिना किसी दबाव के फिर से खेल सकूं।"
उनका पहला विकेट (यशस्वी जायसवाल को सेकेंड स्लिप पर कैच कराना) एक भावनात्मक जश्न लेकर आया। हालांकि मैच के बाद उन्होंने इसे ठंडे दिमाग से विश्लेषित किया।
उन्होंने कहा, "बाएं हाथ के बल्लेबाज़ों को लॉर्ड्स की स्लोप के साथ, मैं वैसे ही गेंदबाज़ी करता हूं। तो बस यह सवाल था कि विकेट कब मिलेगा। मुझे नहीं लगता कि कई लेफ्ट हैंडर इस तरह की गेंद से बच सकते हैं।"
पांचवें दिन वे काफ़ी जोश में थे। ऋषभ पंत और वॉशिंगटन सुंदर को आउट करने के बाद उन्होंने आक्रामक जश्न मनाए। मैच के बाद उन्होंने माना कि पंत से कहा गया कमेंट "कोई गर्व का पल नहीं था", लेकिन इंग्लैंड की रणनीति का हिस्सा था कि टीम अब उतनी "शालीन" नहीं दिखेगी ।
आर्चर ने कहा, "मुझे लगता है आज सबने कुछ न कुछ बोला। अच्छा लगा कि हम सब एक ग्रुप की तरह एकजुट होकर खेले। फर्क नहीं पड़ता गेंदबाज़ कौन था, स्लिप में हर कोई था, कवर था, मिड ऑफ था। सब साथ आकर झुके। ऐसे दिन टेस्ट क्रिकेट को ख़ास बनाते हैं।"
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