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कैसे मुंबई इंडियंस के ख़िलाफ़ रणनीतिक लड़ाई हार गया पंजाब किंग्स ?

क्रुणाल पंड्या से गेंदबाज़ी की शुरुआत कराने का मतलब था ना चाहने वाले मैच अप को टालना और पांचवें गेंदबाज़ का कोटा पूरा करना

Should Punjab Kings have opened with Chris Gayle?

Should Punjab Kings have opened with Chris Gayle?

Deep Dasgupta thinks he should have, instead of Mandeep Singh

क्रिस गेल को पिछले साल इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में अपना पहला मुक़ाबला खेलने के लिए आईपीएल के 31वें मैच तक इंतज़ार करना पड़ा था। ये मुक़ाबला उन्होंने रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु के ख़िलाफ़ खेला था, गेल की अपनी पुरानी टीम के विरुद्ध शुरुआत धीमी रही थी, वह जानते थे गेल की ताक़त इसलिए उनके सामने लेग स्पिनर को लाने में देर किया। वॉशिंग्टन सुंदर की ऑफ़ स्पिन और नवदीप सैनी की तेज़ गेंदों के ख़िलाफ़ गेल शुरुआत में असहज थे और फिर बाद में लेग स्पिनर युज़वेंद्र चहल आक्रमण पर आए।

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गेल उस पारी में 15 गेंदों का सामना करने के बाद ही सुंदर के ख़िलाफ़ आक्रमक शॉट खेल पाए थे, सिर्फ़ मिडिल ओवर्स तक ही गेल को इंतज़ार नहीं कराया गया बल्कि आरसीबी ने चहल को तब तक आक्रमण पर नहीं लाया जब तक कि उनके पास कोई विकल्प नहीं बचा था। ये पंजाब की आठ मैचों में सिर्फ़ दूसरी जीत थी, लेकिन उन्होंने इसे शानदार अंदाज़ में अंजाम दिया था। क्रिस गेल और निकोलस पूरन ने बेंगलुरु को मजबूर कर दिया था कि वह अपने सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज़ को मिडिल ओवर्स में लेकर आएं, जिसके बाद डेथ ओवर्स में उनके लिए हालात और भी ख़राब हो जाएं।

इसके बाद पंजाब का अगला मुक़ाबला मुंबई इंडियंस के ख़िलाफ़ था, जो 2012 के बाद पहली बार पंजाब के ख़िलाफ़ गेंदबाज़ी की शुरुआत स्पिन गेंदबाज़ से करा रहे थे। वह थे क्रुणाल पंड्या, असल में मुंबई इंडियंस उन्हें गेल और पूरन से बचाकर रखना चाहते थी। जैसे ही विकेट गिरी और गेल बल्लेबाज़ी करने आए तो क्रुणाल को आक्रमण से हटा दिया गया था और फिर वह दोबारा तभी गेंदबाज़ी करने आए जब गेल और पूरन पवेलियल लौट चुके थे।

इसके बाद से अब तक तीन बार ये दोनों ही टीमों का आमना-सामना हुआ है और हर बार मुंबई ने गेंदबाज़ी आक्रमण की शुरुआत क्रुणाल पंड्या से कराई है। पहले मैच में क्रुणाल के दो ओवर में 12 रन आए, दूसरे मैच में पंजाब के सामने चेज़ करने के लिए कोई बड़ा लक्ष्य नहीं था और उन्होंने आसानी के साथ उसे हासिल भी किया। और तीसरा मौक़ा पिछली रात को आया जब पंजाब 136 रनों के लक्ष्य का पीछा कर रहा था।

अब तक आप ये समझ गए होंगे कि विपक्षी टीम किस रणनीति के साथ पंजाब के ख़िलाफ़ उतरती है, और इसे अगर भंग करना है तो पंजाब के सलामी बल्लेबाज़ों को मुंबई की इस रणनीति का तोड़ निकालना था। और उनके सलामी बल्लेबाज़ों को चाहिए था कि क्रुणाल के ख़िलाफ़ तेज़ी से रन बनाएं. लेकिन मैच से ठीक पहले मयंक अग्रवाल को गर्दन में मोच आ गई थी और वह मैच से बाहर हो गए। जिसके बाद ऐसा लग रहा था कि शायद पंजाब गेल को सलामी बल्लेबाज़ी के लिए भेज सकता है, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।

केएल राहुल के साथ मंदीप सिंह पारी का आग़ाज़ करने आए और दोनों ने कुछ ऐसा नहीं किया कि क्रुणाल पंड्या पर दबाव आ जाए। क्रिकइंफ़ो लॉग्स के मुताबिक़ क्रुणाल के तीन ओवर में सिर्फ़ एक बार उनके ख़िलाफ़ बड़ा शॉट खेलने की कोशिश की गई, यहां तक कि उनकी फ़्री हिट को भी ज़मीन के सहारे एक्सट्रा कवर तक ही खेला गया। ऐसी पिच पर जहां मिडिल ओवर्स या डेथ ओवर्स में रन बनाना उतना आसान नहीं होता, वहां कोशिश यही रहती है कि शुरुआत में ही उनके टॉप ऑर्डर बल्लेबाज़ बड़े शॉट लगाएं। लेकिन आश्चर्य हुआ ये देखकर कि पंजाब की ओर से इस रणनीति के तहत बल्लेबाज़ी नहीं हुई।

नतीजा ये हुआ कि क्रुणाल ने तीन किफ़ायती ओवर डाले, और महज़ 16 रन दिए। तीसरे ओवर में उन्हें विकेट भी मिला और अब क्रीज़ पर गेल आ गए थे।

मैच के बाद हमेशा की तरह उपलब्धि हासिल करने वाले खिलाड़ी को माइक पर बुलाकर उन्हें मुबारकबाद दी जाती है, ये प्रक्रिया ख़त्म होने के एक मिनट के अंदर मुंबई की ओनर नीता अंबानी के पास माइक था और वह कायरन पोलार्ड के 150वें मैच के अवसर पर ख़ुश थीं। उन्होंने मज़ाक भी किया और कहा कि पोलार्ड ने इसका जश्न तीन शानदार ओवर्स के साथ मनाया है, पोलार्ड ने हंसा और कहा "हां, डीजे (सीकेएम धनंजय, टीम एनलिस्ट) ने रोहित को आख़िरकार मेरे गेंदबाज़ी आकंड़ों के बारे में बताया।"

सभी लोग हंस रहे थे, लेकिन सच में यही कहानी थी। पोलार्ड को मुंबई के लिए उतनी गेंदबाज़ी नहीं मिलती जितनी गेंदबाज़ी वह कर सकते हैं, जबकि दूसरे कप्तानों के अंदर उन्होंने इससे ज़्यादा गेंदबाज़ी की है। पोलार्ड मुंबई के पांच कप्तानों के अंदर खेल चुके हैं, जिसमें छ: बार उन्होंने ख़ुद भी कप्तानी की है। सिर्फ़ रोहित शर्मा ही ऐसे कप्तान हैं जिनके अंदर पोलार्ड ने प्रत्येक मैच एक ओवर से भी कम गेंदबाज़ी की है।

कभी कभार ही उनका इस्तेमाल रोहित बतौर गेंदबाज़ करते हैं, लेकिन जब पोलार्ड और गेल एक साथ खेल रहे होते हैं तो पोलार्ड ने उन सभी तीन मैचों में गेदबाज़ी की है। हर बार ऐसा इसलिए ही होता है कि गेल के ख़िलाफ़ स्पिन गेंदबाज़ को लाने से बचा जा सके, और प्रमुख गेंदबाज़ों को डेथ ओवर्स के लिए बचाकर रखा जाए।

लेकिन इस बार गेल कुछ और इरादा करके आए थे, वह नहीं चाहते थे कि उनके ख़िलाफ़ पोलार्ड सेट हो जाएं। गेल तुरंत बड़ी हिट नहीं लगाते, लेकिन वह जान रहे थे कि मुंबई ने किस रणनीति के तहत पोलार्ड को आक्रमण पर लगाया है और वह इसे बर्बाद करना चाहते थे। पोलार्ड हालांकि गेल से ज़्यादा बेहतर तरीक़े से इस परिस्तिथि को समझा और उन्हें लॉन्ग ऑन पर आउट करा दिया। उसी ओवर में राहुल का विकेट तो मानो बोनस के तौर पर आ गया था, और अब मुंबई सिर्फ़ पूरन की विकेट के तलाश में था ताकि उसके बाद आसानी से अपने स्पिनर्स को आक्रमण पर ला सके।

लिहाज़ा वह आटवें ओवर में जसप्रीत बुमराह के साथ गए, और बुमराह ने पूरन की विकेट लेकर कप्तान को ख़ुश कर दिया। ये मुंबई के लिए एक आदर्श शुरुआत थी, सिर्फ़ इसलिए नहीं कि पहले आठ ओवर में उन्होंने चार विकेट झटक लिए थे, बल्कि अपने पांचवें गेंदबाज़ के चार ओवर भी करा लिए थे। यही वजह है कि फिर दोबारा पोलार्ड को गेंदबाज़ी नहीं दी गई, ये है मुंबई की शानदार रणनीति।

Chris GayleMumbai IndiansPunjab KingsPBKS vs MIIndian Premier League

सिद्धार्थ मोंगा ESPNcricinfo में असिस्टेंट एडिटर हैं, अनुवाद ESPNcricnfo हिंदी के मल्टीमीडिया जर्नलिस्ट सैयद हुसैन ने किया है।