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तेंदुलकर बनाम लारा की यादगार कड़ियां : शारजाह, वेलिंग्टन के रास्ते नागपुर, बारबडोस तक

1991 में शुरू हुई इस प्रतिद्वंद्विता का अगला अध्याय बुधवार को कानपुर में लिखा जाएगा

सचिन और लारा के दौर में हमेश चर्चा होती रहती कि दोनों में बेहतर कौन है  BCCI

बुधवार को रोड सेफ़्टी वर्ल्ड सीरीज़ के अंतर्गत इंडिया लेजेंड्स का मुक़ाबला वेस्टइंडीज़ लेजेंड्स के साथ होगा। दोनों ही टीमें अपना पहला मैच बड़ी आसानी से जीती थीं लेकिन इस मैच में वेस्टइंडीज़ लेजेंड्स के लिए ब्रायन लारा इस सीज़न पहली बार टीम में शामिल होंगे। वैसे यह मुक़ाबला इस टूर्नामेंट के इतिहास में तीसरी बार सचिन तेंदुलकर और लारा को बतौर कप्तान आमने-सामने लाएगा।

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मार्च 2020 में इस टूर्नामेंट के इतिहास में पहले ही मैच में भारत की आसान जीत में तेंदुलकर ने सिर्फ़ 36 ही बनाए, लेकिन कोरोना के चलते पिछले साल खेले गए सेमीफ़ाइनल में जहां तेंदुलकर 42 गेंदों पर 65 रनों के साथ प्लेयर ऑफ़ द मैच रहे, वहीं लारा ने भी 28 गेंदों पर 46 रनों की आकर्षक पारी खेली लेकिन वेस्टइंडीज़ को जीत नहीं दिला पाए।

आइए नज़र डालते हैं इन दोनों धुरंदरों के ऐतिहासिक प्रतिद्वंद्विता पर जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर 16 सालों तक 47 बार दिखी।

वनडे क्रिकेट के शहज़ादे

लारा और तेंदुलकर पहली बार आमने-सामने आए अक्तूबर 1991 में शारजाह में पाकिस्तान के साथ खेले गए त्रिकोणीय श्रृंखला में। इसके बाद जल्द ही ऑस्ट्रेलिया में त्रिकोणीय श्रृंखला में भी दोनों का सामना हुआ। शारजाह में लारा सलामी बल्लेबाज़ के तौर पर ख़ुद को स्थापित करने में व्यस्त थे, और मज़े की बात है जब तेंदुलकर ने अपने माध्यम तेज़ गति की गेंदबाज़ी से 34 रन देकर चार विकेट लिए तो उस मैच में लारा एकादश का हिस्सा नहीं थे।

ऑस्ट्रेलिया में तेंदुलकर फ़ॉर्म में आते नज़र आए और वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ लगातार मैचों में 48, 77 और 54 नाबाद के स्कोर बनाए। हालांकि विश्व कप में दोनों की टीमें सेमीफ़ाइनल तक का फ़ासला नहीं तय कर पाईं लेकिन जहां लारा चार अर्धशतकों के साथ अपनी टीम के टॉप स्कोरर रहे, वहीं तेंदुलकर ने भी तीन अर्धशतक के साथ ठीक लारा की तरह 47 के औसत से रन बटोरे।

ओपनर लारा ने टूर्नामेंट की शुरुआत में पाकिस्तान को 10 विकेट से हराने में 88 नाबाद बनाए (वसीम अकरम की यॉर्कर के चलते उन्हें रिटायर्ड हर्ट होना पड़ा) और आख़िरी मैच में 70 रन बनाने के बावजूद ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध जीत नहीं दिला पाए। लेकिन वेलिंग्टन में हुए भारत-वेस्टइंडीज़ मैच में जहां कर्टली ऐम्ब्रोज़ ने तेंदुलकर को चार पर आउट किया, वहीं लारा ने 37गेंदों पर 41 रन बनाए।

वह भारत का पूरा दौरा

तेंदुलकर और लारा 1993 में मल्टी-नेशन हीरो कप में भी दो बार मिले लेकिन दोनों के बीच एक पूरा दौरा अगले साल भारत में हुआ। तब तक दोनों की वनडे भूमिका में परिवर्तन आ चुका था, और तेंदुलकर हाल ही में वनडे क्रिकेट में अपना पहला शतक भी जड़ चुके थे। उस फ़ॉर्म को बरक़रार रखते हुए तेंदुलकर ने न्यूज़ीलैंड और वेस्टइंडीज़ के साथ त्रिकोणीय श्रृंखला और वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ द्विपक्षीय सीरीज़ में बड़े रन बनाए। कटक में लारा ने 89 बनाए तो तेंदुलकर ने जवाब में 88 ही नहीं मारा, दो दिन बाद जयपुर में शतकीय पारी भी खेल दी।

टेस्ट सीरीज़ में दोनों का सामना टेस्ट क्रिकेट में पहली बार हुआ और नागपुर टेस्ट में तेंदुलकर का 179 का स्कोर हर प्रारूप मिलाकर वेस्टइंडीज़ के विरुद्ध उनका सर्वाधिक स्कोर है। हालांकि भारत वह टेस्ट जीतकर सीरीज़ अपने नाम नहीं कर सका और एक बार फिर आख़िरी बाज़ी रही लारा के नाम। मोहाली के पहले टेस्ट मैच में लारा ने एक मुश्किल पिच पर 40 और 91 की ज़बरदस्त पारियां खेली और वेस्टइंडीज़ को सीरीज़ बराबरी पर ख़त्म करवाया।

तेंदुलकर की 179 रनों की पारी 2000 तक टेस्ट में उनका सर्वाधिक स्कोर था  The Hindu Photo Archives

कैरिबियन में दो-दो हाथ

1996 विश्व कप में जीत रही भारत की और तेंदुलकर की अर्धशतकीय पारी ग्वालियर में हुए उस मैच का मुख्य अंश था, हालांकि दोनों ही टीमें सेमीफ़ाइनल में हार गईं। अगले साल जब भारत आठ साल बाद वेस्टइंडीज़ गया तो तेंदुलकर भारत के कप्तान थे। एक बार फिर से तेंदुलकर का बल्ला चढ़कर बोला, लेकिन बारबडोस टेस्ट में लारा पहली बार कप्तानी करते हुए बाज़ी मार गए। शायद आपको यह मैच याद है...जहां भारत 120 कर लेता तो तेंदुलकर, अजीत वाडेकर के बाद दूसरे भारतीय कप्तान बन सकते थे जिन्होंने वेस्टइंडीज़ में सीरीज़ जीता हो।

इसके बाद टेस्ट क्रिकेट में दोनों खिलाड़ी केवल 2002 में वेस्टइंडीज़ में आमने-सामने आए। लारा के घरेलू मैदान पोर्ट ऑफ़ स्पेन में भारत ने टेस्ट जीता तो उसमें तेंदुलकर ने 117 बनाए। उस साल भारत में सीरीज़ में लारा अस्वस्थ्य होने से बाहर रहे और तेंदुलकर 2006 में वेस्टइंडीज़ के दौरे पर नहीं जा पाए।

1998 के चैंपियंस ट्रॉफ़ी में बाज़ी फिर से रही लारा के नाम  AFP

आईसीसी के और मुक़ाबले

वैसे तो लारा और तेंदुलकर साथ में 1996 के बाद तीन और विश्व कप साथ खेले लेकिन फ़ॉर्मैट ही ऐसे थे कि इनमें दोनों देशो की कहीं मुलाक़ात नहीं हुई। हालांकि आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफ़ी में दोनों 1998 और 2006 में मिले और फिर से लारा और वेस्टइंडीज़ का पलड़ा भारी रहा। ढाका में लारा ने 60 नाबाद बनाए तो आठ साल बाद अहमदाबाद में उनके बल्ले से पांच ही रन निकले लेकिन बतौर कप्तान उन्होंने अपनी टीम और गत विजेता वेस्टइंडीज़ को जीत दिलाई।

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देबायन सेन ESPNcricinfo हिंदी में सीनियर सहायक एडिटर और स्थानीय भाषा लीड हैं।