अगर अजिंक्य रहाणे फ़िट नहीं होते हैं, तो किसे मौका मिलना चाहिए?
4 अगस्त से शुरू हो रहे पहले टेस्ट से पहले भारतीय टीम को कुछ चयन पहेलियां सुलझानी होगी

बेन स्टोक्स के बाहर हो जाने के बाद इंग्लैंड टीम की चयन चुनौतियां भारतीय टीम से अधिक हो गई हैं। एक प्रॉपर ऑलराउंडर होने के कारण वह बल्लेबाज़ी और गेंदबाज़ी दोनों में संतुलन देते हैं। लेकिन कई ऐसे पहलू हैं जिनका समाधान भारतीय टीम को भी बुधवार से शुरू हो रहे ट्रेंट ब्रिज टेस्ट से पहले करना होगा।
पुजारा का क्या होगा?
शुभमन गिल के चोटिल होने के बाद मयंक अग्रवाल, रोहित शर्मा के साथ ओपनिंग करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। मयंक टीम के बैक-अप ओपनर थे और उन्हें टीम में दूसरे ओपनर अभिमन्यु ईश्वरन से आगे खेलने का मौका मिलेगा। वहीं कप्तान विराट कोहली नंबर चार पर खेलेंगे।
नंबर तीन पर चेतेश्वर पुजारा पर बड़ा स्कोर बनाने का दबाव होगा। 2018-19 में ऑस्ट्रेलिया के अपने शानदार दौरे के बाद से पुजारा ने कोई शतक नहीं बनाया है। इस दौरान 18 टेस्ट में उनका औसत महज़ 28 का रहा है। भारत को पुजारा से अच्छी पारी की उम्मीद होगी। हालांकि तीन साल पहले इंग्लैंड दौरे पर उनका प्रदर्शन बहुत ख़ास नहीं रहा था। इसलिए आश्चर्य नहीं होगा कि अगर टीम मैनेजमेंट पुजारा को बाहर करने का फैसला ले।
क्या होगा अगर रहाणे फ़िट नहीं होते हैं?
पुजारा बाहर होते हैं या नहीं, यह बहस उपकप्तान अजिंक्य रहाणे की फ़िटनेस पर भी निर्भर करता है। रहाणे की फ़िटनेस पर अनिश्चितता है, जो हैमस्ट्रिंग की चोट के कारण डरहम में तीन दिवसीय अभ्यास मैच में खेलने से चूक गए थे। यही कारण है कि इस दौरे के लिए सूर्यकुमार यादव को बैकअप बल्लेबाज़ के रूप में बुलाया गया था। हालांकि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) को पूरी उम्मीद है कि पहले टेस्ट के लिए रहाणे फ़िट हो जाएंगे। लेकिन अगर वह फ़िट नहीं होते हैं तो भारतीय टीम को हनुमा विहारी और केएल राहुल के बीच किसी एक का चुनाव करना होगा।
हनुमा विहारी इंग्लैंड के पिछले दौरे से ही छठे नंबर के बल्लेबाज़ के रूप में टीम मैनेजमेंट की पहली पसंद रहे हैं। लेकिन 2019 में अपना आख़िरी टेस्ट खेलने वाले केएल राहुल ने अभ्यास मैच में शतक लगाकर इस जगह पर अपना दावा ठोक दिया है।
निचला मध्य क्रम
भारत का निचले मध्यक्रम का प्रदर्शन पिछले कुछ सालों में आशा के अनुरूप नहीं रहा है। पिछले साल न्यूज़ीलैंड के दौरे पर यह फेल हुई थी, लेकिन ऑस्ट्रेलिया में उन्होंने रन बनाए और टीम को जिताया। विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप फ़ाइनल में भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया दौरे की तरह ही दो स्पिनरों के साथ उतरी, जो निचले क्रम में ठीक बल्लेबाज़ी भी कर लेते हैं। लेकिन वहां पर वे असफल रहे और भारत को हार नसीब हुआ। नंबर 6, 7 और 8 किसी भी एकादश का अहम हिस्सा होते हैं। यहां पर उन्हें रन बनाने के लिए जाना होगा और कोशिश करना होगा कि विकेट के पीछे वे अपना बहुमूल्य विकेट कम से कम गवाएं।
कोरोना से उबरने के बाद ऋषभ पंत खेलने के लिए तैयार हैं। वहीं इसकी भी प्रबल संभावना है कि भारत अपने प्रमुख दो स्पिनरों - आर अश्विन और रवींद्र जाडेजा के साथ ही उतरे, क्योंकि वे गेंदबाज़ी के साथ-साथ बल्लेबाज़ी को भी विविधता, अनुभव और मजबूती देते हैं। अगर परिस्थितियां स्पिन के बिल्कुल ख़िलाफ़ रहती हैं और मेज़बान टीम ग्रीन टॉप विकेट तैयार करती है, तो टीम मैनेजमेंट अपने इस फैसले पर पुनर्विचार कर सकती है और टीम में एक अतिरिक्त बल्लेबाज या शार्दुल ठाकुर को शामिल किया जा सकता है।
क्या सिराज को मिलेगा मौका?
विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फ़ाइनल में भी सिराज को मौका मिल सकता था, लेकिन भारत ने इशांत शर्मा, मोहम्मद शमी और जसप्रीत बुमराह की अनुभवी तिकड़ी के साथ जाना पसंद किया। भले ही सीरीज़ के शुरूआत में टीम इंडिया फिर से इन्हीं तीनों के साथ खेलना पसंद करे, लेकिन सीरीज़ के किसी मोड़ पर मोहम्मद सिराज को जरूर मौका मिलेगा। बल्लेबाज़ी की सीमाओं को देखते हुए चारों का एक साथ खेलना मुश्किल ही लग रहा है।
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