धवन : मेरा शांत स्वभाव कप्तानी में मेरी मदद करता है
न्यूज़ीलैंड में वनडे टीम के कप्तान का मानना है कि उन्हें पंजाब किंग्स की कप्तानी मिलने का अंदेशा था

पिछले साल जून के महीने में शिखर धवन को पहली बार भारतीय टीम का नेतृत्व करने का अवसर मिला जब उनकी अगुवाई में भारतीय टीम को श्रीलंका दौरे पर भेजा गया। धवन को अब आईपीएल में मयंक अग्रवाल की जगह पंजाब किंग्स की कमान सौंपी गई है। फ़िलहाल धवन न्यूज़ीलैंड दौरे पर वनडे सीरीज़ में टीम इंडिया की कप्तानी करने वाले हैं। ऐसे में ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो ने धवन से उनकी कप्तानी को लेकर एक विस्तृत चर्चा की है।
धवन ने पंजाब किंग्स की कप्तानी मिलने पर कहा, "पिछला सीज़न हमारे लिए अच्छा नहीं गया। मुझे इस बात का अंदेशा था कि मुझे कप्तानी मिल सकती है। इसलिए मैंने यह इरादा कर लिया था कि मैं इस अवसर को लूंगा और प्रभाव छोड़ने का भरपूर प्रयास करूंगा। अगर पंजाब किंग्स की बात करें तो जैसा टीम मालिक चाहते थे वैसी सफलता टीम को अभी तक नहीं मिल पाई है। ज़ाहिर तौर पर मैं उनकी भावनाओं को समझता हूं। इसलिए जब हम एक टीम का निर्माण कर रहे हैं तो यह ज़रूरी है कि खिलाड़ी से लेकर सपोर्ट स्टाफ़ तक लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक ही दिशा में ज़ोर आजमाइश करें। मेहनत और तैयारी करना हमारे बस में है और इसके बाद सबकुछ समय पर निर्भर करता है, जिसका नतीजा ज़रूर निकलेगा।"
धवन से जब पूछा गया कि क्या भारत की कप्तानी मिलने के बाद उनकी माइंडसेट पर किसी तरह का बदलाव आया है तब उन्होंने कहा कि फ़ील्ड पर उनका शांत स्वभाव उनकी मज़बूती है और इसी वजह से वह टीम का अच्छे से नेतृत्व कर पाते हैं।
उन्होंने कहा, "जब आप कप्तान बनते हैं तो आपके ऊपर काफ़ी ज़िम्मेदारियां आ जाती हैं। आपको पूरी टीम के बारे में सोचना होता है और यह भी कि वातावरण को कैसे अच्छा रखना है। लेकिन मुझे इसके लिए अधिक मशक्कत करनी नहीं पड़ती क्योंकि एक खिलाड़ी के तौर पर मैं बहुत जल्दी समूह में घुल मिल जाता हूं और इस स्वभाव ने मुझे कप्तानी में भी काफ़ी मदद पहुंचाई है। इसके अलावा मेरा शांत स्वभाव भी फ़ील्ड पर एक लीडर के तौर पर मेरी मदद करता है। मैं चीज़ों को आराम से नियंत्रित कर पाता हूं। मैच के दौरान ग़लतियां होती हैं लेकिन उनसे खिलाड़ियों को उबारना बहुत ज़रूरी होता है। खिलाड़ियों के ऊपर कैसे दबाव न पड़े, यह कुछ ऐसा है जिसे मैंने सीखा है। मुझे ख़ुद में हमेशा से एक अच्छा कप्तान होने की क्षमता महसूस होती थी और भगवान का शुक्र है कि मुझे कप्तानी मिली। मैंने वेस्टइंडीज़ और साउथ अफ़्रीका के ख़िलाफ़ कप्तानी की और हमें जीत मिली।"
हालांकि जब धवन से जब पूछा गया कि उनके अनुसार उन्हें अपनी कप्तानी में सुधार की क्या गुंजाइश लगती है तो इस पर उनके चेहरे पर मुस्कान आ गई।
धवन ने कहा, "मैंने अभी तक यह सब नहीं सोचा है। मैंने अभी तक सिर्फ़ तीन या चार दौरों पर ही भारतीय टीम का नेतृत्व किया है और यह अभी तक काफ़ी अच्छा अनुभव रहा है। जहां भी मैं नेतृत्व कर रहा हूं, वहां भावनात्मक लगाव का होना बेहद ज़रूरी है। एक कप्तान के तौर पर अपने अहं को नियंत्रित रखना मेरे लिए सबसे ज़रूरी चीज़ है।"
मयंक पंजाब किंग्स के कप्तान बनने से पहले टीम के सबसे बेहतरीन बल्लेबाज़ थे। लेकिन कप्तानी मिलने के बाद इसका बोझ उनकी बल्लेबाज़ी पर साफ़ नज़र आने लगा। ख़ुद आईपीएल के पिछले दो सीज़न में धवन का बल्लेबाज़ी स्ट्राइक रेट 120 का रहा है। धवन इससे पहले आईपीएल में सनराइज़र्स हैदराबाद की कप्तानी भी कर चुके हैं। लेकिन हैदराबाद की कमान संभालने के दौरान उनकी बल्लेबाज़ी पर असर पड़ने लगा जिसके बाद उन्हें उस कप्तानी से हाथ धोना पड़ा।
धवन ने कहा, "ज़िम्मेदारी मिलती है और जाती है, इसको लेकर उतनी चिंता नहीं करनी चाहिए। मुझे इसके जाने का कोई भय नहीं रहता। सिर्फ़ इसलिए क्योंकि मैं कप्तान हूं, मैं अपने ऊपर भार नहीं पड़ने देना चाहता। मैं सिर्फ टीम की ज़रूरत और लक्ष्य के हिसाब से अपना खेल खेलूंगा। मुझे याद है पिछले साल भी पंजाब किंग्स को लेकर लोग कह रहे थे कि यह टीम काग़ज़ पर बहुत मज़बूत नज़र आ रही है लेकिन इस बार यह काग़ज़ और मैदान दोनों जगहों पर मज़बूत नज़र आएगी।"
हालांकि इसके साथ ही धवन यह भी माना कि उन्हें अपने स्ट्राइक रेट पर काम करने की ज़रूरत है। लेकिन उन्होंने पिछले सीज़न में अपने कम स्ट्राइक रेट का यह कहते बचाव किया कि टीम में अधिकतर आक्रामक बल्लेबाज़ थे इसलिए उन्हें बल्लेबाज़ी में एंकर का रोल अदा करना पड़ा। उन्होंने हैदराबाद के साथ कप्तानी के अपने अनुभव को साझा किया।
धवन ने कहा, "मुझे अभी भी यही लगता है मुझे पूरे सीज़न में कप्तानी करने दिया जाना चाहिए था। अगर मुझे पता होता कि मुझे कप्तानी के लिए सिर्फ़ आधा सीज़न ही दिया जाएगा तो मैं कप्तानी करना कभी स्वीकार नहीं करता। मैं एक बल्लेबाज़ के तौर पर अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहा था इसलिए उन्हें लगा होगा कि कप्तानी मेरी बल्लेबाज़ी पर असर डाल रही है। लेकिन मेरे ज़हन में यह सब उतने मायने नहीं रख रहा था इसलिए मैंने उनके निर्णय को सहज स्वीकार कर लिया।"
पिछले कुछ सालों में लगातार कप्तान और कोच बदलने के बावजूद पंजाब प्लेऑफ़ में पहुंचने में असफल रही है। 2018 और 2020 में अगर पंजाब ने लीग स्टेज का अपना अंतिम मुक़ाबला जीत लिया होता तो वह नॉकआउट में प्रवेश कर जाते। हालांकि धवन का मानना है कि अतीत के बारे में सोचने से अधिक महत्वपूर्ण आगे की ओर देखना है। उन्होंने कहा, "हम अतीत में की गई ग़लतियों से सीख ले सकते हैं लेकिन इसके बोझ को आगे ले जाने की कोई ज़रूरत नहीं है। हम आईपीएल खेल रहे हैं, अपने सपने को जी रहे हैं। इसलिए यह ख़ुशियों से परिपूर्ण होना चाहिए न कि तनावपूर्ण। एक और चीज़ यह कि मैंने अब तक जितनी भी टीमों के साथ खेला है, उनके साथ मैंने आईपीएल का फ़ाइनल भी खेला है (डेक्कन चार्जर्स को छोड़कर)।
जब धवन से पूछा गया कि क्या वह ख़ुद को लकी चार्म बता रहे हैं? तब उन्होंने मज़क़िया अंदाज़ में कहा, "वो तो मैं हूं ही। मैंने मुंबई (इंडियंस), हैदराबाद और दिल्ली (कैपिटल्स) के साथ फ़ाइनल खेला है। मैं उम्मीद करता हूं कि हम ज़रूर फ़ाइनल खेलेंगे और जीतेंगे, आगे मालिक की मर्ज़ी।"
आप धवन का पूरा साक्षात्कार हमारी अंग्रेज़ी वेबसाइट पर भी पढ़ सकते हैं।
यह साक्षात्कार ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो के न्यूज़ एडिटर नागराज गोलापुड़ी ने किया है।
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