चैंपियंस ट्रॉफ़ी के मद्देनज़र भारत ने श्रीलंका में क्या खोया क्या पाया?
रोहित के अलावा भारतीय बल्लेबाज़ों ने किया निराश, और कौन से क्षेत्र में भारत को है सुधार की ज़रूरत?
Rohit: Gambhir very clear on what he wants to do
The India captain wants to work with the new coach to figure out "what we want to achieve in ODI cricket"भारतीय कप्तान रोहित शर्मा ने श्रीलंका के ख़िलाफ़ तीन वनडे मैचों की श्रृंखला शुरू होने से पहले कहा था कि इस समय उनकी टीम ज़्यादा आगे की योजना बनाना नहीं चाहती है लेकिन इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि इस श्रृंखला में उनकी और उनकी टीम की यही समझने की कोशिश रहेगी कि आख़िर उन्हें वनडे क्रिकेट में क्या हासिल करना है। भारत श्रीलंका के हाथों 27 वर्षों बाद कोई वनडे श्रृंखला हारा है। एक नज़र इस श्रृंखला में भारतीय टीम के प्रदर्शन से जुड़े उन पहलुओं पर डालते हैं जो भारतीय टीम के लिए सकारात्मक और नकारात्मक रहे।
शीर्ष क्रम में रोहित बने वन मैन आर्मी
कप्तान रोहित शर्मा वनडे श्रृंखला में भारत के लिए वन मैन आर्मी साबित हुए। रोहित ने 3 मैचों में 52.33 की औसत और 141.44 के स्ट्राइक रेट से 157 रन बनाए। रोहित ने तीनों मैचों में भारत को एक तेज़ शुरुआत दिलाई लेकिन इसका लाभ उठाने में भारत के अन्य बल्लेबाज़ असफल रहे। भारत की ओर से इस श्रृंखला में अर्धशतक (2) सिर्फ़ रोहित के बल्ले से ही आया। उनके जोड़ीदार शुभमन गिल भी पहले मैच में 35 रनों की पारी के अलावा अधिक प्रभावित नहीं कर पाए। दूसरी पारी में खेल के आगे बढ़ने के साथ ही पिच स्पिनर्स के लिए बेहतर हो रही थी, ऐसे में शीर्ष क्रम में एक अन्य ऐसे बल्लेबाज़ की ज़रूरत थी जो रोहित के साथ पारी की गति को धीमा पड़ने से रोक सकता था।
विराट कोहली भी पूरी श्रृंखला में अपेक्षाकृत प्रदर्शन नहीं कर पाए। वह तीनों मैच में स्पिनर्स के हाथों एलबीडब्ल्यू आउट हुए जो कि चर्चा का विषय बना रहा। यशस्वी जायसवाल के रूप में भारत के पास विकल्प मौजूद है लेकिन इस प्रारूप में गिल का प्रदर्शन इतना ख़राब नहीं है जिसके चलते उन्हें जल्द रिप्लेस किया जा सके। वनडे वर्ल्ड कप में भी गिल ने अपने बल्ले से प्रभावित किया था। ऐसे में सिर्फ़ एक श्रृंखला के चलते किसी भी नतीजे पर पहुंचना जल्दबाज़ी होगी, ख़ासकर तब जब रोहित के अलावा कोई अन्य बल्लेबाज़ प्रभावित नहीं कर पाया। दूसरी तरफ़ भारतीय टीम मैनेजमेंट गिल को सीमित ओवरों के भावी कप्तान के तौर पर भी देख रहा है।
Rohit breaks down his batting method in the powerplay
India captain was very aggressive inside the fielding restrictions during the Sri Lanka ODIsफेरबदल से जूझता रहा भारतीय मध्य क्रम
भारत के मध्य क्रम ने पूरी सीरीज़ में संतोषजनक प्रदर्शन नहीं किया। रोहित के बाद श्रृंखला में भारत की ओर से दूसरा व्यक्तिगत सर्वोच्च स्कोर अक्षर पटेल (44) का था। सर्वाधिक रन बनाने वाले शीर्ष पांच बल्लेबाज़ों में भारत से सिर्फ़ रोहित ही थे। दूसरे मैच में भारतीय मध्य क्रम में फेरबदल भी किए गए, विशेषकर श्रेयस अय्यर और केएल राहुल के बल्लेबाज़ी क्रम में बदलाव किया गया।
हालांकि दूसरे वनडे के बाद सहायक कोच अभिषेक नायर ने यह ज़रूर कहा कि इस निर्णय के पीछे मंशा क्रीज़ पर बाएं और दाएं हाथ के कॉम्बिनेशन को सुनिश्चित करना था। लेकिन यह फेरबदल श्रृंखला के निर्णायक और तीसरे मैच में भी जारी रहा जब पहले मैच में जुझारू पारी खेलने वाले राहुल को प्लेइंग इलेवन में शामिल नहीं किया गया और उनकी जगह पर ऋषभ पंत को एकादश में शामिल किया गया।
पंत और राहुल वनडे में विकेटकीपर के लिए दो प्रबल दावेदार हैं और राहुल को श्रृंखला की शुरुआत में तरजीह भी दी गई। अंतिम वनडे में संभवतः पंत को राहुल की जगह पर शामिल करने की एक बड़ी वजह मध्य क्रम में एक अतिरिरिक्त बाएं हाथ के बल्लेबाज़ को शामिल किए जाने की सोच भी हो सकती है, ऐसे में अभी इस बात के ही आसार अधिक हैं कि राहुल अभी भी बतौर विकेटकीपर भारतीय टीम मैनेजमेंट की पहली पसंद होंगे।
ऑलराउंडर में किसने कितना प्रभावित किया?
शिवम दुबे को पांच वर्ष बाद वनडे प्रारूप में मौक़ा मिला था। पहले वनडे में दुबे ने 25 रनों एक जुझारू पारी खेली लेकिन वह भारत को जीत की दहलीज़ पार नहीं करा पाए। हार्दिक पंड्या की अनुपस्थिति में दुबे ने श्रृंखला में कुल 10 ओवर ही किए लेकिन उन्होंने 3.80 की इकॉनमी से किफ़ायती गेंदबाज़ी और गेंदबाज़ी में भारत के पास पर्याप्त विकल्प भी मौजूद थे। दुबे ने तीसरे मैच में अर्शदीप सिंह की अनुपस्थिति में भारतीय टीम के लिए गेंदबाज़ी का आग़ाज़ भी किया।
वॉशिंगटन सुंदर ने दूसरे और तीसरे मैच में बल्ले से योगदान देने के अलावा गेंदबाज़ी में काफ़ी प्रभावित किया। ज़िम्बाब्वे दौरे पर T20 श्रृंखला में प्लेयर ऑफ़ द सीरीज़ रहने वाले वॉशिंगटन को रवींद्र जाडेजा की अनुपस्थिति में वनडे सीरीज़ में मौक़ा मिला था और उन्होंने गेंद के साथ ज़रा भी निराश नहीं किया। तीन मैच में वॉशिंगटन ने कुल 27 ओवर डाले जिसमें 3.88 की प्रभावी इकॉनमी से उन्होंने पांच विकेट चटकाए। अक्षर भले ही उम्मीदों के मुताबिक प्रदर्शन ना कर पाए हों लेकिन दूसरे मैच में 44 रनों की पारी के अलावा पहले मैच में अगर उनकी 33 रनों की पारी नहीं होती तो श्रीलंका इस श्रृंखला में भारत का 3-0 से भी सुपड़ा साफ़ कर सकता था। रियान पराग को वनडे श्रृंखला में सिर्फ़ एक मैच खेलने का ही मौक़ा मिला लेकिन गेंदबाज़ी में उन्होंने अपने वनडे डेब्यू पर तीन अहम विकेट निकाले। पराग ने टी20 श्रृंखला में भी प्रभावी प्रदर्शन किया था।
भारत ने इस श्रृंखला में बल्लेबाज़ी ऑलराउंडर्स को जमकर मौक़े दिए जो इस बात के संकेत हैं कि चैंपियंस ट्रॉफ़ी से पहले भारतीय टीम मैनेजमेंट ऐसे बल्लेबाज़ों को तरजीह दे रहा है जो गेंदबाज़ी भी कर सकते हों।
गेंदबाज़ी में कैसा रहा प्रदर्शन?
कुलदीप यादव इस श्रृंखला में भारत के प्रमुख स्पिनर थे और वॉशिंग्टन और अक्षर की जोड़ी उनके सहायकों की भूमिका में थी। स्पिन विभाग का प्रदर्शन भारत के लिए उतना चिंता का विषय नहीं है। हालांकि श्रीलंका के स्पिनर्स के मुक़ाबले कुलदीप का प्रदर्शन फीका रहा। कुलदीप अपनी टीम के प्रमुख स्पिनर हैं और श्रृंखला में वह पूरे 30 ओवर करने के बावजूद चार बल्लेबाज़ों का ही शिकार कर पाए। जबकि श्रीलंका के तीन स्पिनर्स ने श्रृंखला में अपने कोटे के पूरे ओवर डालने के बावजूद पांच से अधिक विकेट चटकाए।
हालांकि इस प्रदर्शन की बड़ी वजह तीनों मैचों में भारत का पहले गेंदबाज़ी करना भी रहा क्योंकि दूसरी पारी में पिच स्पिन को काफ़ी मदद दे रही थी लेकिन श्रीलंका का स्पिन आक्रमण उस भारतीय बल्लेबाज़ी को छकाने में सफल रहा जो स्पिन के अच्छे खिलाड़ी माने जाते हैं। भारत ने 30 में से 27 विकेट स्पिनर्स के ख़िलाफ़ गंवाए जो कि एक द्विपक्षीय श्रृंखला में किसी टीम द्वारा स्पिन के ख़िलाफ़ गंवाए गए विकेटों की संख्या के मामले में एक रिकॉर्ड है।
जसप्रीत बुमराह की अनुपस्थिति में तेज़ गेंदबाज़ उम्मीदों के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाए। भारतीय टीम पहले दो मैच में श्रीलंका के बल्लेबाजों पर दबाव बना चुकी थी लेकिन इसके बावजूद भारतीय गेंदबाज़ श्रीलंका को एक लड़ने लायक स्कोर तक पहुंचने से रोकने में नाकाम रहे। दूसरे मैच में महंगे साबित रहने वाले अर्शदीप की जगह पराग को अंतिम मैच में मौक़ा दिया गया। हालांकि पहले दो मैच में किफ़ायती गेंदबाज़ी करने वाले मोहम्मद सिराज भी अंतिम मैच में भारतीय टीम को सफल शुरुआत नहीं दिला पाए और काफ़ी महंगे भी रहे। मध्य क्रम की विफलता के अलावा तेज़ गेंदबाज़ी एक ऐसा पहलू है जिसके प्रदर्शन ने भारतीय टीम मैनेजमेंट की चिंता बढ़ाई होगी।
भले ही भारतीय टीम के दृष्टिकोण से यह श्रृंखला उतनी महत्वपूर्ण नहीं रही हो लेकिन बुमराह, हार्दिक और जाडेजा की अनुपस्थिति के इतर रोहित और कोहली जैसे सीनियर खिलाड़ी मौजूद थे। प्लेइंग इलेवन में रोहित और कोहली के अलावा अधिकतर ऐसे खिलाड़ी थे जो वनडे प्रारूप में टीम का नियमित हिस्सा रहे हैं। भले ही भारतीय टीम बहुत आगे की योजना बनाने के इरादे से इस श्रृंखला में ना भी उतरी हो लेकिन अगले साल चैंपियंस ट्रॉफ़ी में उस योजना को अमली जामा पहनाने की ज़िम्मेदारी इन्हीं खिलाड़ियों पर रहने वाली है।
नवनीत झा ESPNcricinfo में कंसल्टेंट सब एडिटर हैं।
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