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पाकिस्तान-इंग्लैंड प्रतिद्वंदिता : कहीं अंपायर का अपहरण, तो कहीं बॉथम की सास पर चर्चा

टी20 विश्व कप फ़ाइनल में आमने-सामने हैं दो ऐसी टीमें जिन्होंने 70 साल के क्रिकेट इतिहास में कई बार विवादों को जन्म दिया है

2006 के ओवल टेस्ट मैच में बॉल-टेंपरिंग के आरोपों के बाद पाकिस्तान की टीम मैदान पर आई नहीं और मैच का विजेता इंग्लैंड को घोषित कर दिया गया  Getty Images

रविवार को टी20 विश्व कप फ़ाइनल में पाकिस्तान और इंग्लैंड आमने-सामने होंगे। इत्तेफ़ाक़ से 1992 के 50-ओवर के विश्व कप फ़ाइनल में भी मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड (एमसीजी) में इन्हीं दो टीमों की भिड़ंत हुई थी।

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यूं तो क्रिकेट में कई राइवलरी मशहूर हैं, लेकिन इंग्लैंड और पाकिस्तान में एक ऐसा रिश्ता रहा है जिसमें कई बार विवादस्पद घटनाएं देखने को मिली हैं। बतौर क्रिकेट टीमें इन दोनों के बीच हमेशा संदेहपूर्ण और अप्रिय व्यवहार देखने को मिला है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण था 1992 और 1996 के बीच चला गेंद के साथ छेड़छाड़ करने का दावा, जो इंग्लैंड के ऑलराउंडर इयन बॉथम और बल्लेबाज़ ऐलन लैंब ने पूर्व पाकिस्तान कप्तान इमरान ख़ान पर लगाया था। अदालत में इस केस का फ़ैसला इमरान के पक्ष में आया था, लेकिन इसके अलावा भी इंग्लैंड-पाकिस्तान क्रिकेट में कई घटनाएं हुई हैं।

एक अंपायर की बेइज़्ज़ती (1955-56)

दिल्ली में जन्मे और 1930 और 1940 के दशकों में रणजी ट्रॉफ़ी खेले मिर्ज़ा इदरीस बेग़ ने 1955 और 1969 के बीच सात टेस्ट मैचों में बतौर अंपायर हिस्सा लिया। इनमें 1955-56 में इंग्लैंड द्वारा औपचारिक रूप से किए गए पहले पाकिस्तान दौरे के कुछ मैच शामिल थे। हालांकि आंकड़ों में इस दौरे पर हुए चार टेस्ट मैचों को पाकिस्तान बनाम एमसीसी का दर्जा दिया जाता है।

इंग्लैंड के खिलाड़ी बेग़ के अंपायरिंग से इतने असंतुष्ट थे कि पेशावर में एक मैच के दौरान एक शाम को उन्होंने बेग़ का होटल के कमरे से अपरहण किया, ज़बरदस्ती अपने होटल में ले गए और उन्हें कंबल में बंद अवस्था में उन पर एक बाल्टी ठंडा पानी डाल दिया। इस हरकत के बाद दौरा स्थगित या रद्द होने की कग़ार पर था, लेकिन एमसीसी अध्यक्ष लॉर्ड अलेग्ज़ैंडर और पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड अध्यक्ष इस्कंदर मिर्ज़ा ने ऐसा होने से रोक लिया।

बॉथम का बयान (1984)

बॉथम अपने खेल जीवन के दौरान रंगीन मिज़ाज और आकर्षक शैली के लिए जाने जाते थे। ऐसे में शायद ही कोई आश्चर्य की बात है कि उन्होंने 102 टेस्ट मैचों में केवल एक टेस्ट मैच पाकिस्तान की सरज़मीं पर खेला था, जो मार्च 1984 में कराची में हुआ था। इस दौरे पर उन्होंने अपने बोर होने की बात पर मज़ाक़ करते हुए कहा, "पाकिस्तान एक ऐसी जगह है जहां आप अपने ख़र्चे पर एक महीने के लिए अपनी सास को भेजना चाहेंगे।" (फ़र्ज़ करिए ऐसी बात अगर उन्होंने आज के सोशल मीडिया के ज़माने में कही होती तो क्या बवाल मच जाता।)

1992 फ़ाइनल में आउट होकर निराश पवेलियन लौटते बॉथम  Getty Images

कहा जाता है कि इस बात के सार्वजानिक होने पर इंग्लैंड की टीम को होटल के कर्मचारियों ने पूरा सर्विस देने से इनकार करना शुरू कर दिया था। बॉथम चोटिल होकर वापस इंग्लैंड चले गए और उन्होंने इस बात के लिए माफ़ी मांगी। हालांकि इसका एक मज़ेदार फ़ुटनोट 1992 फ़ाइनल में हुआ। 250 रन का पीछा करते हुए उन दिनों ओपनिंग कर रहे बॉथम को जर्सी से लगकर गेंद कीपर के पास जाने के बावजूद आउट दिया गया। अगर आप फ़ुटेज देखेंगे तो जश्न मनाते हुए आमिर सोहैल उनके पास कुछ सुना कर जाते हैं। सोहैल कहते हैं कि उन्होंने बॉथम से ऐसा कुछ ही पूछा था कि वह अपनी सास को अब कहां भेजना चाहेंगे।

जब गैटिंग को आया ग़ुस्सा (1987)

1987 के पाकिस्तान दौरे पर इंग्लैंड टीम की कमान माइक गैटिंग के हाथों में थी। सब सही चल रहा था लेकिन फ़ैसलाबाद में चल रहे दूसरे टेस्ट के दूसरे दिन जब इंग्लैंड के बनाए 292 के जवाब में पाकिस्तान,बल्लेबाज़ी कर रही थी तो अंपायर शकूर राणा ने ऑफ़ स्पिनर एडी हेमिंग्स की गेंदबाज़ी के बीच में फ़ील्ड में परिवर्तन किए जाने पर आपत्ति जताई। इस बात पर राणा और गैटिंग के बीच बहस शुरू हुई, उंगलियां उठाई गईं और स्टंप माइक पर कुछ गालियां भी सुनने को मिलीं। राणा ने इस मैच में आगे अंपायरिंग करने से मना कर दिया। तीसरे दिन कोई खेल नहीं हो पाया और अगला दिन वैसे भी रेस्ट डे था।

शकूर राणा और माइक गैटिंग के बीच हुआ विवाद  Getty Images

इस बीच गैटिंग को कप्तानी से हटाने की बात भी उठी लेकिन आख़िर में उन्होंने लिखित माफ़ी मांगकर ऐसा होने से बचा लिया। राणा ने 1996 तक अंपायरिंग की और पकिस्तान के इतिहास में श्रेष्ठ अंपायरों में उनका नाम शुमार है।

एक और अंपायर की कहानी (1992)

1992 की गर्मियों में पाकिस्तान ने इंग्लैंड का दौरा किया। विश्व कप फ़ाइनल को हुए लगभग दो महीने ही हुए थे और पाकिस्तान की टीम अब इमरान के बाद जावेद मियांदाद के नेतृत्व में खेल रही थी।

टेस्ट सीरीज़ का तीसरा मुक़ाबला ओल्ड ट्रैफ़र्ड में खेला जा रहा था और चौथी शाम को इंग्लैंड की पारी के दौरान पाकिस्तान के तेज़ गेंदबाज़ आक़िब जावेद लगातार इंग्लैंड के पुछल्ले बल्लेबाज़ डेवन मैल्कम को शॉर्ट गेंद डाल रहे थे। अंपायर रॉय पामर ने हस्तक्षेप करते हुए आक़िब को ऐसा करने पर चेतावनी दी और ओवर की समाप्ति में ऐसा लगा कि गेंदबाज़ को स्वेटर लौटाते हुए स्वेटर अंपायर के बेल्ट में फंस गया। आक़िब ने ग़ुस्से में अपने स्वेटर को खींचा और ऐसा लगा जैसे दोनों में कुछ कहा-सुनी भी हुई।

अंपायर पामर से कहा-सुनी करते पाकिस्तानी खिलाड़ी  Adrian Murrell / Getty Images

शायद इमरान होते तो इस मौक़े को शांत कर देते लेकिन मियांदाद भी अंपायर पामर से भिड़ गए। ऐसे में एक पाकिस्तानी समर्थक एक अख़बार लेकर मैदान पर उतर गया और अंपायर पामर की तरफ़ बढ़ने लगा लेकिन सुरक्षा कर्मियों ने उसे पकड़ लिया। इस व्यवहार के लिए आक़िब और पाकिस्तान मैनेजर इंतिख़ाब आलम (जिन्होंने टेस्ट के दौरान दावा किया कि पामर ने उनके टीम का अपमान किया) पर जुर्माना भी लगाया गया। पाकिस्तान में किसी ने भी पामर से कोई माफ़ी नहीं मांगी।

क्रिकेट इतिहास का सबसे अजीब परिणाम (2006)

2006 में इंग्लैंड घर पर चार टेस्ट की सीरीज़ 2-0 से जीत चुका था लेकिन ओवल में आख़िरी टेस्ट में पाकिस्तान मैच में आगे था। इंग्लैंड को 173 पर सिमेटकर पाकिस्तान ने 504 बनाए और चौथे दिन चाय काल तक इंग्लैंड ने चार विकेट पर 298 बना लिए थे, लेकिन मेज़बान मैच में अभी भी रनों के मामले में पीछे थे। लेकिन चाय के बाद साफ़ मौसम के बावजूद इस मैच में कोई खेल नहीं हुआ।

दरअसल चाय से पहले सत्र में अंपायर डैरेल हेयर ने बॉल की जांच करके यह निर्णय लिया था कि फ़ील्डिंग टीम पाकिस्तान ने उसके साथ छेड़-छाड़ की थी और ऐसे में इंग्लैंड को पांच पेनल्टी रन दिए थे। चाय के ब्रेक में पाकिस्तान कप्तान इंज़माम-उल-हक़ ने यह फ़ैसला लिया कि यह निर्णय अनुचित ही नहीं था बल्कि उनकी टीम के लिए एक बड़ा अपमानजनक लांछन भी था। 20 मिनट के विलंब के बाद अंपायरों ने मैच इंग्लैंड को अवॉर्ड किया। 1877 से चल रहे टेस्ट क्रिकेट इतिहास में किसी मैच का निर्णय इस तरह से आना एक अद्वितीय बात है।

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