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बुमराह का रिप्लेसमेंट कहां से लाएगा भारत?

उनके खेलने से जीत की पटरी पर दौड़ती है टीम इंडिया

Jasprit Bumrah celebrates a wicket with Rohit Sharma, India vs Namibia, T20 World Cup, Group 2, Dubai, November 8, 2021

जसप्रीत बुमराह की उपस्थिति से ख़तरनाक हो जाती थी भारत की गेंदबाज़ी  •  AFP/Getty Images

जब वह ठीक वहीं पड़ता है, जहां आप इसे चाहते हैं तो किसी तेज़ गेंदबाज़ के लिए एक यॉर्कर से अच्छा विकल्प कोई दूसरा नहीं हो सकता है। परिस्थितियां चाहे जैसी भी हों, इसे मारना मुश्किल होता है। इंदौर में खेला गया तीसरा टी20 अंतर्राष्ट्रीय मैच इसका सटीक उदाहरण था। यह मैच सपाट पिच और छोटे मैदान पर खेला गया और साउथ अफ़्रीका ने तीन विकेट के नुक़सान पर 227 रन बना दिए, लेकिन ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो के डाटा के अनुसार जब भारतीय तेज़ गेंदबाज़ों ने अपने यॉर्करों को अच्छे से डाला तब उन्होंने सिर्फ़ 7.33 रन प्रति ओवर बनाए।
हालांकि यार्कर करते समय छोटी सी ग़लती की भी गुंजाइश होने पर महंगे परिणाम भुगतने पड़ते हैं। जब भारतीय तेज़ गेंदबाज़ों ने लेंथ में ग़लती की और फ़ुलटॉस डाली तो उन्होंने 13.84 के इकॉनमी से रन लुटाए।
यह एक बार फिर से याद दिला रहा था कि भारत, जसप्रीत बुमराह को कितना मिस कर रहा है और इस महीने के अंत में ऑस्ट्रेलिया में टी20 विश्व कप शुरू होने पर भारतीय टीम उन्हें कितना मिस करेगी
बुमराह के यॉर्कर को क्रिकेट के सबसे बेहतरीन यार्कर में से माना जाता है और उनके साथ अन्य तेज़ गेंदबाज़ों की तुलना में ग़लती की गुंजाइश कम ही होती है। 2021 की शुरुआत के बाद से टी20 में बुमराह का फ़ुलटॉस गेंदबाज़ी करते हुए भी इकॉनमी रेट केवल 7.94 का है। इस अवधि में कम से कम 30 फ़ुलटॉस फेंकने वाले तेज़ गेंदबाज़ो में से किसी की भी इकॉनमी बुमराह के आस पास भी नहीं है। केवल दो तेज़ गेंदबाज़ अनरिख़ नॉर्खिये और ड्वेन ब्रावो के ख़िलाफ़ 10 से कम रन प्रति ओवर बने हैं।
यह बताना मुश्किल है कि बल्लेबाज़ों को बुमराह का फ़ुलटॉस हिट करना मुश्किल क्यों होता है। इसका उनके असामान्य रिलीज़ पॉइंट से कुछ लेना-देना हो सकता है। बुमराह के ख़िलाफ़ वैसे भी बल्लेबाज़ों के पास बहुत कम प्रतिक्रिया समय होता है।
भारत के लिए बुमराह की क़ीमत यॉर्कर या डेथ में गेंदबाज़ी करने से कहीं ज़्यादा है। वह टी20 क्रिकेट में किसी भी परिस्थिति में, किसी भी फेज़ में गेंदबाज़ी करने वाले विशुद्ध गेंदबाज़ हैं। 2020 की शुरुआत से टी20 अंतर्राष्ट्रीय में उनका हर फेज़ में भारत के सभी तेज़ गेंदबाज़ों की तुलना में सर्वश्रेष्ठ इकॉनमी है।
बुमराह की सभी फेज़ में शानदार गेंदबाज़ी भारत को काफ़ी लचीलापन देती है। जब बुमराह खेलते हैं, तो भारत उनके चार ओवरों को इस तरह से विभाजित कर सकता है जिससे उसके गेंदबाज़ी आक्रमण के अन्य सदस्य अपने सर्वश्रेष्ठ फेज़ में गेंदबाज़ी कर सकें। उदाहरण के लिए अगर बुमराह, भुवनेश्वर कुमार और दीपक चाहर के साथ खेलते हैं, तो वह पावरप्ले के बाद अपने सभी ओवर फेंक सकते हैं। जिससे दो स्विंग गेंदबाज़ों को नई गेंद से ज़्यादा गेंदबाज़ी करने का मैक़ा मिलता है। यदि बुमराह एक ऐसे आक्रमण का हिस्सा हैं जिसमें भुवनेश्वर, हार्दिक पंड्या और हर्षल पटेल शामिल हैं, तो वह भुवनेश्वर के साथ पावरप्ले में दो ओवर डाल सकते हैं और डेथ में अपने अन्य दो ओवर निपटा सकते हैं, जिससे हार्दिक और हर्षल मिडिल ओवरों में ही ज़्यादा गेंदबाजी करने के लिए फ़्री हो जाएंगे।
इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि बुमराह की मौजूदगी से भारत के हर गेंदबाज़ को फ़ायदा हुआ है। नीचे दिए गए चार्ट में सभी गेंदबाजों ने बुमराह के डेब्यू के बाद से उनके साथ कम से कम 10 टी20 अंतर्राष्ट्रीय मैच खेले हैं और कम से कम 10 उनके बिना।
इस ग्रुप के गेंदबाज़ों में से सिर्फ़ एक हार्दिक का औसत बेहतर रहा है, जब बुमराह भारत के आक्रमण का हिस्सा नहीं रहे हैं। जब बुमराह टीम में होते हैं तो अन्य गेंदबाज़ अधिक किफ़ायती रहते हैं और विकेट लेने की संभावना रखते हैं
ऐसा क्यों होता है आप देख सकते हैं। बल्लेबाज़ अक्सर बुमराह को सुरक्षित खेलने की कोशिश करते हैं और इसके परिणाम स्वरूप उन्हें अन्य गेंदबाजों पर करारा प्रहार करना पड़ता है, जिससे अक्सर इस प्रक्रिया में वे अपना विकेट गंवा बैठते हैं। इस अतिरिक्त आक्रामकता का गेंदबाज़ों की इकॉनमी पर जो भी प्रभाव पड़ता है, उसकी क्षतिपूर्ति इस तथ्य से होती है कि वे आमतौर पर उन फेज़ में गेंदबाजी कर रहे होते हैं जिसमें वे सबसे उपयुक्त हैं।
बुमराह के बिना खेलना भारत के लिए नया नहीं है। चोटों और कार्यभार प्रबंधन के कारण उन्होंने अपने पदार्पण के बाद से भारत के 128 टी20 अंतर्राष्ट्रीय मुक़ाबलों में से केवल 60 ही खेले हैं। 2020 की शुरुआत के बाद से वह और भी अधिक अनुपस्थित रहे हैं। इस दौरान भारत के 59 टी20 अंतर्राष्ट्रीय मैचों में से उन्होंने सिर्फ़ 18 में खेल हैं।
हालांकि जब भी बुमराह खेले हैं, उन्होंने भारत की उम्मीदों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला है। 2020 की शुरुआत से बुमराह के उपलब्ध नहीं होने पर भारत ने 27 मैच जीते हैं और 13 हारे हैं। बुमराह के टीम में होने पर भारतीय टीम ने 13 मैच जीते हैं और सिर्फ़ दो हारे हैं। इन 13 जीतों में न्यूज़ीलैंड में लगातार दो टाई हुए मुक़ाबले शामिल नहीं हैं जिनमें बुमराह ने सुपर ओवर फेंककर जीत दिलाने में मदद की थी।
इस टी20 विश्व कप में सुपर ओवर की स्थिति में आने पर भारत किसकी ओर रुख़ करेगा? यह एक मुश्किल सवाल है, ख़ासकर क्योंकि डेथ में गेंदबाज़ी करना सुपर ओवर में गेंदबाज़ी करने जैसा ही है और यह विश्व कप से पहले के हफ़्तों में भारत की सबसे बड़ी समस्या रही है। अगर ऐसी स्थिति आती है कि भारत, बुमराह की अनुपस्थिति में संघर्ष करता दिख रहा है, तो यह लक्ष्य का बचाव करते समय आख़िरी के ओवर होंगे। सितंबर में दो सप्ताह के अंतराल में भारत ने पाकिस्तान, श्रीलंका और ऑस्ट्रेलिया से ऐसे तीन मुक़ाबले गंवाए, जब विपक्षी टीम को आख़िरी के चार ओवर शुरू होने पर क्रमश: 43, 42 और 55 रन चाहिए थे।
बुमराह का नहीं होना भारत को विशेष रूप से इस स्थिति में डाल देता है। बुमराह ने अपने पदार्पण के बाद से जितने भी टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले हैं, उनमें से केवल एक मैच ऐसा रहा है कि भारतीय गेंदबाज़ ने लक्ष्य का बचाव करते हुए किसी डेथ ओवर में 20 या उससे अधिक रन दे दिए। वेंकटेश अय्यर ने श्रीलंका के ख़िलाफ़ उस मैच में 18वें ओवर में 21 रन दिए दे दिए थे, हालांकि भारत उस मुक़ाबले को पहले ही अपनी गिरफ़्त में कर चुका था। बुमराह के बिना खेले मैचों में अकेले 2022 में ऐसे छह ओवर हो चुके हैं।
कई फ़ैक्टर्स ने लक्ष्य का बचाव करते हुए महंगे डेथ ओवरों के अचानक बढ़ने में योगदान दिया है और बुमराह की अनुपस्थिति उनमें से केवल एक है। लेकिन यह एक महत्वपूर्ण फ़ैक्टर है। टी20 विश्व कप में अपने सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज़ के बिना भारत के लिए विशेष रूप से ऐसे समय में कठिन होगा जब उन्होंने अपनी बल्लेबाज़ी के दृष्टिकोण को बदल दिया है और पहले की तुलना में कहीं अधिक दफ़ा बड़े स्कोर बना रहे हैं। बुमराह के बिना बड़े स्कोर की भारत की ज़रूरत पहले से कहीं ज़्यादा ज़रूरी है।
यह कुछ ऐसा है जिस पर भारत विचार करेगा क्योंकि वे बुमराह के रिप्लेसमेंट की तलाश में विमर्श कर रहे हैं। भारत की तो बात ही छोड़िए दुनिया में कहीं भी समान रिप्लेसमेंट नहीं मिलता। भारत की टी20 विश्व कप दल में रिज़र्व में शामिल दो तेज़ गेंदबाज़ मोहम्मद शमी और दीपक चाहर दो अलग-अलग विकल्प देते हैं।
क्या भारत शमी को लाकर अपनी डेथ गेंदबाज़ी की समस्याओं को हल करने की कोशिश करेगा, जिनका डेथ ओवरों में अच्छा रिकॉर्ड नहीं है, लेकिन उनके पास गति और कौशल है जो ऑस्ट्रेलियाई परिस्थितियों में संभावित रूप से सभी फेज़ में अच्छा कर सकते हैं? या क्या भारत अपनी डेथ गेंदबाज़ी की समस्या के साथ जाने का फ़ैसला करेगा और कोशिश करेगा कि अन्य तरीक़ों से इसकी भरपाई की जाए? चाहर एक स्विंग गेंदबाज़ हैं जो पावरप्ले में सबसे अच्छा करेंगे। वह निचले क्रम में बल्लेबाज़ी करते हुए छक्के भी लगा सकते हैं और बल्लेबाज़ी में गहराई प्रदान कर सकते हैं, जिससे भारत के शीर्ष क्रम को और भी अधिक फ़्री होकर आक्रमण करने का मौक़ा मिल सकता है।
दो संभावित समाधान हैं लेकिन दोनों परफ़ेक्ट से कोसों दूर हैं।

कार्तिक कृष्णास्वामी ESPNcricinfo में सीनियर सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के एडिटोरियल फ़्रीलांसर कुणाल किशोर ने किया है।