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पावरगेम और स्मार्टनेस का बेहतरीन समागम हैं अक्षर पटेल

अक्षर हालिया समय में हर प्रारूप में भारतीय टीम का हिस्सा रहे हैं

भारत की वर्ल्ड रिकॉर्ड सीरीज़ जीत की तीन अहम बातें - क्या अक्षर ने जाडेजा की कमी नहीं खलने दी ?

भारत की वर्ल्ड रिकॉर्ड सीरीज़ जीत की तीन अहम बातें - क्या अक्षर ने जाडेजा की कमी नहीं खलने दी ?

अक्षर पटेल की आतिशी बल्लेबाज़ी के दम पर कैरेबियाई टीम के ख़िलाफ़ लगातार 12वीं सीरीज़ जीत

मौजूदा वनडे सीरीज़ में अक्षर पटेल को प्लेइंग इलेवन में लगातार जगह दी जा रही है। ऐसे कई कारण थे जिसके कारण अक्षर को इस बार टीम में मौक़ा नहीं मिलता। पांच सालों में ऐसा पहली बार हुआ है, जब हार्दिक पंड्या और रवींद्र जाडेजा टीम में शामिल होने के लिए पूरी तरह से फ़िट हो, इसके बावजूद अक्षर पटेल को भारतीय टीम में शामिल किया गया है। अगर हार्दिक और जाडेजा इस बार एक साथ टीम में मौजूद होते तो दोनों भारतीय टीम के मध्य क्रम में शामिल होते, ऐसे में अक्षर के लिए टीम में जगह बनाना काफ़ी मुश्किल हो जाता।

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हालांकि भारत फ़िलहाल जिस रणनीति के साथ खेल रहा है, उसमें 40-45 खिलाड़ियों को मौक़ा दिया जा रहा है। इस रणनीति के साथ भारतीय टीम चाहती है कि टीम के हर खिलाड़ी का बैक अप तैयार रहे। इसी तरह से जाडेजा के बैक अप के रूप में अक्षर को तैयार किया जा रहा है।

लगातार दिए जा रहे मौक़े को दोनों हाथों से स्वीकारते हुए अक्षर ने दूसरे वनडे मैच में एक अदभुत पारी खेली, जिसमें उन्होंने ताकतवर शॉट, शांत स्वभाव, स्मार्टनेस और चालाकी का बेहतरीन प्रदर्शन किया। जब अक्षर बल्लेबाज़ी करने आए तो भारत को 11 ओवर में 105 रनों की आवश्यकता थी। इसके जवाब में उन्होंने 34 गेंदों में 65 रनों की पारी खेली और मैच का अंत एमएस धोनी की शैली में सिक्सर लगाते हुए किया।

ऐसा नहीं है कि अक्षर ने ऐसा पहली बार किया है। इसी साल आईपीएल में उन्होंने मुंबई इंडियंस के ख़िलाफ़ इसी तरह की पारी खेली थी। उस मैच में दिल्ली को 40 गेंदों में 74 रनों की आवश्यकता थी और छह विकेट गिर चुके थे। अक्षर ने इस मैच में डैनियल सैम्स और जसप्रीत बुमराह जैसे गेंदबाज़ों के सामने इस मुश्किल स्कोर को मुमकिन कर दिया।

इन दोनों पारियों में अक्षर ने बताया कि वह कभी भी अपने शॉट्स के बारे में पहले से ही सोच कर नहीं रखते हैं, बल्कि वह गेंद की मेरिट के हिसाब से उसके ख़िलाफ़ शॉट लगाते हैं। वह एक सोची-समझी रणनीति के साथ बल्लेबाज़ी करते हैं। उनकी तकनीक बेहतर होती है और स्मार्टनेस के साथ अपने खेल को वह आगे बढ़ाते हैं।

दूसरे वनडे में अक्षर जब बल्लेबाज़ी करने आए तो भारतीय टीम को 11 ओवर में 105 रन चाहिए  Associated Press

हालिया समय में इनदोनों प्रदर्शनों के अलावा अक्षर ने दो साल पहले भी अपनी बल्लेबाज़ी क्षमता का प्रदर्शन किया था। उस वक़्त चेन्नई के ख़िलाफ़ शारजाह में अक्षर ने जाडेजा को अंतिम ओवर में तीन सिक्सर लगा कर मैच को दिल्ली के पाले में ला दिया था। दिसंबर में भी न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ खेले गए टेस्ट मैच में अक्षर ने पहली पारी में 128 गेंदों का सामना करते हुए 52 रन बनाए थे। उस मैच में उन्होंने एजाज़ पटेल के ख़िलाफ़ काफ़ी रन बटोरे थे।

दूसरे वनडे में उन्होंने जिस तरीक़े की पारी खेली। उसी देखते हुए यह विश्वास कर पाना काफ़ी मुश्किल था कि 22 वनडे पारियों में यह उनका पहला पचासा था। डीप मिडविकेट और लांग ऑन के बीच से उन्होंने कई शानदार शॉट लगाए। उनके हर एक हिट में उनकी मंशा बिल्कुल साफ़ झलक रही थी।

अक्षर ने बीसीसीआई की वेबसाइट को बताया, "आईपीएल में अंतिम 10 ओवरों में सौ रनों का पीछा अक्सर किया जाता है। इसलिए मैं इस इरादे से गया था कि हम इस स्कोर का पीछा कर लेंगे। हमारी सोच थी कि हम हर ओवर में कम से कम एक बार रन बनाने का मौक़ा ज़रूर लेंगे।"

एक बार जब वह अपने सेटअप में और अधिक आश्वस्त होने लगे, तो उन्होंने अपने पावर गेम पर काम करना शुरू कर दिया। वह हमेशा से ही शक्तिशाली थे, लेकिन जब उसने अपने पावर गेम के साथ अपने स्मार्टनेस को जोड़ा, तो बदलाव साफ़ दिखने लगा।प्रियंक पांचाल (अक्षर के बारे में)

पिछले चार सालों में अक्षर की बल्लेबाज़ी में काफ़ी बदलाव आया है। गुजरात के कप्तान प्रियंक पांचाल ने इन बदलावों को काफ़ी नज़दीक से देखा है। प्रियंक के अनुसार अक्षर अब एक बल्लेबाज़ के जैसा सोच रहे हैं। उन्हें ऐसा लगता है कि पिछले कुछ सालों में इस तरह की कुछ एक पारियां खेलने से उनका आत्मविश्वास काफ़ी बढ़ा है। पांचाल कहते हैं, "जब आपकी भूमिका एक गेंदबाज़ी ऑलराउंडर की होती है, तो आपमें किसी एक(बल्लेबाज़ी या गेंदबाज़ी) चीज़ पर दूसरे की तुलना में अधिक ध्यान केंद्रित करने की प्रवृत्ति होती है, और अक्षर के साथ यही हो रहा था। जिस क्षण उन्होंने अपने विकेट की क़ीमत को समझा, उन्हें एहसास होने लगा कि वह कहां ग़लती कर रहे हैं। उनकी तकनीक बेहतर होने लगी। वह एक बल्लेबाज़ की तरह सोचने लगे, वह गहराई से विश्लेषण करने लगे कि वह कहां गलत कर रहे हैं, और बेहतर होने की दिशा में काम करने लगे।"

"एक बार जब वह अपने सेटअप में और अधिक आश्वस्त होने लगे, तो उन्होंने अपने पावर गेम पर काम करना शुरू कर दिया। वह हमेशा से ही शक्तिशाली थे, लेकिन जब उसने अपने पावर गेम के साथ अपने स्मार्टनेस को जोड़ा, तो बदलाव साफ़ दिखने लगा। गुजरात में उन्होंने लगातार 5 नंबर बल्लेबाज़ी करते हुए कई मैच टीम की झोली में डाला। यह हमेशा से ही आत्मविश्वास का सवाल था।"

अगले साल होने वाले वनडे विश्व कप में अक्षर को मौक़ा मिल सकता है  AFP/Getty Images

अक्षर की बल्लेबाज़ी में हुए सुधार से वह अपनी टीमों के प्रमुख घटक बन रहे हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि उनके गेंदबाज़ी में कुछ कारगर बदलाव आए हैं। अब वह सिर्फ़ बल्लेबाज़ों को रन बनाने से नहीं रोकना चाहते हैं। इसके इतर वह गेंदबाज़ी के दौरान क्रीज़ का बढ़िया उपयोग करते हैं। हवा में बल्लेबाज़ों को बीट करने का प्रयास करते हैं। इसके अलावा भी उन्होंने अपनी गेंदबाज़ी में कई बदलाव किए हैं। टेस्ट क्रिकेट में तो अक्षर की एंट्री धाकड़ रही है। पहले छह टेस्ट मैचों में उन्होंने कुल 39 विकेट झटके हैं।

अक्षर ने अपने खेल में जिस तरह से सुधार किया है, उससे भारतीय टीम को कई विकल्प मिले हैं। इस वर्ष की शुरुआत में वॉशिंगटन सुंदर सफेद गेंद की क्रिकेट में भारतीय टीम के साथ थे। उसके बाद क्रुणाल पंड्या भी टीम के साथ थे, जिन्होंने आईपीएल में मुंबई इंडियंस के लिए लगातार अच्छा प्रदर्शन करने के दम पर टीम में शामिल हुए थे।

अब इसे क़िस्मत कहें या हालात, चोट या फ़ॉर्म की समस्या से जूझते हुए दोनो खिलाड़ियों के कारण अक्षर को टीम में मौक़ा मिल गया। अगले साल होने वाले 50 ओवर के विश्व कप के लिए भी अक्षर टीम में शामिल होने की दौड़ में रहेंगे।

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शशांक किशोर ESPNcricinfo के सीनियर सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सब एडिटर राजन राज ने किया है।