दीपक चाहर ने पूरा किया अपने बचपन का सपना

और इसी प्रक्रिया में एक कदम आगे बढ़ाकर, वह भारत की सफेद गेंद क्रिकेट में बल्लेबाजी में गहराई की कमी को पूरा कर सकते हैं

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आकाश - दीपक चमक रहा है और उसकी चमक चारों तरफ़ फैल रही है।

"मेरे दिमाग में एक ही चीज चल रही थी : जब से मैंने क्रिकेट खेलना शुरू किया और बल्लेबाजी शुरू की मैं इसी तरह की पारी खेलने का सपना देखा करता था। यही कि एक दिन मैं सातवें, आठवें या हो सकता है नौंवे स्थान पर भारत के लिए बल्लेबाजी करूंगा और भारत के लिए मैच खत्म करूंगा। देश के लिए मैच जीतने का इससे बेहतर तरीका नहीं हो सकता है।"

श्रीलंका के खिलाफ दूसरे वनडे को जीतने के बाद दीपक चाहर ने ये बातें कही। आठवें नंबर पर बल्लेबाजी करने आए दीपक ने सीनियर क्रिकेट में अपना सर्वश्रेष्ठ स्कोर बनाया और मैच को खत्म किया।

दीपक की पारी की सबसे खास बात यह रही कि उनके इस स्कोर के कोई परिमाण नहीं थे। वह 18 गेंद पर दो रन बनाकर खेल रहे थे, इसके बाद वह 45 गेंद में 23 रन बनाकर खेल रहे थे और अंत में उन्होंने 82 गेंद में नाबाद 69 पर खत्म किया। ऐसा भी नहीं था कि उन्होंने बल्लेबाजी के सपने को हकीकत में बदला था। यह था कि उन्होंने लक्ष्य का पीछा करते हुए 48वें ओवर को किस तरह से खेला, जब वानिंदु हसरंगा गेंदबाजी करने आए। चाहर ने इस ओवर की आखिरी चार गेंद खेली, उस वक्त 16 गेंद पर 15 रन चाहिए थे और उन्होंने इन गेंदों पर कोई रन बनाने की कोशिश नहीं की।

मैच के बाद कप्तान शिखर धवन ने भी स्वीकारा और कहा कि मैच अपनी आखिरी पड़ाव पर था। इस तरह का बल्लेबाज नंबर आठ के स्थान पर नहीं पाया जाता है जो एक खतरनाक गेंदबाज को इस तरह से खेले, जब गेंद और रनों में ज्यादा फासला ना हो। इस तरह का बल्लेबाज अक्सर आमतौर पर अपने कौशल को जानता है और उसे विश्वास रहता है कि वह किसी अन्य गेंदबाज के खिलाफ मारकर जीत दिला सकता है, यहां तक की एक मजबूत समीकरण के साथ भी।

"उनके मन की उपस्थिति, उनकी गणना, यहां तक कि आखिरी चार ओवर में वे जानते थे कि उन्हें लेग स्पिनर के खिलाफ रन नहीं बनाने थे।"

चाहर जब क्रीज पर आए तो स्कोर छह विकेट पर 160 रन था और उन्होंने इसे सात विकेट पर 193 रन होते देखा, लेकिन उनका मानसिक संतुलन किसी शीर्ष क्रम के बल्लेबाज की तरह था। क्रुणाल पंड्या के साथ साझेदारी के वक्त वह खुद को संभालकर खेलते दिखे। उन्होंने ऐसे बल्लेबाज को स्कोरिंग का मौका दिया जो तेजी से रन बना सकता था। वहीं भुवनेश्वर कुमार के साथ विजयी साझेदारी के वक्त चाहर ने पूरी तरह से गियर बदल लिया और एक वरिष्ठ साथी की तरह खुद जिम्मेदारी निभाई। शुरुआत में वह अपने पास ही गेंद को डिफेंस कर रहे थे। ऐसा इसीलिए क्योंकि भारत के शीर्ष क्रम ने तेजी से रन बनाए थे और चाहर के पास भरपूर समय था जिससे उन्हें बड़े हिट लगाने की जल्दबाजी नहीं रही। जब बाउंड्री लगाना जरूरी हो गया तो उन्होंने अपनी पारी की गति बढ़ा दी। आखिरी आठ ओवर में 56 रनों की जरूरत थी, उन्होंने समझदारी के साथ रिस्क लिया, जहां उन्होंने लक्षण संडकैन पर लांग ऑफ पर हिट लगाकर इसकी शुरुआत की।

मैच के बाद अपनी पहुंच पर दीपक ने कहा, "जब लक्ष्य 50 रनों के अंदर आ गया, तो मुझे लगा कि हम जीत सकते हैं। मैं बीच में रिस्क ले रहा था और दो से तीन बाउंड्री लगा रहा था। जब मैंने छक्का लगाया तो मुझे लगा कि मैं अच्छी बल्लेबाजी कर रहा हूं।"

इस तरह की पारी अब से पहले दीपक ने आईपीएल 2018 में चेन्नई सुपर किंग्स के लिए किंग्स इलेवन पंजाब के खिलाफ खेली थी, जब एमएस धोनी ने उन्हें नंबर छह पर भेजा था और उन्होंने 20 गेंद में 39 रन बनाए थे।

दीपक चाहर ने पेशेवर क्रिकेट का अपना सर्वोच्‍च स्‍कोर बनाया © ISHARA S. KODIKARA/AFP/Getty Images

ज्यादातर लोगों के लिए आईपीएल की यह पारी दीपक की बल्लेबाजी कौशल का पहली बार चमकना था, लेकिन ऋषिकेश कानितकर के लिए ऐसा नहीं था। जिन्होंने यह ट्वीट किया था :

कानितकर ने उन्हें बहुत करीब से देखा है। यह कानितकर ही थे जिनकी कप्तानी में दीपक ने राजस्थान के लिए प्रथम श्रेणी क्रिकेट में पदार्पण किया था। इसकी शुरुआत भी 10 रन पर आठ विकेट के बेहरीन रिकॉर्ड के साथ हुई, लेकिन जब परिणाम कम हुए तो कानितकर का विश्वास और समर्थन नहीं था।

दीपक ने तब 2009 में ईएसपीएनक्रिकइंफो से कहा था, "मेरा कोई राजनीति बैकग्राउंड नहीं है और ना ही मेरे पास कोई शक्तिशाली समर्थक है, तो हो सकता है कि उन्हें लगा था कि मुझे चारों ओर से धकेला जा सकता है।" इसके बाद 2009 में सीनियर क्रिकेट में अपने पुराने दिनों को याद करते हुए ईएसपीएनक्रिकइंफो से उन्होंने कहा, "आमतौर पर लोगों के पास समर्थन करने वाले होते है, एक इंसान जिन्होंने मेरा हमेशा समर्थन किया वह ऋषिकेश कानितकर थे। वह बाहर से आए थे (प्रोफेशनल खिलाड़ी के तौर पर) तो एक खिलाड़ी के तौर पर वह सिर्फ आपके प्रदर्शन की चिंता करते थे। उनके लिए यह मायने नहीं रखता था कि कौन कहां से आया है। जब तक वह कप्तान थे उन्होंने मेरा पूरा समर्थन किया। अब भी वह मेरा समर्थन करते हैं। तब भी जब मेरा बुरा समय चल रहा था, वह अकेले इंसान थे जिनको लगता था कि मैं भारत के लिए खेल सकता हूं।"

कानितकर क्या जानते थे इसका सबूत मंगलवार को दिखा। दीपक ने ना सिर्फ भारत को वनडे सीरीज में जीत दिलाई बल्कि अंतिम 11 के लिए अपना दावा भी मजबूत किया। श्रीलंका में खेल रही भारतीय टीम पूरी मजबूती के साथ नहीं खेल रही है लेकिन तब भी यह बहुत फायदेमंद होगा कि अगर नंबर आठ का बल्लेबाज आपके लिए इस तरह की बल्लेबाजी कर सकता हो। जो प्रेशर में अर्धशतक लगाकर हार को जीत में तब्दील कर दे। ऐसे खिलाड़ी जो स्विंग के साथ तेज गेंदबाजी कर सकते हो और रन भी बना सकते हों, असल में भारत के पास ऐसे बहुत सारे विकल्प नहीं हैं।

दीपक का मुख्य कौशल उनकी गेंदबाजी ही रहेगी और इसमें उन्होंने बहुत बुरा भी नहीं किया है। यहां कुछ जिद थी लेकिन आप तब कुछ नहीं कर सकते हो जब आपकी गेंदबाजी पर कैच टकपाए गए हों और ऐसा छक्का लगे जब भुवनेश्वर कुमार फाइन लेग सीमा रेखा से 10 यार्ड अंदर खड़े हों, अगर वह पीछे रहते तो कैच हो सकता था। दीपक को कुछ और चीजों से भी सामंजस्य बैठाना पड़ रहा था, जहां पर ना तो स्विंग हो रही थी और ना ही सीम और ऐसी गर्मी जो तेज गेंदबाजों को जोर लगाने पर मजबूर कर रही थी। तब भी उन्होंने अपनी गेंदबाजी की विविधता पर विश्वास दिखाया और नकल गेंद पर दो अहम विकेट निकाले।

मैच के बाद पत्रकार वार्ता में भुवनेश्वर ने कहा, "उसके पास काफी अच्छी क्षमता है, जैसा उन्होंने आज दिखाई। अगर वह इसको जारी रखते हैं तो बिलकुल भारत के पास एक और हरफनमौला खिलाड़ी होगा। अभी यह कहना बहुत जल्दबाजी होगी, लेकिन जिस तरह की क्षमता उनके पास है और जिस तरह से वह अभ्यास करते हैं, वह अभ्यास के वक्त अलग-अलग परिस्थितियों को दिमाग में रख सकते हैं और सोच सकते हैं कि वह क्या कर सकते हैं और क्या करना चाहिए।"

उनके इस छोटे से अंतर्राष्ट्रीय करियर में और लंबे आईपीएल अनुभव से दीपक अब पावरप्ले स्पेशलिस्ट से निकलर एक बहुमुखी गेंदबाज बन चुके हैं जो किसी भी परिस्थति का सामना कर सकते हैं। अब तक, वह कई तेज गेंदबाजों के बीच भारत का मुख्य तेज गेंदबाज बनने के लिए दौड़ लगा रहे थे। उनकी गेंदबाजी ने उन्हें हमेशा तर्को में रखा। अब अपनी बल्लेबाजी से वह इस तेज गेंदबाजी ग्रुप में लाइन में सबसे आगे आकर ​खड़े हो गए हैं। अगर वह यहां रूक सकते हैं, तो साफतौर पर भारत की सफेद गेंद क्रिकेट में बल्लेबाजी में गहराई की कमी पूरी हो सकती है।

सौरभ सोमानी ESPNcricinfo में असिस्टेंट एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी में एसोसिएट सीनियर सब एडिटर निखिल शर्मा ने किया है।

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