मछली और बल्लेबाज़ दोनों को अपने जाल में फंसाने वाले मुस्तफ़िज़ुर रहमान

इस आईपीएल में गेंदबाज़ी की विविधता के कारण वह राजस्थान रॉयल्स के प्रमुख गेंदबाज़ बन गए हैं

"मैं मुश्किल परिस्थितियों में ख़ुद को शांत रखने और आने वाले ओवर पर ध्यान देता हूं" © BCCI

मुस्तफ़िज़ुर रहमान की तरकश में लाइन, लेंथ, कटर और यॉर्कर से भरे सारे तीर मौजूद हैं। ऐसा लगता है कि वह हर गेंद पर कुछ ना कुछ अलग करते हैं। उनका धीमा कटर मध्य पिच पर पड़ने के बाद भी बल्लेबाज़ों को चकमा दे देता है। पिछले हफ़्ते पंजाब किंग्स के ख़िलाफ़ 19वें ओवर में उन्होंने सेट बल्लेबाज़ निकोलस पूरन और एडन मारक्रम के सामने केवल चार रन दिए और टीम की यादगार जीत की नींव रखी। किंग्स ने भले ही उस लक्ष्य का पीछा करने में गड़बड़ी की लेकिन उसके बारे में किसी और दिन बात करेंगे। उस रात मुस्तफ़िज़ुर ने डेथ ओवरों में फिर एक बार अपनी क्लास दिखाई।

हमने कभी मुस्तफ़िज़ुर को कैच छोड़ने पर किसी फ़ील्डर को डांटते या किसी बल्लेबाज़ से कहा-सुनी करते हुए नहीं देखा है। और तो और उन्होंने बांग्लादेश के लिए, इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में और बांग्लादेश प्रीमियर लीग (बीपीएल) में कई बार मुश्किल समय पर गेंदबाज़ी की हैं। तो उनके इस शांत स्वभाव और चतुराई के पीछे का राज़ क्या है?

उस निर्णायक 19वें ओवर के बारे में उन्होंने कहा, "आप इन चीज़ों की योजना नहीं बना सकते इसलिए मेरा ध्यान डॉट गेंदें डालने पर था। आप उस समय एक प्रकार की गेंद नहीं डाल सकते। आपको बल्लेबाज़ को सोचने पर मजबूर करना होगा कि अगली गेंद कौन सी होगी। फ़ील्ड सेट-अप द्वारा कप्तान को पता होता है कि मैं क्या करने वाला हूं।"

जोफ़्रा आर्चर और बेन स्टोक्स की ग़ैरमौजूदगी में मुस्तफ़िज़ुर की कला और अनुभव उन्हें टीम का मुख्य गेंदबाज़ बनाती हैं। हालांकि इस ज़िम्मेदारी को वह दबाव के तौर पर नहीं देखते हैं। उन्होंने कहा, "मैं यहां वही कर रहा हूं जो मैं अपनी राष्ट्रीय टीम के लिए करता आया हूं। उम्मीदें थोड़ा दबाव ज़रूर लेकर आती हैं लेकिन मुझे इससे कोई चिंता नहीं होती। मैं मुश्किल परिस्थितियों में ख़ुद को शांत रखने और आने वाले ओवर पर ध्यान देता हूं।"

गेंदबाज़ी के साथ-साथ फ़ील्डिंग से सभी को प्रभावित कर रहे हैं मुस्तफ़िज़ुर © BCCI

ज़्यादातर टी20 मैचों में मुस्तफ़िज़ुर दो ओवर नई गेंद के साथ पावरप्ले में डालते हैं। वह कहते है, "नई गेंद के साथ मैं तेज़ गति से गेंदबाज़ी करते हुए स्विंग की तलाश करता हूं। पावरप्ले में ज़्यादा विविधताएं नहीं होती।" पारी के अंतिम ओवरों में हमें मुस्तफ़िज़ुर का जादू देखने मिलता है।

रॉयल्स के कप्तान संजू सैमसन द्वारा खुले मन से गेंदबाज़ी करने की स्वतंत्रा दिया जाना मुस्तफ़िज़ुर को अच्छा लगा है। मैदान पर अपनी कला के साथ बल्लेबाज़ों को फंसाने के साथ-साथ वह मैदान के बाहर अपने साथी युवा गेंदबाज़ों से बातचीत करते हैं और अपने अनुभव के बारे में बताते हैं। वह कहते हैं, "वह मेरी गेंदबाज़ी ग्रिप के बारे में जानना चाहते हैं, ख़ासकर कटर गेंदों पर। वह पूछते हैं कि मैं कठिन परिस्थितियों मैं कैसे शांत रहता हूं और मेरी हर बात को ध्यानपूर्वक सुनते हैं।"

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मुस्तफ़िज़ुर राजधानी ढाका से लगभग 300 किलोमीटर दूर तेतुलिया नामक छोटे से गांव में पले-बढ़े। उन्होंने भारतीय निर्मित ठोस और उछाल भरी टेनिस गेंदों के साथ गांव के मैदानों में क्रिकेट सीखा। तेतुलिया से उनके बड़े भाई, पोल्टू, उन्हें मोटरसाइकिल पर पास के शातखिरा शहर लेकर जाते थे जहां उन्होंने क्रिकेट गेंद से अभ्यास करना शुरू किया।

घर वापस जाने के बारे में वह कहते हैं, "जिस क्षण मैं शातखिरा शहर को पार करता हूं और मुझे अपना गांव नज़र आता हैं, मैं राहत की सांस लेता हूं। मुझे उस जगह की हवा पसंद है। मुझे गांव का लड़का होने पर गर्व है।"

मुस्तफ़िज़ुर को मछली पकड़ना बहुत पसंद है और वह गांव जाकर यह ज़रूर करते हैं। वह गांव के मैदानों पर टेनिस-बॉल क्रिकेट भी खेलते हैं। उन्होंने बताया कि सर्दियों के दौरान लोग शाम को वॉलीबॉल और रात में बैडमिंटन खेलेते हैं और वह हर चीज़ में भाग लेने की कोशिश करते हैं। उनके लिए गांव में बिताए दिन अच्छे जाते हैं।

ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ घर पर खेलते हुए मुस्तफ़िज़ुर ने किफ़ायती गेंदबाज़ी कर नौ मैचों में 15 विकेट झटके थे © AFP via Getty Images

मछली पकड़ने के बारे में उन्होंने कहा, "जब आप मछली पकड़ने बैठते हैं तब आपको धैर्य रखना होता है। आप एक बारी में छड़ी फेंककर मछली फंसाने की उम्मीद नहीं कर सकते। मैं आमतौर पर चार से पांच घंटे छड़ी लेकर बैठता हूं। जब कुछ पकड़ में नहीं आता तब मैं जाल बिछाकर पता लगाने की कोशिश करता हूं कि वहां हो क्या रहा हैं। सच कहूं तो मैं कभी-कभी अधीर हो जाता हूं।"

तो आम तौर पर वह क्या पकड़ते हैं? "हमारे पास रुई और कातला जैसी सामान्य सफ़ेद मछली है। हमें अपने झींगा फ़ार्म पर पार्शे मछली मिलती है।"

जब 2020 में कोरोना महामारी के कारण क्रिकेट रुक गया था तब मुस्तफ़िज़ुर तेतुलिया में थे। उन्होंने उस दौरान वहां इतना समय बिताया जितना की उन्होंने पिछले छह सालों में वहां नहीं गुज़ारा था। ज़्यादातर समय वह अपने झींगा फ़ॉर्म पर मछली पकड़ने में व्यस्थ थे।

लंबे समय तक बाहर घूमने वाले इस व्यक्ति ने हफ़्तों और महीनों तक बायो-बबल में रहने के लिए ख़ुद को कैसे तैयार किया? वह कहते हैं, "मैदान के बाहर, मैं ज़्यादा बाहर नहीं जाता। मैं कभी-कभी स्विमिंग पूल के पास बैठता हूं या जिम जाता हूं। मैं कभी-कभार टीम रूम में अपना समय बिताता हूं।"

"मुझे मछली पकड़ने का मन करता है लेकिन सबसे ज़्यादा मैं अपने गांव को याद करता हूं।"

मुस्तफ़िज़ुर हालिया समय में अपनी राष्ट्रीय टीम के लिए अच्छे फ़ॉर्म में रहे हैं। साथ ही उन्होंने आईपीएल 2021 के दूसरे चरण में पारी के तीनों भागों में अच्छी गेंदबाज़ी की है। इन धीमी पिचों पर उनके कटर और कारगर साबित हो रहे हैं। अगर आगे भी ऐसा होता रहा तो वह टी20 विश्व कप में अपनी टीम के लिए अहम भूमिका निभा सकते हैं।

इस बात को लेकर वह अति-उत्साहित नहीं हैं। उन्होंने कहा, "मेरी भूमिका वही होगी। उम्मीदें सबको होती है लेकिन सब कुछ अल्लाह पर निर्भर है। मेरे लिए इस समय स्वस्थ रहना महत्वपूर्ण है।"

मोहम्मद इसाम (@isam84) ESPNcricinfo में बांग्लादेश के संवाददाता हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सब एडिटर अफ़्ज़ल जिवानी ने किया है।

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