जायसवाल के अर्धशतक के बाद बराबरी पर छूटा पहला दिन

रणजी में लगातार चौथी बार जायसवाल ने 50 से अधिक रन बनाए © Special Arrangement

मुंबई 248 पर 5 (जायसवाल 78, पृथ्वी 47, सरफ़राज़ 40*, सारांश 2-31, अनुभव 2-56) बनाम मध्य प्रदेश

पिछले 23 सालों में घरेलू क्रिकेट में अपने सबसे बड़े दिन मध्य प्रदेश ने दबाव और दुर्भाग्य को मात दी और लगातार चौथे प्रथम श्रेणी शतक की ओर अग्रसर यशस्वी जायसवाल द्वारा दी गई चुनौती का सामना किया।

टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी करते हुए एक समय पर 147 पर दो की स्थिति में रहने वाली मुंबई ने गुच्छों में विकेट गंवाए जिसके चलते बेंगलुरु में खेला जा रहा रणजी ट्रॉफ़ी फ़ाइनल पहले दिन के बाद बराबरी की स्थिति में है। पहले दिन मुंबई ने पांच विकेट के नुक़सान पर 247 रन बनाए। जब दिन का खेल समाप्त हुआ तब इस सीज़न के सर्वाधिक रन स्कोरर सरफ़राज़ ख़ान 40 रन बनाकर नाबाद थे और शम्स मुलानी उनका साथ दे रहे थे।

काले बादलों से घिरे आकाश के कारण एक सूखी पिच और नहीं टूटी। पहले ही ओवर से गेंद घूम रही थी और मध्य प्रदेश ने अपने दोनों स्पिनरों का बढ़िया इस्तेमाल किया। हालांकि उनके तेज़ गेंदबाज़ों ने प्रभावित किया और उन्हें नियंत्रण के साथ गेंदबाज़ी करने का फ़ायदा मिला।

गौरव यादव ने सबसे ज़्यादा प्रभावित किया। 23 ओवरों में कई मौक़े बनाने के बावजूद उन्हें विकेट नहीं मिली। उन्होंने पहले घंटे में एक ही ओवर में पृथ्वी शॉ को बाहरी और अंदरूनी किनारे पर पांच बार बीट किया। इस मेहनत का फल अनुभव अग्रवाल को मिला। गौरव ने उस ओवर में हरकत करती गेंद के ख़िलाफ़ पृथ्वी के मन में संदेह पैदा किया। बाहर निकलती गेंद समझकर पृथ्वी फ़्रंटफ़ुट पर आए लेकिन गेंद सीम पर पड़कर अंदर आई और उनके स्टंप्स पर जा लगी।

दूसरे छोर पर जायसवाल ने पिछली पीढ़ी की तरह गेंदबाज़ों को थकाया और फिर ख़राब गेंदबाज़ी पर टूट पड़े। तेज़ गेंदबाज़ी के ख़िलाफ़ उन्होंने शरीर से दूर जाती गेंदों को छोड़ा और स्पिन के ख़िलाफ़ प्रहार किया।

बाएं हाथ के स्पिनर कुमार कार्तिकेय के ख़िलाफ़ छक्का लगाकर जायसवाल ने बाउंड्री का खाता खोला। उन्होंने विपक्षी टीम के सबसे घातक बल्लेबाज़ को आड़े हाथों लिया। इससे पहले चौथे ओवर में वह भाग्यशाली रहे जब तालमेल की कमी के कारण रन आउट का मौक़ा बना था। स्क्वेयर लेग पर गेंद को मोड़ने के बाद जायसवाल आधी पिच क पहुंच गए थे जहां से उन्हें वापस भेजा गया। थ्रो विकेटकीपर से काफ़ी दूर था और उन्हें क्रीज़ में सुरक्षित वापस लौटने का समय मिला।

पहले सेशन में ऐसे कई मौक़े बने। इस रन आउट के अलावा कार्तिकेय के आर्म बॉल पर पृथ्वी के बल्ले का अंदरूनी किनारा लगा और गेंद शॉर्ट लेग के सिर के ऊपर से निकल गई। 10वें ओवर में क्रीज़ में खड़े रहकर ड्राइव लगा रहे पृथ्वी के बल्ले का मोटा बाहरी किनारा लेकर गेंद दूसरी स्लिप और गली के बीच से निकल गई।

अरमान जाफ़र अच्छी लय में नज़र आ रहे थे लेकिन उन्हें कड़क हाथों से खेलने का ख़ामियाज़ा भुगतना पड़ा। उनके बल्ले का मोटा अंदरूनी किनारा लेकर गेंद शॉर्ट मिडविकेट के पास जा पहुंची। आदित्य श्रीवास्तव की चतुर कप्तानी ने उन्हें यह विकेट दिलाई। यह गेंद आर्म बॉल नहीं थी लेकिन वह पड़कर सीधी निकल गई और अरमान 26 रन बनाकर पवेलियन लौटे।

अब बारी थी सुवेद पारकर की। अजिंक्य रहाणे के चोटिल होने के कारण नॉकआउट मैचों में चुने गए पारकर ने चौथे नंबर पर आकर 18 रन बनाए जिसके बाद उनके बल्ले के बाहरी किनारे ने मिडविकेट पर श्रीवास्तव को आसान कैच थमाया। यह ऑफ़ स्पिनर सारांश जैन की पहली विकेट थी। स्कोर था 147 पर तीन।

इसके बाद क्रीज़ पर आए सरफ़राज़ ख़ान और उन्होंने अपने नैसर्गिक खेल को नियंत्रित किया। वह ऐसा करने के लिए नहीं जाने जाते लेकिन गली पर जायसवाल को कैच आउट होते देखने के बाद उन्होंने सूझबूझ भरी बल्लेबाज़ी की और परिपक्वता दिखाई। आउट होने से पहले जायसवाल ने अपनी पारी में शानदार टाइमिंग और एकाग्रता दर्शाई।

129 गेंदों पर अपना अर्धशतक पूरा करने वाले जायसवाल ने आसानी से गैप ढूंढना शुरू किया। जब तेज़ गेंदबाज़ों ने छोटी गेंदें डाली, उन्होंने स्लिप के ऊपर से रैंप शॉट लगाए। जायसवाल लगातार चौथे प्रथम श्रेणी शतक की ओर आगे बढ़ रहे थे लेकिन ऑफ़ स्टंप के बाहर की गेंद को छेड़ने के बाद उन्हें निराश होकर पवेलियन जाना पड़ा। विजय मर्चंट और सचिन तेंदुलकर के बाद ऐसा करने वाले वह केवल तीसरे खिलाड़ी होते।

पिछले चार बल्लेबाज़ों की तरह हार्दिक तामोरे को भी शुरुआत मिली लेकिन वह इसको बड़े स्कोर में तब्दील नहीं कर पाए। वह स्पिन के लिए खेल गए जबकि गेंद सीधी रही और बाहरी किनारा लेकर स्लिप में चली गई। सारांश को इस तरह अपना दूसरा विकेट मिला। इससे पहले अक्षत रघुवंशी ने 22 के स्कोर पर स्लिप में उनका कैच टपकाया था। 75वें ओवर में साथ आए सरफ़राज़ और मुलानी ने यह सुनिश्चित किया कि टीम दिन का खेल समाप्त होने तक और कोई विकेट ना गंवाए। उन्होंने छोर संभाले रखा और अब दूसरी नई गेंद के विरुद्ध अपना संघर्ष जारी रखेंगे।

गुणवत्ता को देखा जाए तो यह ऐसा दिन था जहां दोनों टीमें रक्षात्मक होकर खेल रही थी ताकि सामने वाली टीम को किसी तरह मज़बूती ना मिल पाए। हालांकि गुरुवार को कहानी पलट सकती है।

शशांक किशोर ESPNcricinfo में सीनियर सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी में सब एडिटर अफ़्ज़ल जिवानी ने किया है।

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