हमारे बल्लेबाज़ों को कठिन परिस्थितियों में कुछ अलग करना होगा : रोहित शर्मा
गुरुवार की सुबह लॉर्ड्स के मैदान पर और सोशल मीडिया पर दो ऐतिहासिक मुक़ाबलों की यादों को ताज़ा किया जा रहा था। मेहमान टीम भारत के लिए वह 2002 की नेटवेस्ट ट्रॉफ़ी का फ़ाइनल था। वहीं मेज़बान टीम इंग्लैंड के लिए वह तीन साल पहले इसी मैदान पर वनडे विश्व कप का फ़ाइनल था जहां ओएन मॉर्गन की इंग्लैंड ने केन विलियमसन की न्यूज़ीलैंड को मात दी थी।
भारतीय टीम के समर्थक उस दिन को अलग अंदाज़ से याद करेंगे। उस निर्णायक मैच से तीन दिन पहले मैनचेस्टर में न्यूज़ीलैंड के विरुद्ध पहले सेमीफ़ाइनल में भारत का शीर्ष क्रम बिखर गया था। पहले 10 ओवर में भारत ने 24 रन के भीतर चार विकेट गंवाए थे।
उस मैच में खेलने वाले कई बल्लेबाज़ लॉर्ड्स पर हुए दूसरे वनडे का हिस्सा थे और इतिहास एक बार फिर दोहराया गया। पहले पावरप्ले में 28 रन बनाकर भारत ने तीन विकेट गंवाए थे जो विश्व कप सेमीफ़ाइनल के बाद पहले 10 ओवरों में उसका सबसे कम स्कोर था। 31 के स्कोर पर विराट कोहली का विकेट गंवाने के बाद यह तीन सालों में चार विकेट पर भारत का सबसे कम स्कोर बन गया।
हालिया समय में वनडे क्रिकेट के महत्व पर चर्चा हो रही है। 50 ओवर के प्रारूप में बल्ले और गेंद के बीच संतुलन लाने के लिए कई बदलाव किए जा सकते हैं, एक सरल बदलाव यह है कि ऐसी पिच बनाई जाए जो गेंदबाज़ों को निखरने का अवसर दे। इस सीरीज़ के पहले दो मैचों में हमने यह होते देखा है।
मंगलवार को ओवल में गेंदबाज़ों को मदद करती परिस्थितियों और एक हरी पिच पर मोहम्मद शमी और जसप्रीत बुमराह ने इंग्लैंड के बल्लेबाज़ी क्रम को बिखेर दिया था। वहीं भारतीय सलामी बल्लेबाज़ रोहित शर्मा और शिखर धवन ने बिना विकेट गंवाए 111 के लक्ष्य को हासिल किया।
इसके बावजूद दो दिन बाद रोहित और धवन मुश्किल परिस्थितियों में संघर्ष करते नज़र आए। रोहित, रीस टॉप्ली की अंदर आ रही गेंद की लाइन को कवर करने में देरी कर बैठे और गेंद उनके पैड पर जा लगी। धवन अपनी पसली की तरफ़ आ रही गेंदों से तंग आ चुके थे। उन्होंने क्रीज़ से बाहर निकलकर खेलने का प्रयास किया लेकिन यह काम ना आया और वह ग्लव के चलते लेग साइड पर विकेटकीपर को कैच थमाकर चलते बने।
एजबेस्टन टेस्ट में अविश्वसनीय शतक बनाने वाले ऋषभ पंत एक फ़ुल टॉस गेंद को मिडऑन की गोद में मार बैठे। सीमित ओवरों की क्रिकेट में पंत के खेल में वह स्वतंत्रता नहीं नज़र आती जो टेस्ट मैच में उन्हें एक घातक बल्लेबाज़ बनाती है।
जहां बात कोहली ही है, उन्होंने अच्छी शुरुआत की लेकिन एक बार फिर वह ऑफ़ स्टंप से बाहर जाती गेंद को खेलने के लिए चले गए, एक ऐसी गेंद जिसे छोड़ा जा सकता था। अब उनके पास फ़ॉर्म वापस पाने का एक और मौक़ा है जिसके बाद वह वेस्टइंडीज़ दौरे से आराम ले रहे हैं।
लॉर्ड्स की पिच कठिन थी और इंग्लैंड के गेंदबाज़ों की रणनीति ने भारत का काम मुश्किल किया। सटीक लाइन और लेंथ वाली गेंदबाज़ी के साथ-साथ कप्तान जॉस बटलर की आक्रामक फ़ील्ड ने मेहमान टीम को कुछ अलग करने पर मजबूर किया।
रोहित ने कहा कि भारत को दबाव वाली मुश्किल परिस्थितियों में कुछ अलग करना होगा। लॉर्ड्स में मिली हार के बाद रोहित ने कहा, "यह हमारे साथ कई मौक़ों पर हो चुका है। हमने इस विषय पर काफ़ी चर्चा की हैं। यह 2019 विश्व कप में ही नहीं बल्कि चैंपियंस ट्रॉफ़ी समेत कई मैचों में हो चुका है जहां हम दबाव में थे। हमने विकेट गंवाए और हम 20 पर तीन या 40 पर चार की स्थिति में थे।"
कप्तान ने आगे कहा, "यहीं पर मैं चाहता हूं कि सभी खिलाड़ी अपनी मानसिकता में बदलाव करें और सकारात्मक होकर मैच को अपने हाथों में ले। मैं जानता हूं कि लक्ष्य छोटा है और आप 230-240 का पीछा कर रहे हैं लेकिन क्या आप इसे हासिल करने के लिए कुछ अलग कर सकते हैं? क्या एक बल्लेबाज़ी क्रम के तौर पर हम कुछ बदल सकते हैं? मुझे लगता है कि हम बिल्कुल ऐसा कर सकते हैं।"
क्या इसका अर्थ यह है कि कप्तान चाहते हैं कि बल्लेबाज़ टी20 सीरीज़ की तरह आक्रामक रवैया अपनाए? रोहित ने कहा, "मैं चाहता हूं कि वह मैच को अपने हाथ में लें और देखे कि क्या अपने अंदाज़ में कुछ अलग किया जा सकता है। अगर वह टीम को उस स्थिति से बाहर निकालेंगे तो सोचिए कि उन्हें कितना आत्मविश्वास मिलेगा। इस विषय पर बहुत बात होती है लेकिन यह उस व्यक्ति और उस स्थिति पर निर्भर करता है। यहां पर टीम प्रबंधन काम में आता है जो उन्हें खुलकर खेलने और अपने आप को व्यक्त करने की स्वतंत्रता प्रदान करता है।"
सीरीज़ के 1-1 से बराबर होने के बाद रविवार को निर्णायक मैच में भारतीय टीम के पास अपने कप्तान की बातों पर अमल करने का एक मौक़ा होगा जब वह तीन साल पहले मिली हार के बाद मैनचेस्टर के मैदान पर उतरेगी।
नागराज गोलापुड़ी ESPNcricinfo में न्यूज़ एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सब एडिटर अफ़्ज़ल जिवानी ने किया है।