साउथ अफ़्रीका से मिली करारी हार के बाद भी आक्रामक रणनीति को बरक़रार रखेंगें मक्कलम
ब्रेंडन मक्कलम ने चेहरे पर मुस्कान लिए कहा, "अगले कुछ समय में आप मेरे आशावादी स्वभाव से परिचित हो जाएंगे। मैं किसी भी चीज़ पर अत्यधिक प्रतिक्रिया नहीं देता।"
इंग्लैंड के पुरुष टेस्ट टीम के मुख्य कोच लॉर्ड्स के पवेलियन में अपने कार्यकाल की पहली हार के बाद संवाददाताओं से बाद कर रहे थे। मक्कलम ने इस पद को मई में स्वीकार करते हुए मीडिया के साथ यह समझौता किया था कि वह जीत के बजाय हार के बाद मीडिया से ख़ुद बात करना पसंद करेंगे। इस तरह जीत का श्रेय हमेशा खिलाड़ियों के ही खाते में जाएगा।
साउथ अफ़्रीका से पारी और 12 रन से मिली बड़ी हार के बाद भी इंग्लैंड टीम प्रबंधन किसी बड़े बदलाव के पक्ष में नहीं है। इस टीम की आक्रामक क्रिकेट खेलने की रणनीति पहले ही गतिअवरोधक पर नहीं रुकेगी।
लॉर्ड्स टेस्ट के तुरंत बाद कप्तान बेन स्टोक्स का मानना था कि टीम को हर हाल में आक्रमण की नीति को परिस्थितियों के हिसाब से समझना और इसका पालन करना होगा और कोच मक्कलम ने भी कुछ ऐसा ही कहा।
उन्होंने कहा, "शायद हमें यह बात सोचनी पड़ेगी कि क्या हम अपनी आक्रामक नीति की तरफ़ और प्रतिबद्ध हो सकते थे? क्या हम और सकारात्मक बनकर विपक्ष पर दबाव बढ़ा सकते थे? हमें ख़ास नेट्स की कोई ज़रूरत नहीं है। ये सारे अच्छे क्रिकेटर हैं, जिन्हें अच्छा ख़ासा अनुभव है और वह जानते हैं कि क्या करना है। शायद हमें केवल एक या दो चीज़ों में बेहतरा चाहिए और हमें पूछना है कि क्या हम और आक्रामक हो सकते थे?"
जब एक टीम छह सेशन के भीतर मैच हार जाए और 83 ओवरों के बीच अपने 20 विकेट गंवा बैठे, तो आक्रामक नीति की ऐसी बात ज़रूर खटक सकती है। हालांकि मक्कलम ने अपनी सोच का संदर्भ इंग्लैंड की पहली पारी को बताया, जब बुधवार को डीन एल्गर ने टॉस जीतकर इंग्लैंड को पहले बल्लेबाज़ी करने को कहा।
इस सीज़न इंग्लैंड को जीत तब मिली है जब टीम को 277, 299, 296 और 378 के लक्ष्य मिले हैं। हालांकि हर मैच में इंग्लैंड ने अपनी पहली पारी में भी विपक्ष पर बल्ले से दबाव डाला था। न्यूज़ीलैंड तीन टेस्ट में केवल एक बार तीसरी पारी में आगे था, जब उसने ट्रेंट ब्रिज में 553 बनाकर 14 रन की बढ़त ली थी। भारत 132 रनों से आगे ज़रूर था लेकिन दूसरी पारी में 245 बनाकर उसने इंग्लैंड को मैच में बने रहने दिया था।
मूल बात यह है कि इन सभी मैचों में इंग्लैंड को शुरुआत से ही दूसरी टीम का पीछा करना पड़ा था। जब आपके सामने एक लक्ष्य होता है तो आप के लिए अपने ध्यान और एकाग्रता को केंद्रित करना थोड़ा आसान हो जाता है। इसके विपरीत जब आप से कहा जाए कि आप एक स्कोर खड़ा करें और विरोधी टीम को पीछा करने दें तो आपकी ज़िम्मेदारी बदल जाती है। यह एक कला है जिसके साथ इंग्लैंड ने कुछ समय से संघर्ष किया है। साउथ अफ़्रीका ने पहले इंग्लैंड को 165 पर सिमेट कर और फिर एक बड़ा स्कोर खड़ा कर इस कमज़ोरी को साफ़ दर्शाया। हालांकि मक्कलम का मानना है कि आक्रामक बल्लेबाज़ी का सिद्धांत केवल स्कोर का पीछा करते समय ही लागू नहीं होने चाहिए।
उन्होंने कहा, "शायद हम अधिक साहस का परिचय तब देते हैं जब स्कोरबोर्ड आपको एक स्कोर के पीछे लगे रहने पर विवश करता है। ऐसा हम पहले बल्लेबाज़ी करते हुए भी कर सकते हैं। शायद हमें पहले बल्लेबाज़ी करते हुए भी साहस की ज़रूरत है ताकि हम और आक्रामक शैली अपनाएं।"
आगे उन्होंने कहा, "हमने उन परिस्थितियों में अपनी पूरी कोशिश की लेकिन पहली पारी में पर्याप्त रन नहीं बना सके। शायद हम थोड़ा साहसी होकर विरोधी टीम पर दबाव वापस डाल सकते थे। लेकिन आपको कभी-कभी ख़ुद दबाव झेलकर पारी को बराबरी तक लाने का समय लेना पड़ता है। हम वैसा नहीं कर पाए।"
इंग्लैंड को आक्रामक बनने से रोकने में साउथ अफ़्रीका के शानदार तेज़ गेंदबाज़ों का भी बड़ा हाथ रहा। अनरिख़ नॉर्खिये, कगिसो रबाडा, लुंगी एनगिडी और मार्को यानसन ने कुल 34.4 प्रतिशत गेंदें 87 मील प्रति घंटा (लगभग 140 किमी) की गति से अधिक पर रखीं। इंग्लैंड के तेज़ गेंदबाज़ों के लिए यही आंकड़ा कुल गेंदों का केवल 0.2 प्रतिशत ही था।
मक्कलम ने नॉर्खिये के बारे में कहा, "वह एक बहुत अच्छे गेंदबाज़ हैं, जो अच्छी गति से गेंद डालते हैं। लेकिन हमारे खिलाड़ियों ने विश्व के सर्वश्रेष्ठ तेज़ गेंदबाज़ों के विरुद्ध अच्छी बल्लेबाज़ी की है। वह इस बार विफल रहे। हम अगले हफ़्ते फिर से इनके साथ खेलेंगे इसलिए मैं कोई भेद नहीं खोल सकता लेकिन हमने इस बारे में बात की है।"
लॉर्ड्स टेस्ट के जल्दी ख़त्म हो जाने से खिलाड़ियों को गुरुवार से मैनचेस्टर में दूसरे टेस्ट के लिए तैयार होने के लिए अतिरिक्त समय मिलेगा। ऐसे में टीम अभ्यास नहीं कर रही है। पूरा दल ओल्ड ट्रैफ़र्ड में मंगलवार की सुबह को एकत्रित होगा। इसमें ओपनर ज़ैक क्रॉली भी शामिल हैं जिन्होंने इस सीज़न केवल 16.40 की औसत से रन बनाए हैं। उनका सर्वश्रेष्ठ 46 रन भारत के ख़िलाफ़ दूसरी पारी में 107 रन की सलामी साझेदारी का हिस्सा था। लेकिन मक्कलम ने अपने पहले दिए बयान को दोहराया कि वह क्रॉली से निरंतरता की उम्मीद नहीं रखते।
उन्होंने कहा, "मैं उन्हें देखता हूं तो मुझे लगता है उनमें निरंतर रन बनाने का कौशल नहीं है। लेकिन उन्हें इस स्थान पर रखा गया है क्योंकि वह अपने खेल के दम पर इंग्लैंड को मैच जिता सकते हैं। हमें उनके बारे में सोच और शब्दों को सकारात्मक रखना है। वह एक प्रतिभा हैं और ऐसे खिलाड़ी कम ही मिलते हैं। वह अपनी गेम को समझ रहे हैं और हमें उनके साथ सब्र से पेश आना चाहिए। ऐसा क्रिकेट में अक्सर होता है कि किसी को ख़ुद को स्थापित करने में थोड़ा समय लगता है लेकिन फिर वह अपनी टीम के लिए स्तंभ बन जाता है।"
मक्कलम का व्यक्तित्व ऐसा है कि जब वह आशावादी बातें करते हैं तो लगता है कि इन बातों पर उन्हें पूरा भरोसा है। यह देखना बाक़ी है कि टीम के सभी सदस्य उन पर कितना विश्वास करते हैं। मक्कलम ने अंत में कहा, "मुझे पता है हमें परिणामों से ही आंका जाएगा लेकिन हमारे लिए यह सोच उससे कहीं बढ़कर है। हम ड्रेसिंग रूम में वह भाषा अपनाते हैं जिससे टीम में आत्मविश्वास का संचार हो और हम अपनी पसंदीदा शैली से खेल सकें। कप्तान और मुझे लगता है कि केवल इसी शैली से हम अधिक टेस्ट मैच जीतने और एक बेहतर टीम बनने की संभावना को बढ़ाएंगे।"
विदूशन अहंतराजा ESPNcricinfo में असोसिएट एडिटर हैं, अनुवाद ESPNcricinfo के असिस्टेंट एडिटर और स्थानीय भाषा प्रमुख देबायन सेन ने किया है।