अजिंक्य रहाणे की वापसी की कहानी ने हनुमा विहारी को नई उम्मीद दी है

विहारी यह जानते हैं कि पुराने सवालों के नए जवाब ढूंढने के अलावा उनके पास कोई और रास्ता नहीं है। © PTI

पिछली बार जब भारतीय टीम 2019 में वेस्टइंडीज़ दौरे पर गई थी तो हनुमा विहारी ने अपना पहला टेस्ट शतक बनाया था। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर टेस्ट क्रिकेट में शतक बनाना हनुमा के लिए बचपन का सपना था, जिसे उन्होंने उस दौरे पर पूरा किया था। हालांकि उस टेस्ट सीरीज़ के चार साल बाद जब एक बार फिर से भारतीय टीम वेस्टइंडीज़ में है तो हनुमा उस टीम का हिस्सा नहीं हैं।

जब चेतेश्वर पुजारा को श्रीलंका के ख़िलाफ़ खेली गई टेस्ट सीरीज़ से ड्रॉप किया गया था तो हनुमा को नंबर तीन पर बल्लेबाज़ी करने का मौक़ा दिया गया था। हालांकि वह इस मौक़े को भुनाने में सफल नहीं हो पाए और तीसरे नंबर पर बल्लेबाज़ी करते हुए उन्होंने 58, 31, 35, 20, और 11 का स्कोर बनाया।

हालांकि एक बात यह भी थी कि उन पारियों में से दो पारियां बेंगलुरु की ऐसी पिच पर आईं थी, जहां गेंद काफ़ी ज़्यादा टर्न कर रही थी। इसके अलावा दो और पारियां इंग्लैंड के ख़िलाफ़ बर्मिंघंम की पिच पर आई थी, जहां वह सीम और स्विंग को चकमा देकर रन बनाने में क़ामयाब नहीं हो पाए थे।

उसके बाद से विहारी को भारतीय टेस्ट टीम में जगह नहीं मिली है। उन्होंने अपने 28 टेस्ट पारियों में कुल 839 रन बनाए, जिसमें एक शतक और पांच अर्धशतक शामिल है। हालांकि अब 29 साल की उम्र में विहारी वापसी करने और अपने रास्ते में आने वाले हर अवसर का अधिकतम लाभ उठाने की कोशिश के बीच संतुलन बनाना चाह रहे हैं।

"जब तक आप रिटायर नहीं हो जाते, तब तक उम्मीद हमेशा बनी रहती है कि आप वापसी कर सकते हैं। मैं अभी 29 साल का हूं और अभी काफ़ी समय बाक़ी है। मैंने अजिंक्य रहाणे को 35 साल की उम्र में वापसी करते देखा है। मुझे अभी भी लंबा सफर तय करना है।"
हनुमा विहारी

बुधवार को जब विहारी दलीप ट्रॉफ़ी के फ़ाइनल में साउथ ज़ोन की अगुवाई कर रहे हैं तो वहीं शुभमन गिल वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ खेले जाने वाले पहले टेस्ट में नंबर तीन पर बल्लेबाज़ी करने की तैयारी कर रहे होंगे। साथ ही यशस्वी जायसवाल जैसे युवा भारतीय टीम के लिए पहली बार ओपनिंग करते हुए अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में अपनी छाप छोड़ने के लिए रणनीति तैयार कर रहे होंगे।

हालांकि विहारी उन खिलाड़ियों में से बिल्कुल नहीं हैं जो यह सोचे कि भारतीय टीम का कोई खिलाड़ी अच्छा प्रदर्शन न करे और फिर उन्हें वापसी करने का मौक़ा मिल जाए। लगातार ड्रॉप किए जाने के अनुभव के साथ चलते हुए विहारी इस तरह की कठिन परिस्थितियों से निकलना सीख गए हैं ताकि वह एक नई शुरुआत कर पाएं।

विहारी ने दलीप ट्रॉ़फ़ी से पहले कहा, "जब आपको ड्रॉप कर दिया जाए तो वापसी करना हमेशा कठिन होता है। मानसिक तौर पर भी आप थोड़ा संघर्ष करते हैं। मैं पिछले सीज़न में यह देख चुका हूं। लेकिन अब मैंने सोच लिया है कि इस सीज़न में मुझे सब कुछ एक तरफ़ रखकर अपनी बल्लेबाज़ी पर ध्यान केंद्रित करना है। मैं अपने कौशल में सुधार करने की कोशिश करना चाहता हूं और वही करना चाहता हूं जो मैं प्रथम श्रेणी क्रिकेट में पिछले 12 वर्षों से कर रहा हूं। अगर ऐसा होता है ठीक है, यदि नहीं होता है तो मैं फिर से बेहतर बनने की कोशिश करूंगा।"

हनुमा फ़िलहाल दलीप ट्रॉफ़ी के फ़ाइनल में साउथ ज़ोन की कप्तानी कर रहे हैं © AFP/Getty Images

विहारी यह साफ़ तौर पर स्वीकार करते हैं कि एक बार जब आपको ड्रॉप कर दिया जाए तो वापसी करने की प्रेरणा को ढूंढ पाना काफ़ी मुश्किल होता है। लेकिन वह यह भी जानते हैं कि पुराने सवालों के नए जवाब ढूंढने के अलावा कोई और रास्ता नहीं है।

"वापसी करने की प्रक्रिया को फिर से अपना पाना काफ़ी कठिन होता है। यहीं पर आपका परिवार एक अहम भूमिका निभाता है। वे मेरे लिए काफ़ी मददगार रहे हैं। वे समझते हैं कि मैं किस दौर से गुजर रहा हूं।"

"मुझे यह समझने में बहुत समय लगा कि मुझे क्यों बाहर किया गया और फिर मैं दोबारा कोशिश करने और वापसी करने के लिए प्रेरित हुआ। मैं मानसिक और शारीरिक रूप से अपने खेल पर काम करने की कोशिश करता हूं। अब मैं अच्छी स्थिति में हूं। मैं रन बनाना चाहता हूं। बाक़ी की चीज़ें मैं चयनकर्ताओं पर छोड़ता हूं।"

विहारी को पता नहीं है कि उन्हें उस समय टीम से बाहर क्यों किया गया, लेकिन वह अजिंक्य रहाणे की वापसी की कहानी से प्रेरणा लेना चाहते हैं। बाहर किए जाने के डेढ़ साल बाद रहाणे विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप फ़ाइनल के लिए भारतीय टीम के लिए वापसी की और अब टेस्ट टीम के उप-कप्तान के रूप में वेस्टइंडीज़ दौरे पर हैं।

जब विहारी से पूछा गया कि क्या उन्हें इस बात का जवाब मिल गया है कि उन्हें क्यों बाहर रखा गया है, तो उन्होंने कहा, "मुझे अभी भी पता नहीं है। मुझे लगता है कि जब भी मुझे मौक़ा मिला, मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। शायद मेरा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन भारतीय टीम के लिए पर्याप्त नहीं था। लेकिन फिर भी मैं बेहतर होने की कोशिश करूंगा। एक खिलाड़ी के रूप में आप बस इतना ही कर सकते हैं।"

"जब तक आप रिटायर नहीं हो जाते, तब तक उम्मीद हमेशा बनी रहती है कि आप वापसी कर सकते हैं। मैं अभी 29 साल का हूं और अभी काफ़ी समय बाक़ी है। मैंने अजिंक्य रहाणे को 35 साल की उम्र में वापसी करते देखा है। मुझे अभी भी लंबा सफर तय करना है।"

शशांक किशोर ESPNcricinfo के सीनियर सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सब एडिटर राजन राज ने किया है।

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