रोहित: असल में अभ्यास मैचों का कोई मतलब नहीं है
अगर कोई टीम एक टेस्ट मैच सिर्फ़ 210 ओवर में हार जाए तो उसकी तैयारियों पर सवाल उठना लाज़मी है। प्रथम श्रेणी या अभ्यास मैच के बजाय इंट्रा स्क्वाड गेम को तरजीह देने का भारतीय टीम का फ़ैसला उनकी शर्मनाक हार के बाद सवालों के घेरे में आ गया है। हालांकि रोहित शर्मा ने इसे यह कहकर ख़ारिज कर दिया कि ख़ुद मेज़बान टीम को ही अपनी विपक्षी टीम को अभ्यास के अच्छे अवसर देने में दिलचस्पी नहीं थी।
रोहित ने कहा, "हम पिछले पांच छह वर्षों से अभ्यास मैच खेल रहे हैं, हमने प्रथम श्रेणी मैच भी खेलकर देखा है लेकिन हमें अभ्यास मैचों में इस तरह की विकेट नहीं मिलती। इसलिए बेहतर है कि हम अपने स्तर पर ही तैयारी करें। वैसी पिच तैयार करें जैसा कि हम चाहते हैं। जब हम पिछली बार ऑस्ट्रेलिया गए थे या जब हम 2018 में ही जब साउथ अफ़्रीका आए थे तब उन पिचों पर घुटनों के ऊपर उछाल था ही नहीं। जबकि टेस्ट में गेंदें सिर के ऊपर से जा रही थीं।"
"इसलिए हमने तय किया कि हम अपने हिसाब से तैयारी करेंगे। अगर आपको अभ्यास मैचों में वैसी ही परिस्थिति मिले जैसा कि टेस्ट मैच में मिलती हैं, तब बात अलग है। लेकिन पिछले तीन चार दौरों पर हमने यही पाया है कि हमें अभ्यास मैचों में वैसी परिस्थितियां नहीं मिल पातीं। यहां तक कि गेंदबाज़ भी 120-125 की स्पीड से ही गेंद फेंकते हैं। इसलिए यही बेहतर है कि हम अपने ही गेंदबाज़ों के साथ खेलें और वैसी ही पिच बनाएं जैसा हम चाहते हैं।"
हालांकि भारत ने ऑस्ट्रेलिया के पिछले दौरे पर अभ्यास मैच के दौरान शॉन एबट और मिचेल स्वेपसन का सामना किया था जो कि टेस्ट दल का हिस्सा थे जबकि 2018 में साउथ अफ़्रीका के दौरे पर भारत ने कोई अभ्यास मैच नहीं खेला था। वह भी तब जब भारत चार साल में पहली बार साउथ अफ़्रीका का दौरा कर रहा था।
रोहित ने कहा, "यह मत भूलिए कि हमने ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड को हराया है। हमने ऑस्ट्रेलिया में सीरीज़ अपनी बल्लेबाज़ी के बलबूते जीती थी। हमने इंग्लैंड के ख़िलाफ़ सीरीज़ बल्लेबाज़ी और गेंदबाज़ी दोनों के दम पर ड्रॉ कराई। प्रदर्शन अच्छा या ख़राब हो सकता है लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि हमें भारत के बाहर बल्लेबाज़ी करने नहीं आती।"
प्रसिद्ध कृष्णा और शार्दुल ठाकुर भारत के अन्य गेंदबाज़ों की तुलना में अधिक खर्चीले रहे लेकिन भारतीय कप्तान इन दोनों का ही बचाव किया है।
रोहित ने कहा, "बुमराह ने अच्छी गेंदबाज़ी की और हम सब उनकी क्षमता से वाक़िफ़ भी हैं। उन्हें दूसरे छोर से ज़रूर वैसी मदद नहीं मिली लेकिन अन्य तीन गेंदबाज़ों ने भी अपना पूरा ज़ोर लगाया। लेकिन हां, इस तरह का मैच आपको काफ़ी कुछ सिखाता है। अगर आप यह सोचने लग जाएंगे कि मैंने तो टेस्ट मैच खेले ही नहीं है, मैंने पर्याप्त प्रथम श्रेणी मैच भी नहीं खेले हैं तो यह चीज़ें आपको फ़ायदा नहीं पहुंचाएंगी।"
"प्रसिद्ध पिछले दो तीन साल से भारतीय टीम के साथ रहे हैं। हां उन्होंने टेस्ट मैच नहीं खेले हैं लेकिन उन्होंने व्हाइट बॉल क्रिकेट काफ़ी खेली है और उन्होंने इस दौरान अपनी योग्यता का प्रदर्शन भी किया है। उनके पास क्षमता है और हम उन्हें ज़ाहिर तौर पर बैक करेंगे।"
सिद्धार्थ मोंगा ESPNcricinfo के सीनियर लेखक हैं