शुभमन गिल की पारी ने द्रविड़ और पुजारा की याद दिलाई
यहां पर गले लगना था, खुशी के साथ पीठ थपथपाने वाली जादू की झप्पी जो आपने क्रिकेट के मैदान पर देखी होगी। इंस्टग्राम पोस्ट में देखा होगा, कई वीडियो देखे होंगे। भारत के नंबर तीन बल्लेबाज़ लंबे हैं, पतले हैं, टोपी लगाकर बल्लेबाज़ी करते हैं और चौथी पारी में अर्धशतक लगाकर भारत को एक यादगार जीत दिलाते हैं।
यह रांची में 2024 में हुआ था, लेकिन इसे आप 2003 में एडिलेड के बारे में सोच सकते हैं।
शुभमन गिल इस सीरीज़ में 20 टेस्ट में 30.58 की औसत से रन बनाकर पूरी दुनिया में खु़द को साबित करने के बाद पहुंचे थे। उनसे पूछा गया कि क्या वह नंबर तीन पर खेलेंगे, जहां राहुल द्रविड़ और चेतेश्वर पुजारा खेलते थे। कुछ अनुभवी खिलाड़ियों के चोटिल होने और किसी अन्य कारण से नहीं खेलने से वह सबसे कम अनुभवी लाइनअप में सीनियर सदस्य बन गए थे।
यहां देखते हैं शुभमन की सीरीज़ अब तक कैसी गई : 23, 0, 34, 104, 0, 91, 38, 52*। उन्होंने 48.85 की औसत से 342 रन बनाए जो दोनों टीमों में दूसरे सर्वश्रेष्ठ रन हैं और कम से कम दो टेस्ट खेलने वाले दोनों टीम के खिलाड़ियों में दूसरा सर्वश्रेष्ठ औसत।
वह यशस्वी जायसवाल की तरह की फ़ॉर्म में बल्लेबाज़ी नहीं कर रहे हैं, जो इस समय अलग ही स्तर पर हैं। वह शुभमन गिल की तरह भी बल्लेबाज़ी नहीं कर रहे जिन्हें पूरी दुनिया जानती है। वह शुरू में ही कमजोर दिख रहे थे, ख़ासकर इंग्लैंड के तेज़ गेंदबाज़ों के ख़िलाफ़। उन्हें स्पिनरों के ख़िलाफ़ स्ट्राइक बदलने में दिक्कत आ रही थी। वह ऐसे आक्रामक शॉट पर आउट हुए जो उन्हें नहीं खेलने थे।
जब वह लय में होते हैं तो वह दुनिया के सबसे बेहतरीन स्ट्रोक मेकर में से एक हैं, लेकिन शायद वह भी उस तरह की लय में नहीं है। वह समस्याओं से जूझ रहे हैं, उन पर काम कर रहे हैं, रन बना रहे हैं और समाधान के लिए अन्य समस्याओं से भी जूझ रहे हैं। यह उस तरह की श्रृंखला नहीं है जहां एक पारी ने उनके असल स्वभाव को उजागर कर दिया हो।
उन्होंने विशाखापटनम में दूसरी पारी में शतक लगाया और सीरीज़ में अपनी सबसे अनिश्चित दिखने वाली पारी खेली। यह राजकोट में पहला दिन था जब वह डिफेंस करने के प्रयास में संतुलन बिगाड़ बैठे और मार्क वुड ने उन्हें शून्य पर आउट किया। फिर जब दूसरा दिन आया तब भारतीय टीम बल्लेबाज़ी कर रही थी और वह थ्रोडाउन के साथ नेट्स में लंबा सेशन बिता रहे थे।
यह साफ़ नहीं था कि वह किस पर काम कर रहे थे, लेकिन हो सकता है कि वह तेज़ गेंदबाज़ों के ख़िलाफ़ अपने ट्रिगर मूवमेंट पर काम कर रहे हों क्योंकि वह लाइन में बहुत ही जल्दी आ रहे थे और निश्चित रूप से दूसरी पारी में, ऐसा कहा जा सकता है कि परिस्थितिया इस स्तर तक तेज़ गेंदबाज़ों के लिए कम मददगार थीं और ऐसा लग रहा था कि 91 रन बनाते समय उन्होंने अपना सारा जोश पीछे छोड़ दिया था।
रांची में पहली पारी में उन्होंने 38 रन बनाए लेकिन शोएब बशीर की गेंद पर फ्रंटफुट डिफेंस करने के चक्कर में वह पगबाधा हो गए। शुभमन ने गेंद पर बहुत लंबा पैर निकाला और ऑफ़ स्टंप के क़रीब की लाइन पर गेंद सीधा उनके पैड से टकरा गई।
दूसरी पारी में उन्होंने पगबाधा को समीकरण से बाहर करने का संकल्प लिया। उन्होंने ऐसा कुछ किया जो स्वाभाविक रूप से उनके अंदर आता है, लेकिन उन्होंने उस चीज़ को अलग तरीके़ से किया।
मैच ख़त्म होने के बाद शुभमन ने ब्रॉडकास्टर से कहा, "पहली पारी में गेंद अधिक टर्न नहीं हो रही थी, तो मैंने अधिक कदम नहीं निकाले और जिस गेंद पर मैं आउट हुआ, वह दरार पर गिरी और तेज़ी से स्पिन हुई। दूसरी पारी में मैंने बस यही सोचा कि कदम निकालकर पगबाधा को गेम से बाहर कर दूंगा।"
"यह कुछ ऐसी चीज़ है जिस पर मैंने काम किया है, कदम निकालो और सिंगल के लिए खेलो या डिफ़ेंस कर दो, क्योंकि जब भी आप कदम निकालते हैं तो आप हमेशा बड़े शॉट के लिए सोचते हैं लेकिन मुझे लगता है कि अगर आप कदम निकाल सकते हो और अगर आपके पास ये गेम है जहां आप कदम निकालकर डिफ़ेंस करते हो या सिंगल लेते हो तो मुझे लगता है यह इस तरह के विकेटों पर बहुत मददगार है।"
कदम निकालो और सिंगल के लिए खेलो या डिफ़ेंस करो। क्या यह अज़ीब नहीं लगता?
युवा बल्लेबाज़ों के ग्रुप के आने और भारत चेतेश्वर पुजारा से आगे निकल चुका है लेकिन अगर इस सीरीज़ में किसी भी पिच पर पुजारा की मौजूदगी की ज़रूरत थी तो वह यह पिच थ्ज्ञी। जहां गेंद नीची रह रही थी। कदम निकालकर गेंद को डिफ़ेंस करना या सिंगल लेने की उनमें क्षमता है।
192 रनों का पीछा करते हुए भारत के पास पुजारा नहीं थे, लेकिन ऐसा नंबर तीन बल्लेबाज़ था जो उनकी तरह बल्लेबाज़ी कर सकता था। ESPNcricinfo के डाटा के अनुसार सोमवार को शुभमन 31 बार क्रीज़ से बाहर निकले, जो पिछली टेस्ट पारियों में उन्होंने बहुत कम किया है। उन्होंने बशीर की 50 गेंद खेली और 27 बार कदम निकाले।
और यह केवल 120वीं गेंद थी जो उन्होंने खेली जहां उन्होंने पहली बाउंड्री लगाई, जहां उन्होंने बशीर पर आगे निकलकर छक्का लगाया। इस समय तक भारत को बस 20 रन की ज़रूरत थी। शुभमन एक विकेट पर 84 रन पर आए और 65 गेंद के भीतर स्कोर को पांच विकेट पर 120 रन होते देखा। जिस समय उन्होंने यह छक्का लगाया वह और ध्रुव जुरेल टीम को पांच विकेट पर 172 रनों तक ले गए थे।
शुभमन ने कहा, "यह केवल मेरी अकेली पारी है जहां मैं अर्धशतक लगाने के बाद आगे निकला लेकिन बाउंड्री नहीं लगाई। लेकिन आपको परिस्थिति को समझने की ज़रूरत है और कई बार आपको परिस्थिति के हिसाब से खेलना होता है और जिस तरह से उनके गेंदबाज़ गेंदबाज़ी कर रहे थे। वे बहुत अच्छी लाइन पर गेंदबाज़ी कर रहे थे और वह अपनी बाउंड्री भी बहुत अच्छी तरह से बचा रहे थे। तो यह जरूरी था कि बस गेम को खेलते रहो और गेंदबाज़ों को अधिक मेडन नहीं करने दो क्योंकि इस तरह के विकेट पर कोई भी करिश्माई गेंद आपको मुश्किल में डाल सकती है, तो बस यही प्लान था, सिंगल लेते रहो और जब वह कोई ख़राब गेंद करें तो उस पर बाउंड्री निकालो।"
यह शुभमन गिल की पारी थी लेकिन यह पुजारा या द्रविड़ की पारी भी हो सकती थी।
शुभमन ने उस इंस्टाग्राम पोस्ट में राहुल द्रविड़ के कहे शब्द लिखे। "आप नहीं तो फिर कौन? अभी नहीं तो कब?"
उस दूसरे प्रश्न का एक सामान्य उत्तर है: यदि अभी नहीं, तो फिर कभी, जल्द ही।
शुभमन में बहुत काबिलियत है और वह अपने गेम पर बहुत मेहनत करते हैं, जिससे वह जल्द ही या देर से लगातार टेस्ट रन बनाने वाले बल्लेबाज़ बन सकते हैं। लेकिन यह अभी हुआ और एक कठिन चुनौतीपूर्ण सीरीज़ में और यह इस तरह से हुआ। उन्होंने हर गेंद को सपनों सरीखा टाइम नहीं किया जैसा हम सभी जानते हैं। उन्होंने संघर्ष किया, इसके बजाय, उन्होंने संघर्ष किया है और सहन किया है और संघर्ष ने इसे देखने में और भी मधुर बना दिया है।
कार्तिक कृष्णास्वामी ESPNcricinfo में असिस्टेंट एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी में सीनियर सब एडिटर निखिल शर्मा ने किया है।