गंभीर : मुझे लगता है युवाओं को वक़्त दिया जाए
भारत और इंग्लैंड के बीच खेले गए पहले टेस्ट में यह साफ़ दिख रहा था कि भारतीय टीम तेज़ गेंदबाज़ी में जसप्रीत बुमराह पर काफ़ी ज़्यादा निर्भर थी। हालांकि भारतीय टीम की यह योजना बरकरार है कि जसप्रीत बुमराह केवल तीन टेस्ट खेलेंगे।
हालांकि हेडिंग्ले में आख़िरी दिन जब इंग्लैंड को जीत के लिए 22 रन चाहिए थे और उनके पास पांच विकेट बचे थे, तब भी बुमराह को दूसरी नई गेंद के साथ गेंदबाज़ी के लिए नहीं लाया गया। लेकिन हेड कोच गौतम गंभीर को भरोसा है कि बाक़ी गेंदबाज़ 20 विकेट लेने में सक्षम हैं। उन्होंने बदलाव के इस दौर से गुज़र रही युवा गेंदबाज़ी यूनिट के प्रति धैर्य की भी अपेक्षा की।
गंभीर ने कहा, "इस गेंदबाज़ी आक्रमण में एक गेंदबाज़ ऐसा है जिसने केवल पांच टेस्ट खेले हैं, एक ने चार, एक ने दो और एक ने डेब्यू भी नहीं किया है।
प्रसिद्ध कृष्णा पर इस मैच में विशेष नज़र रही, जिनकी इकॉनमी अपेक्षाकृति ज़्यादा रही। हालांकि उन्होंने दूसरी पारी में बाउंसर का बेहतर इस्तेमाल किया जबकि पहली पारी में अपनी लाइन-लेंथ से जूझते दिखे।
गंभीर ने कहा, "हमें उन्हें समय देना होगा। पहले हमारे पास चार ऐसे तेज़ गेंदबाज़ होते थे जिनके नाम 40 से ज़्यादा टेस्ट होते थे। वनडे या T20 में इससे इतना फर्क नहीं पड़ता, लेकिन जब आप ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड या साउथ अफ़्रीका जैसे देशों में टेस्ट खेलने जाते हैं तो अनुभव बहुत मायने रखता है। उनके लिए ये अभी शुरुआती दिन हैं।
"अगर हम हर टेस्ट के बाद अपने गेंदबाज़ों को आंकने लगेंगे, तो हम एक गेंदबाज़ी आक्रमण कैसे तैयार करेंगे? बुमराह और [मोहम्मद] सिराज के अलावा हमारे पास ज़्यादा अनुभव नहीं है, लेकिन गुणवत्ता ज़रूर है। यही वजह है कि वे इस ड्रेसिंग रूम में हैं। लेकिन हमें लगातार उनका समर्थन करना होगा, क्योंकि बात केवल एक दौरे की नहीं है, बल्कि एक लंबे समय के लिए भारत को सेवा देने वाले तेज़ गेंदबाज़ी यूनिट को तैयार करने की है।"
गंभीर ने तेज़ गेंदबाज़ों पर भरोसे को दोहराया, भले ही यह सवाल बना हुआ है कि जिन दो टेस्ट में बुमराह नहीं खेलेंगे, उनमें भारत 20 विकेट कैसे निकालेगा। गंभीर ने कहा, "मेरे लिए बुमराह का वर्कलोड मैनेज करना ज़्यादा ज़रूरी है क्योंकि आगे बहुत क्रिकेट है और हमें पता है कि वह हमारे लिए कितने महत्वपूर्ण हैं। इस दौरे पर आने से पहले ही तय हो गया था कि वह तीन टेस्ट खेलेंगे, लेकिन अब देखते हैं कि उनका शरीर कैसा रहता है। अभी यह तय नहीं हुआ है कि बाकी कौन से दो टेस्ट वो खेलेंगे।"
"हमारे पास अच्छी गेंदबाज़ी आक्रमण है। हमें उन पर भरोसा है। जब हम टीम चुनते हैं तो भरोसे के आधार पर करते हैं, उम्मीद के आधार पर नहीं। ये अनुभवहीन गेंदबाज़ हैं, लेकिन ये बेहतर होते जाएंगे। हमने इस टेस्ट में भी देखा कि पहले चार दिन और पांचवें दिन भी हम जीत की स्थिति में थे। हमें यकीन है कि ये खिलाड़ी हमें जीत दिला सकते हैं।"
प्रसिद्ध और शार्दुल ठाकुर (जिन्हें बॉलिंग ऑलराउंडर के रूप में चुना गया था) के प्रदर्शन को लेकर गंभीर ने आलोचना से बचाव किया।
"मुझे लगता है प्रसिद्ध ने अच्छी गेंदबाज़ी की। उन्होंने हमें अहम विकेट दिलाए। हमने उन्हें इसलिए चुना क्योंकि हमें लगा कि उनके पास कुछ अलग है। और पहली पारी में उन्होंने उस बाउंस का अच्छा इस्तेमाल किया, दूसरी में भी। वह अनुभव के साथ बेहतर होंगे। उनके पास एक बेहतरीन गेंदबाज़ बनने के सारे गुण हैं, जैसा उन्होंने सिडनी में और यहां भी दिखाया। इसलिए हम इन लड़कों का समर्थन करते रहेंगे।
"शार्दुल का इस्तेमाल थोड़ा कम हुआ, शायद इसलिए कि [रवींद्र] जाडेजा ने बेहतरीन गेंदबाज़ी की और हमें लगा कि वो हमें कंट्रोल देंगे। शार्दुल ने हमें दो अहम विकेट दिए। मैं यहां बैठकर यह नहीं कहूंगा कि किसने अच्छा किया या नहीं। शार्दुल ने वो दो विकेट दिलाए जिन्होंने हमें मैच में वापस लाया। हमें बस लगातार ऐसा प्रदर्शन करते रहना होगा। और ये लड़के सीखते जाएंगे।"
भारत के लिए परेशानी केवल गेंदबाज़ी में गिरावट की नहीं थी। भारत को ऐसे टेस्ट में हार मिली, जिसे कई मौक़ों पर भारत जीत सकता था, निचले क्रम की बल्लेबाज़ी भी चिंता का विषय रही। नंबर 8 से 11 तक के बल्लेबाज़ों ने दोनों पारियों में मिलाकर सिर्फ़ नौ रन बनाए। जब दूसरे छोर पर विशेषज्ञ बल्लेबाज़ मौजूद थे, तब भी वे जोखिम भरे शॉट खेलकर आउट हुए। हालांकि गंभीर ने इसके लिए किसी को दोष नहीं दिया।
उन्होंने कहा, "सबसे पहले, मैं कहूंगा कि ऐसा नहीं था कि वे प्रयास नहीं कर रहे थे। कभी-कभी खिलाड़ी असफल होते हैं और यह ठीक है। मुझे पता है कि यह निराशाजनक है और शायद वे खु़द सबसे ज़्यादा निराश होंगे, क्योंकि उन्हें पता था कि हमारे पास एक बड़ा मौक़ा था। अगर हम पहली पारी में 570-580 रन तक पहुंचते तो मैच पर हावी हो सकते थे।
"ऐसा नहीं है कि वे नेट्स में मेहनत नहीं कर रहे। कभी-कभी ऐसा हो जाता है, यहां तक कि विशेषज्ञ बल्लेबाज़ भी फेल होते हैं। उम्मीद है वे इससे सीखेंगे और आगे बेहतर योगदान देंगे। लेकिन यही एक वजह नहीं थी टेस्ट हारने की। कुछ और मौके भी थे जहां हम मैच जीत सकते थे। मैं यह नहीं कहूंगा कि सिर्फ 8, 9, 10, 11 के योगदान न करने से हार हुई।"
ऐसे टेस्ट हारने के बाद वापसी मुश्किल हो सकती है, ख़ासकर जब कप्तान नया हो। यह शुभमन गिल का कप्तान के रूप में पहला टेस्ट था और कुल मिलाकर उनकी छठी फर्स्ट-क्लास कप्तानी थी। गंभीर ने गिल पर भरोसा जताया।
गंभारी ने कहा, "देखिए, पहला टेस्ट था तो ज़ाहिर है कि घबराहट थी। जैसा उन्होंने कहा भी, यह एक बहुत बड़ा सम्मान है। बहुत कम लोगों को यह मौक़ा मिलता है और उन्होंने शानदार खेल दिखाया। सबसे अहम बात यह है कि उन्होंने पहली पारी में जिस तरह बल्लेबाज़ी की। पहली बार कप्तानी करते हुए शतक लगाना आसान नहीं होता।
उनमें एक सफल कप्तान बनने की सारी खू़बियां हैं, लेकिन हमें उन्हें समय देना होगा। यह अभी शुरुआत है। वह पहली बार कप्तान बने हैं। मुझे यक़ीन है कि वह बेहतर होते जाएंगे। कप्तानी के लिए ये मुश्किल परिस्थितियां हैं। यह वैसा है जैसे किसी को सीधे गहरे समुद्र में फेंक देना। लेकिन मुझे पूरा भरोसा है कि वह इससे बाहर निकलकर एक सशक्त प्रोफेशनल बनकर उभरेंगे।