भारतीय कप्तान ने बदली हुई ड्यूक्स गेंद से जताई नाराज़गी
इंग्लैंड में एक बार फिर ड्यूक्स गेंद चर्चाओं के केंद्र में बनी हुई है, एक बार फिर भारत दूसरी गेंद लेने के बस 10.3 ओवर बाद ही गेंद ने अपना शेप खो दिया था। जिसके बाद दूसरे दिन सुबह उसे फिर बदला गया।
बदली हुई गेंद से अंतर साफ़ दिख रहा था, दूसरी नई गेंद से जसप्रीत बुमराह ने क़हर बरपाते हुए 14 गेंदों के अंदर तीन विकेट ले लिए थे, लेकिन इसके बाद पूरे सत्र में फिर भारत को विकेट नहीं मिली थी। दूसरी नई गेंद 1.869 डिग्री पर स्विंग हो रही थी जबकि औसतन वह गेंद 0.594 डिग्री पर सीम हो रही थी। लेकिन जब दूसरी नई गेंद को बदला गया तो वह 0.855 डिग्री पर स्विंग हो रही थी और औसतन 0.594 डिग्री ही सीम कर रही थी। ज़ाहिर है इसके बाद भारतीय टीम और कप्तान का ग़ुस्सा बढ़ता जा रहा था।
इंग्लैंड के पूर्व तेज़ गेंदबाज़ स्टुअर्ट ब्रॉड ने ब्रॉडकास्ट चैनल के साथ-साथ सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X पर भी गेंद को लेकर अपनी नाराज़गी ज़ाहिर की। ब्रॉड के मुताबिक़ बदली हुई गेंद देखने में 18-20 ओवर पुरानी दिख रही थी।
"क्रिकेट गेंद बिल्कुल एक विकेटकीपर की तरह होती है जिसकी चर्चा बहुत ही कम की जाती है। लेकिन यहां हम गेंद की लगातार बात कर रहे हैं कि क्योंकि ये एक समस्या बनती जा रही है और हर पारी में क़रीब-क़रीब बदली जा रही है। जो कहीं से भी जायज़ नहीं है, मुझे लगता है पांच सालों से मैं देख रहा हूं कि ड्यूक्स गेंद में समस्या है। जिसे सही करने की ज़रूरत है, एक गेंद 80 ओवर चलना चाहिए न कि सिर्फ़ 10 ओवर।"
एक और पूर्व इंग्लिश कप्तान नासिर हुसैन ने भी कहा, "ड्यूक्स गेंद के साथ गंभीर समस्या है।" लेकिन साथ ही साथ उन्होंने कहा कि गेंदबाज़ चाहते हैं कि गेंद बिल्कुल परफ़ेक्ट हो और तभी बार-बार गेंद बदल दी जाती है।
2020 से ही ड्यूक्स गेंद सुर्ख़ियां बटोर रही है, लगातार ये गेंद नरम हो जाती है और आकार भी खो देती है। ECB ने भी इसी को देखते हुए काउंटी चैंपियनशिप के चार चरणों में ड्यूक्स की जगह कूकाबुरा गेंद को आज़माया था।
इस सीरीज़ की बात करें तो शुरू से ही दोनों कप्तानों की तरफ़ से गेंद को लेकर शिकायतें आ रही हैं। गेंद के साथ-साथ पिच ने भी इस सीरीज़ में कई बार नाटकिय नतीजे सामने लाया है। 31 से 80 ओवर के बीच में इस सीरीज़ में 86.09 की औसत से विकेट गिरे हैं, जब से हम गेंद दर गेंद कॉमेंट्री कर रहे हैं - इंग्लैंड में ये सर्वाधिक औसत है। सिर्फ़ इंग्लैंड में ही नहीं अगर ओवरऑल टेस्ट इतिहास की बात करें तो जब से हम गेंद दर दर गेंद कॉमेंट्री कर रहे हैं ये औसत एक टेस्ट सीरीज़ में तीसरी सर्वाधिक है। इससे ऊपर सिर्फ़ 2008-09 में श्रीलंका के पाकिस्तान दौरे और 2000-01 में ज़िम्बाब्वे के न्यूज़ीलैंड दौरे के दौरान देखने को मिली थी।
सिद्धार्थ मोंगा ESPNcricinfo में वरिष्ठ लेखक हैं।