सीरीज़ के सबसे यादगार पल: सिराज की तक़लीफ़, गिल और क्रॉली की टक्कर, रूट के ऐतिहासिक रिकॉर्ड
सिराज - जीत के सच्चे हक़दार
मोहम्मद सिराज हर जगह थे। एजबेस्टन में शानदार कैच लिया, लॉर्ड्स में हार के बाद थककर घुटनों पर बैठे, जो रूट को स्लेज किया, लंबे स्पेल डाले, और वह कैच छोड़ा जिससे भारत सीरीज़ हार सकता था। जब बड़ी स्क्रीन पर उनका बाउंड्री लाइन पर पैर रखने का रीप्ले चला तो भीड़ की तालियों को भी झेलना पड़ा। लंबे समय से भारत की बदक़िस्मती का चेहरा बने सिराज ने सबकुछ पलट दिया। उन्होंने पांच विकेट लिए और ऑफ़ स्टंप की जड़ पर क्रॉस-सीम यॉर्कर से भारत को एक बेहतरीन टेस्ट जीत दिलाई। इससे बेहतर इंसान को ये पल नहीं मिल सकता था।सिद्धार्थ मोंगा
लॉर्ड्स: जहां बदला सीरीज़ का मिज़ाज
लॉर्ड्स में तीसरे टेस्ट के दौरान समय गंवाने को लेकर हुए विवाद ने पूरी सीरीज़ का माहौल बदल दिया। तीसरे दिन के आख़िरी सत्र में इंग्लैंड के ओपनर मैदान में उतरे, शुभमन गिल के मुताबिक़ वे 90 सेकंड देर से आए। उससे पहले भारत को उम्मीद थी कि तीन ओवर करवा लिए जाएंगे। लेकिन ज़ैक क्रॉली, जो इस रोल को एंजॉय कर रहे थे, बार-बार बुमराह के रन-अप के दौरान पीछे हटते रहे और आख़िरी गेंद पर हाथ में गेंद लगने के बाद फ़िज़ियो बुला लिया। गिल भड़क उठे। उन्होंने क्रॉली से कहा "थोड़ा मर्द बनो" और बाद में इंग्लैंड की हरकतों को खेल भावना के ख़िलाफ़ बताया। इसके बाद मैच और सीरीज़ में टेंशन बनी रही।
मैट रोलर
ओल्ड ट्रैफ़र्ड: पैर टूटा, फिर भी बल्लेबाज़ी की
बात हो रही थी कि गेंद बहुत जल्दी नरम हो जा रही है, लेकिन ये याद दिलाने वाला पल था कि गेंद अब भी इतनी सख़्त होती है कि स्लोअर डिलीवरी से पैर टूट सकता है। हम ये भी भूल जाते हैं कि ऋषभ पंत जैसे शॉट खेलने में कितनी स्किल लगती है। जब एक शॉट ग़लत हुआ तो गेंद उनके पैर के पास लगी और सूजन तुरंत आई और फ़्रैक्चर लगभग तय हो गया। वहीं उनका सीरीज़ ख़त्म हो जाना था, लेकिन पंत टूटा पैर लेकर फिर से बल्लेबाज़ी करने उतरे और एक छक्का भी मारा जिससे वह भारत के लिए सबसे ज़्यादा छक्के लगाने वालों में बराबरी पर पहुंचे।
पंत, क्रिस वोक्स और शोएब बशीर जैसे खिलाड़ी टूटी हड्डियों के साथ खेलते रहे और बेन स्टोक्स घायल कंधे के बावजूद लगातार गेंदबाज़ी करते रहे। ये बताने के लिए काफ़ी है कि टेस्ट क्रिकेट इन खिलाड़ियों के लिए क्या मायने रखता है।
सिद्धार्थ मोंगा
लॉर्ड्स: आर्चर की बहुप्रतीक्षित वापसी
जोफ्रा आर्चर की टेस्ट क्रिकेट में वापसी चार साल की मेहनत का नतीजा थी। कौन जानता है कितने पैसे लगे, कितनी चोटें आईं, कितनी झूठी उम्मीदें भी। लेकिन जब उन्होंने लॉर्ड्स में भारत की पहली पारी का दूसरा ओवर डाला, सबकुछ सफल लग रहा था। फिर सिर्फ़ तीन गेंदों में (एक 89 मील प्रति घंटे की रफ़्तार से बाहर जाती गेंद) यशस्वी जायसवाल को छकाकर इंग्लैंड को वो यक़ीन दिलाया कि आर्चर वो पूरी धार के साथ लौटे। वो जश्न मनाते हुए, राहत में चिल्लाते हुए दौड़े। जैसे उन्हें भी शक था कि ये दिन कभी आएगा।
विदूशन अहंतराजा
शुभमन गिल: अब "ऑरा" पर कोई सवाल नहीं
कहा गया कि उनके पास ऑरा नहीं है, आवाज़ का मज़ाक उड़ाया गया, लेकिन शुभमन गिल ने पहले चार पारियों में तीन शतक लगाकर सबको चुप करा दिया। उन्होंने हर गेंद पर मजबूती से बल्ला दिखाया, लेकिन उनका "ऑरा" तब दिखा जब एजबेस्टन में दूसरी पारी घोषित करने के लिए वो काली स्किन्स में, तराशे हुए शरीर के साथ मैदान पर उतरे - एकदम ब्लैक पैंथर की तरह।
सिद्धार्थ मोंगा
लॉर्ड्स: इस तरह से मैच ख़त्म होगा, किसी ने नहीं सोचा था
जब नितीश कुमार रेड्डी क्रिस वोक्स की गेंद पर आउट हुए, ऐसा लग रहा था कि लॉर्ड्स टेस्ट ख़त्म हो चुका है । भारत को जीत के लिए 81 रन और चाहिए थे, सिर्फ़ दो विकेट बचे थे और पांचवां दिन उछाल-भरी पिच पर चल रहा था। लेकिन रवींद्र जाडेजा, जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद सिराज ने लड़ाई जारी रखी।
शोएब बशीर की उंगली जाडेजा के सीधे ड्राइव से टूट गई थी और वे ज़्यादातर समय मैदान से बाहर रहे। लेकिन आख़िरी दिन वो पट्टी बंधी उंगली के साथ लौटे और अंत में सिराज ने उनकी एक गेंद पर बैकफ़ुट से डिफेंस किया, जो गिरने के बाद विकेट से जा लगी, और बशीर जश्न मनाते हुए साथियों के बीच खो गए।
मैट रोलर
द ओवल: रूट का थॉर्प को सलाम
जो रूट सिर्फ़ ग्राहम थॉर्प के शागिर्द नहीं थे। वो उनके दोस्त भी थे। जब पिछले साल थॉर्प का निधन हुआ, रूट के लिए ये निजी नुक़सान था और उन्होंने ठान लिया था कि अब ज़िंदगी थॉर्प के नाम रहेगी।
रूट उनके जनाज़े में ताबूत उठाने वालों में थे। ये बताने के लिए काफ़ी है कि थॉर्प उनके लिए क्या मायने रखते थे। और जब ओवल टेस्ट में उन्होंने अपना 39वां टेस्ट शतक पूरा किया, उन्होंने वही सफे़द हेडबैंड पहना जो थॉर्प की याद में बनाया गया था और आसमान की ओर सलामी दी। सीरीज़ की भावनाओं से भरी फ़िज़ा में ये एक ऐसा पल था जिसने सभी को ठहरकर सोचने पर मजबूर किया।और इस तरह से रूट ने जीवन की अहमियत को सामने रख दिया।
विदूशन अहंतराजा
ओल्ड ट्रैफ़र्ड: अब बस तेंदुलकर बाक़ी हैं
टेस्ट इतिहास के सबसे बड़े रन बनाने वालों की सूची में एक ही पारी में जो रूट पांचवें से दूसरे स्थान पर पहुंच गए । उन्होंने लगातार दो गेंदों पर राहुल द्रविड़ और जैक्स कैलिस को पीछे छोड़ा, फिर 13379 रन पर पहुंचते ही रिकी पोंटिंग को भी पार कर लिया, जो उसी वक्त कमेंट्री बॉक्स में थे। Sky Sports पर पोंटिंग बोले, "मुबारक हो, जो रूट। शानदार। अब बस एक और बाक़ी हैं।" रूट ने मुस्कराकर, हाथ उठाकर तालियों का जवाब दिया और फिर 150 की ओर बढ़ चले।
मैट रोलर
एजबेस्टन: आकाश दीप का शानदार दस विकेट
एजबेस्टन में सपाट पिच पर दस विकेट लेकर भारत को टेस्ट जिताना ही आकाश दीप की बड़ी उपलब्धि थी, लेकिन जो निजी संघर्ष वो झेल रहे थे, उसने इसे और ख़ास बना दिया। IPL के दौरान उनकी बहन को कैंसर हो गया और जब भी भारत में रहते, वो हर दिन एक बार अस्पताल ज़रूर जाते थे। उन्होंने कहा कि हर गेंद फेंकते समय उन्हें अपनी बहन की याद आती थी कि कैसे उन्हें मुस्कुराना है। और आख़िर में उन्होंने पूरे देश को मुस्कुराने का मौक़ा दिया।
सिद्धार्थ मोंगा
हाथ मिलाने और शतक जड़ने की कहानी
भारत ड्रॉ के लिए बल्लेबाज़ी कर रहा था। इंग्लैंड उसे रोकने की कोशिश में था। और जब स्टोक्स को लगा कि अब कोई हल नहीं निकल रहा, उन्होंने पहली बार ऐसा किया - ड्रॉ के लिए हाथ बढ़ाया।
वो हाथ बढ़ा रह गया लेकिन किसी ने नहीं मिलाया। उस शाम मैनचेस्टर में स्टोक्स और उनकी टीम भीतर तक हिल गई थी।
रवींद्र जडेजा और वॉशिंगटन सुंदर की जुझारू बल्लेबाज़ी को शतकों का इनाम मिला। सुंदर के लिए तो यह इस फ़ॉर्मेट में पहला था। इंग्लैंड चिढ़ गया और ये पल सीरीज़ का टर्निंग पॉइंट बन गया।
भारत दूसरी पारी में 0 पर 2 था और 311 रन पीछे। वो मैच लगभग ख़त्म था। लेकिन जाडेजा और सुंदर ने मिलकर हालात बदले।
ये शतक नहीं, इंग्लैंड की अहमक़ी पर चोट थी। स्टोक्स ने जाडेजा को छेड़ते हुए कहा कि तुम्हारा शतक मायने नहीं रखेगा क्योंकि वो हैरी ब्रुक पर बनेगा। ब्रुक ने सुंदर से कहा -- "अब ख़त्म करो"। दोनों ने कुछ नहीं सुना। दोनों डटे रहे। इंग्लैंड का मानसिक संतुलन वहीं बिगड़ गया और कभी वापसी नहीं कर सका।
विदूशन अहंतराजा