जाडेजा : अगर मैच ड्रॉ होता है तो यह हमारे लिए जीत की तरह ही होगा

ESPNcricinfo स्टाफ़

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भारत साउथ अफ़्रीका के ख़िलाफ़ दो टेस्ट की सीरीज़ में 0-1 से पीछे है। सीरीज़ में अब सिर्फ़ एक दिन बचा है। भारत के पास सबसे बेहतर यही उम्मीद है कि स्कोरलाइन 0-1 ही रहे। गुवाहाटी में पांचवें दिन में प्रवेश करते हुए भारत का स्कोर 27 पर 2 है। टीम लगभग असंभव से लगने वाले 549 रन के लक्ष्य का पीछा कर रही है। साउथ अफ़्रीका के ख़िलाफ़ यह हार पिछले तीन घरेलू टेस्ट सीरीज़ में भारत की दूसरी हार होगी। पिछले साल भारत को न्यूज़लैंड से 3-0 की शिकस्त मिली थी। उससे पहले भारत लगातार 12 साल में 17 घरेलू टेस्ट सीरीज़ जीत चुका था।

ऑलराउंडर रवींद्र जाडेजा ने कहा कि अगर भारत गुवाहाटी टेस्ट बचा लेता है तो वह टीम के लिए एक तरह की जीत होगी। जाडेजा ने कहा,"हमें अच्छी बल्लेबाज़ी करनी होगी। साथ ही सेशन दर सेशन अपनी रणनीति को देखना होगा। अगर पहले सेशन में हम कोई विकेट नहीं देते हैं तो गेंदबाज़ों पर दबाव बनेगा कि उन्हें हमें आउट करना है। अगर हम कल का पूरा दिन खेल जाते हैं तो हमारे लिए यह एक तरह की जीत ही होगी।"

यह सीरीज़ भारत और साउथ अफ़्रीका के बीच 2019 की पिछली घरेलू भिड़ंत से बिल्कुल उलट साबित हुई। उस सीरीज़ में भारत ने 3-0 से जीत दर्ज की थी। जाडेजा का मानना है कि साउथ अफ़्रीका ने इस बार ज़्यादा बदलाव नहीं किए हैं। बस इस बार उन्होंने सभी टॉस जीते हैं। 2019 में भारत ने सारे टॉस जीते थे।

जाडेजा ने कहा, "मुझे 2019 की तुलना में कोई बड़ा फ़र्क नहीं दिखता। लगभग वही स्क्वॉड है। क्रिकेट में सब टाइमिंग पर निर्भर करता है। शुरुआत टॉस जीतने से होती है। अगर हम इस विकेट पर टॉस जीत जाते तो शायद आज हम बेहतर स्थिति में होते। लेकिन यह खेल का हिस्सा है। अब हमारे सामने पांचवां दिन है। हमें अच्छी क्रिकेट खेलनी होगी और अपने डिफ़ेंस पर भरोसा करना होगा।"

जाडेजा भारत की उस टीम के अहम सदस्य रहे हैं जिसने 12 साल तक किसी घरेलू टेस्ट सीरीज़ में हार नहीं देखी। जब उनसे पूछा गया कि घरेलू मैदान पर मौजूदा नकारात्मक नतीजों का सामना करना कितना मुश्किल रहा है तो उन्होंने कहा कि यह एक ऐसी चुनौती है जिसे टीम को स्वीकार करना होगा।

जाडेजा ने कहा, " यह मुश्किल नहीं है। क्रिकेट में सब स्थिति पर निर्भर करता है। जब आप मैच में 300 से ज़्यादा रन आगे होते हैं तो कोई भी बल्लेबाज़ खुलकर खेल सकता है। स्पिन, बाउंस या पिच कैसी है यह मायने नहीं रखता। लेकिन जब आप 300 रन पीछे होते हैं तो काफ़ी कुछ मायने रखता है। आपको पूरा दिन खेलना होता है और डिफ़ेंस करना होता है। आप जानते हैं कि लक्ष्य 550 रन का है और गेंद टर्न और बाउंस कर रही है तो यह सब दिमाग़ पर असर डालता है।"

R Ashwin और Ravindra Jadeja घरेलू धरती पर भारतीय टीम के टेस्ट जीत का अहम हिस्सा रहे हैं © BCCI

उन्होंने आगे कहा, "हम भी इस स्थिति में रहे हैं। 2012 से 2024 तक 12 साल में हमने कोई घरेलू टेस्ट सीरीज़ नहीं हारी। उस समय हमने ऐसी परिस्थितियों को अच्छी तरह से संभाला। उस दौरान हमने कई टॉस जीते और पहली पारी में बड़े स्कोर बनाए। कई बार पारी से मैच जीते। ऐसा कई बार हुआ है।

"हम जितना ज़्यादा क्रिकेट खेलते हैं, उतने नए अनुभव मिलते हैं। इसलिए खिलाड़ी होने के नाते हम इसे चुनौती मानते हैं। हम इससे बच नहीं सकते और न ही पूछ सकते हैं कि यह स्थिति हमारे सामने क्यों आई है। अगर यह आई है तो हमें इससे सीख लेकर आगे बढ़ना होगा। हमारा रवैया सकारात्मक रहेगा और यह टीम की मदद करेगा। हर खिलाड़ी अपनी पूरी कोशिश करेगा।"

"जो भी बल्लेबाज़ कल खेलने उतरेगा वह अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश करेगा। कई बार आप सफल नहीं होते लेकिन उस स्थिति से सीखते हैं कि गलती कहां हुई और अगली बार ऐसी स्थिति में क्या बेहतर कर सकते हैं।"

पिछले एक साल में भारत बदलाव के दौर से गुजरा है। कई सीनियर खिलाड़ियों की कमी महसूस हुई है। जाडेजा का मानना है कि ऐसी कठिन परिस्थितियां युवा खिलाड़ियों को सीखने और आगे बढ़ने में मदद करेंगी।

"देखिए युवाओं के लिए यह सीखने का दौर है। उनका करियर अभी शुरू ही हुआ है। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट किसी भी फ़ॉर्मेट में आसान नहीं होता। हमेशा चुनौती रहती है। भारत में जब ऐसी स्थिति आती है और टीम में 3 या 4 युवा होते हैं तो लगता है पूरी टीम अनुभवहीन है।

"लेकिन जब भारत घर में जीतता है तो लोग कहते हैं इसमें बड़ी बात क्या है। जीतना ही था। इसलिए जब भारत सीरीज़ हारता है तो वह बड़ी बात बन जाती है। लेकिन जो टीम यहां खेलने आती है वह भी अपने देश का प्रतिनिधित्व कर रही होती है।

"यही क्रिकेट की ख़ूबसूरती है। हमेशा कोई नया मोड़ आता है। हर साल कुछ नई चीज़ें होती हैं। युवाओं के लिए यह सीखने का दौर है। अगर वे इस स्थिति को संभाल लेते हैं तो खिलाड़ी के रूप में परिपक्व होंगे और भारत का भविष्य बेहतर होगा।"

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