हर्षित राणा: हमेशा मोटिवेट रहते हैं रोहित और कोहली
हर्षित राणा ने भारत के लिए 16 मैच खेले हैं। इनमें से नौ मैचों में उन्होंने विराट कोहली और रोहित शर्मा के साथ ड्रेसिंग रूम साझा किया है। 23 वर्षीय यह तेज़ गेंदबाज़, जो अभी भी पहली पसंद बनने की ओर आगे बढ़ रहे हैं, ने दोनों सीनियर खिलाड़ियों के प्रभाव की तारीफ़ की और भारत की टीम का माहौल "बहुत खुश" बताया।
राणा ने मंगलवार को साउथ अफ़्रीका के ख़िलाफ़ दूसरे वनडे से पहले कहा, "यह मेरे लिए बड़ी बात है और पूरी टीम के लिए भी। अगर इतने अनुभवी खिलाड़ी आपके साथ ड्रेसिंग रूम और मैदान में हों तो माहौल शानदार रहता है। इस समय, मैदान से बाहर, यहां तक कि ड्रेसिंग रूम में भी पूरी टीम के लिए माहौल बहुत अच्छा रहता है। हर कोई बेहतर होना चाहता है। उनके दिमाग़ में हमेशा यही रहता है कि युवा खिलाड़ी बेहतर हों। जब मैं गेंदबाज़ी कर रहा होता हूं तो वे हमेशा बताते हैं कि कैसे बेहतर गेंदबाज़ी करूं। जब ऐसा बेहतरीन टीम माहौल मिलता है, तो चीज़ें अपने-आप ही ठीक होती जाती हैं।
"वे हमेशा मोटिवेट करते रहते हैं। चाहे समय अच्छा हो या बुरा। वे आपका साथ देते हैं और बताते हैं कि अगला क़दम क्या होना चाहिए। एक युवा खिलाड़ी के तौर पर यह बहुत मदद करता है, क्योंकि जब आप मैदान में होते हैं। दबाव की स्थिति में तो वे आपकी बहुत मदद करते हैं।"
हर्षित ने भारत की सीमित ओवरों की टीम में जगह एक तेज़, आक्रामक सीम गेंदबाज़ के रूप में बनाई, जिनकी धीमी गेंदें बेहतरीन हैं। ये हुनर उन्हें बीच के ओवरों का विशेषज्ञ बनाते हैं, लेकिन रविवार को पहले वनडे में उन्होंने एक अलग भूमिका निभाई। नई गेंद से गेंदबाज़ी की और अपने पहले ही ओवर में दो विकेट लिए।
राणा ने कहा, "नई गेंद के साथ, मैंने मॉर्ने (मॉर्केल, गेंदबाज़ी कोच) के साथ बहुत प्रैक्टिस की है और अर्शदीप (सिंह) के साथ भी ज़्यादा बात करता हूं।उन्हें बहुत अनुभव है और वह प्रैक्टिस में बताते रहते हैं कि मुझे कैसे बेहतर गेंदबाज़ी करनी चाहिए।"
इस साल तेज़ गेंदबाज़ों का प्रभाव बढ़ता दिखा है क्योंकि ICC ने वनडे नियमों में बदलाव किया है। 50 ओवर के मैच में दो नई गेंदों से शुरुआत होती है, लेकिन 35वें ओवर की शुरुआत में गेंदबाज़ी टीम चुन सकती है कि बची हुई पारी के लिए कौन-सी एक गेंद रखनी है।
राणा ने कहा, "आप जानते हैं कि आज की क्रिकेट। में गेंदबाज़ों को ज़्यादा मदद नहीं मिलती। यह नियम हमारे लिए बहुत मददगार रहा है, क्योंकि वह एक पुरानी गेंद हमेशा हमारे दिमाग़ में रहती है। जो भी गेंद 34वें ओवर के बाद ज़्यादा पुरानी होती है, हम उसी पर ध्यान देते हैं। कौन-सी गेंद चुननी है, यह सब हम मिलकर करते हैं। जिसे जो गेंद ज़्यादा पुरानी लगती है।"
"भारत में गेंदबाज़ी अलग होती है क्योंकि यहां वेरिएशन पर निर्भर रहना पड़ता है। हर फेज़ में अलग रोल के हिसाब से अलग गेंदबाज़ी करनी होती है।कभी अटैकिंग, कभी डिफेंसिव।"
भारत मिडिल ऑर्डर में बदलाव पर विचार कर सकता है, क्योंकि बुधवार से पहले नेट्स में ऋषभ पंत और तिलक वर्मा को असिस्टेंट कोच रियान टेन डेशकाटे की निगरानी में लंबी बल्लेबाज़ी कराई गई।