ऑस्ट्रेलिया 228/9 (लाबुशेन 70, कमिंस 41, लायंस 41, बुमराह 4-56, सिराज 3-66) और 474, भारत 369 (रेड्डी 114, वॉशिंगटन 50 और बोलैंड 3/57) से 333 रनों से आगे
लायन व बोलैंड आख़िरी विकेट के लिए अब तक 110 गेंदों में 55 रन की साझेदारी कर चुके हैं, जिसकी मदद से ऑस्ट्रेलिया की बढ़त 300 के पार पहुंच गई है, जो कि एक समय 250 के भीतर ही सिमटती दिख रही थी।
तीसरे दिन नितीश रेड्डी के बेहतरीन शतक के कारण ऑस्ट्रेलिया पहली पारी में सिर्फ़ 105 रनों की ही बढ़त हासिल कर पाया था। तब ऐसा लग रहा था कि भारत इस मैच को सिर्फ़ अपनी हार को टालने के लिए खेल रहा है। हालांकि जैसे ही ऑस्ट्रेलियाई पारी की शुरुआत हुई खेल ने अपना रूख़ बदल लिया।
जसप्रीत बुमराह और मोहम्माद सिराज की धारदार गेंदबाज़ी के कारण एक समय भारत के पास अब इस मैच को जीतने के बारे में सोच सकता था। दोनों गेंदबाज़ों ने ऑस्ट्रेलिया की दूसरी पारी के आठ विकेट लिए, लेकिन वे सबसे आख़िरी और प्रमुख विकेट नहीं ले सके।
दूसरी पारी में बुमराह ने पहली पारी में बेहतरीन अर्धशतक लगाने वाले सैम कॉन्स्टास को एक अंदर आती हुई गेंद पर बोल्ड कर के मैच का माहौल ही बदल दिया। इसके बाद सिराज ने भी उस्मान ख़्वाजा को बोल्ड कर के भारत के लिए वापसी करने का एक बेहतरीन रास्ता बनाया।
फिर स्टीव स्मिथ बल्लेबाज़ी करने आए और उन्होंने मार्नस लाबुशेन के साथ 37 रनों की साझेदारी की, जो ऑस्ट्रेलियाई पारी के लिहाज़ से काफ़ी महत्वपूर्ण थी। लेकिन सिराज के ख़िलाफ़ अति आक्रामक होते हुए स्मिथ ने अपना विकेट गंवा दिया और यहां से भारतीय गेंदबाज़ों ने फिर से काउंटर अटैक किया।
बुमराह ने ट्रैविस हेड को उनकी पारी की पहली ही गेंद पर कैच आउट कराते हुए अपने 200 टेस्ट विकेट पूरे किए और उसी ओवर में मिचेल मार्श को आउट करते हुए ऑस्ट्रेलिया को बैकफ़ुट पर धकेल दिया। इस दबाव को ऐलेक्स कैरी भी नहीं झेल पाए और बुमराह की गेंद पर बोल्ड हो गए।
इस समय ऑस्ट्रेलिया 91 के स्कोर पर छह विकेट गंवा चुका था और भारत के पास यह मौक़ा था कि वह ऑस्ट्रेलिया को 200 के भीतर समेट दे। हालांकि कप्तान कमिंस और लाबुशेन अलग ही मूड में थे। दोनों बल्लेबाज़ों के बीच अर्धशतकीय साझेदारी हुई, जिससे ऑस्ट्रेलिया के पास 250 से ज़्यादा रनों की बढ़त हो गई।
जितने तेज़ी से ऊपरी क्रम और मध्यक्रम के बल्लेबाज़ आउट हुए थे, उससे तो लगा था कि निचला क्रम में भी ज़्यादा देर तक नहीं टिकेगा। लेकिन ऑस्ट्रेलिया के निचले क्रम के हर एक बल्लेबाज़ ने अपने विकेट के अहमियत को समझते हुए, टिक कर बल्लेबाज़ी की। इसी कारण ऑस्ट्रेलिया की बढ़त अब 333 रन तक पहुंच गई है और वे इसे मैच के आख़िरी दिन निश्चित रूप से 350 के पार ले जाना चाहेंगे।