एक क़माल का रोमांचक मुक़ाबला। जैसा कोई भी एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में बैठा दर्शक उम्मीद कर सकता था। यहां पर
डेविड वॉर्नर और
मिचेल मार्श का हमला भी देखने को मिला और अंत में दुनिया भर में प्रसिद्ध
शाहीन शाह अफ़रीदी और
हारिस रउफ़ की उम्दा गेंदबाज़ी का नज़ारा भी देखने को मिला। जीत पाकिस्तान की नहीं हुई लेकिन एक रोमांचक मैच पूरी दुनिया ने देख लिया। यही तो है वनडे क्रिकेट की ख़ूबसूरती।
दो मैच हारने के बाद जब ऑस्ट्रेलिया को पहले बल्लेबाज़ी करने का मौक़ा मिला तो साफ़ लग गया था कि एक तो ओस की ओर
बाबर आज़म चले गए हैं, लेकिन वह यह नहीं जानते थे कि ऑस्ट्रेलिया के अधिकतर खिलाड़ी इस पिच के आदी हैं। कभी इस मैच पर नज़र पड़े तो
ऐडम जै़म्पा के स्पैल पर नज़र डाल लीजिएगा।
सपाट विकेट पर ऐसी बल्लेबाज़ी?
एक बार जब
शाहीन शाह अफ़रीदी ने पांच विकेट पूरे किए और ऑस्ट्रेलिया 400 रनों तक नहीं तक पहुंच पाए तो लगा जैसे पाकिस्तान का मध्य क्रम इस मैच को चुनौती लेकर आसानी से जीत जाएगा। ओपनरों
इमाम उल हक़ और अब्दुल्लाह शफ़ीक़ के बीच 134 रनों की साझेदारी हो गई। ऐसे कैसे ही विश्वास किया जा सकता है कि एशिया में खेल रहे पाकिस्तान के मध्य क्रम के बल्लेबाज़ इस तरह से अपना विकेट गंवा रहे हैं।
वॉर्नर और मार्श आपके क्या ही कहने
टॉस जीतकर बाबर ने सोचा था कि फ्लड लाइट्स के बीच आराम से इस लक्ष्य को हासिल कर लिया जाएगा। उनके पास शाहीन, हारिस रउफ़ जैसे तेज़ गेंदबाज़ थे। सही मायने में में यह ऑस्ट्रेलियाई खे़मे की ग़लती रही कि एक विकेट गिरते ही मैक्सवेल को बल्लेबाज़ी के लिए भेज दिया। वॉर्नर और मार्श ने तो जैसे पाकिस्तान के तेज़ गेंदबाज़ी आक्रमण को परख़ लिया था और जैसा चाहा वैसा शॉट खेला था।
कहना तो ग़लत होगा होगा लेकिन इस ऑस्ट्रेलियाई टीम के गेंदबाज़ी कोच विटोरी हैं, जो पहले कई बार आरसीबी के लिए अपना क्रिकेट खेल चुके हैं। कहां गेंद करनी है, किस लाइन पर करनी है और किस लेंथ पर करनी है, यह असल में वेटोरी ने ज़ैम्पा को बताया और जिसका नतीज़ा उनको चार विकेट के तौर पर मिला। बाक़ी का काम मार्कस स्टॉयनिस ने दो अहम विकेट लेकर कर दिया, क्योंकि इस बेंगलरु के विकेट पर धीमी गति की गेंद काम आएगी, तेज़ गति से गेंद नहीं।