भारत 57 पर 2 (कोहली 14*, पुजारा 9*, रबाडा 1-6, यानसन 1-7) 223 (कोहली 79, पुजारा 43, रबाडा 4-73) साउथ अफ़्रीका 210 (पीटरसन 72, बुमराह 5-42) के पास 70 रनों की बढ़त
केपटाउन में एक बेहतरीन प्रतियोगिता में दो दिन बीत चुके हैं और अभी भी यह सीरीज़ किस ओर जाएगी इस बारे में बता पाना नामुमकिन है। दूसरी पारी में विराट कोहली और चेतेश्वर पुजारा के बीच नाबाद तीसरे विकेट के लिए साझेदारी के बाद भारत के पास 70 रनों की बढ़त मौजूद है। लेकिन इस तीसरे टेस्ट में एक और दिन तेज़ गेंदबाज़ी का दबदबा था। जसप्रीत बुमराह ने 2018 में इसी मैदान पर अपने टेस्ट पदार्पण की सुनहरी यादों को ताज़ा करते हुए उसी तरह का प्रदर्शन किया, जो दोनों टीमों के बीच में एक अहम अंतर साबित हुआ है।
भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड* और अब साउथ अफ़्रीका में विदेशी सीरीज़ जीत की हैट्रिक पूरा करने के क़रीब है लेकिन बुमराह का टेस्ट करियर सीधे घर से दूर उनके नाटकीय सुधार की बात करता है (ऐसा नहीं है कि घरेलू धरती पर उनके मानकों को हाल के दिनों में बिल्कुल नुकसान हुआ है)। वह घर से बाहर 27 में से अपना 24वां टेस्ट खेल रहे हैं और अब तक उन्होंने 22.58 की औसत से 112 विकेटों चटकाए हैं, जिसमें सात बार उन्होंने सात बार पारी में पांच विकेट लिए हैं, यह एक ऐसा आंकड़ा है जो 2018 की शुरुआत के बाद किसी भी गेंदबाज़ ने हासिल नहीं किया है।
पहले दिन के अंतिम क्षणों में डीन एल्गर के महत्वपूर्ण विकेट लेने के बाद बुमराह उस समय लय में वापस आए जब न्यूलैंड्स में चमचमाते नीले आसमान के नीचे खेल फिर से शुरू हुआ था। उनकी दूसरी गेंद एक तेज़ गेंद थी जो ऐडन मारक्रम के ऑफ़ स्टंप को उड़ा चुकी थी। मेज़बान टीम का स्कोर 17 रन पर 2 विकेट हो चुका था और भारत का पहली पारी में 223 रनों का स्कोर अब अहम नज़र आने लगा था।
हालांकि, इस बीच युवा बल्लेबाज़ कीनग पीटरसन की पारी ने साउथ अफ़्रीका के खेमे में एक अलग अलख जगाई, जिसने काफ़ी हद तक मेज़बानों को बराबरी पर ला दिया था।
पहले सत्र में मुश्किलों को झेलते हुए मेज़बान टीम ने लंच तक तीन विकेट पर 100 रन बना लिए थे, टीम ने केवल नाइटवॉचमैन केशव महाराज का विकेट गंवाया था और टी से आंधा घंटा पहले मोहम्मद शमी ने तीन गेंद पर दो विकेट लेकर मेज़बानों को करारा झटका दे दिया था। मेज़बानों ने अपने आख़िरी छह विकेट 51 रनों के अंदर गंवा दिए थे, लेकिन इस बार उनके लड़ने की क्षमता में साफ़ कमी दिखी थी।
साउथ अफ़्रीका अगर इतने रन बना पाई तो उसमें अहम योगदान कीगन पीटरसन की 72 रनों की पारी का था, लेकिन बुमराह ही थे जिन्होंने पीटरसन को पुजारा के हाथों कैच कराकर एक अहम विकेट दिलाया। इससे पहले, सुबह के सत्र में पीटरसन पूरी तरह से क्रीज़ पर डट चुके थे और उन्होंने केशव महाराज के साथ मिलकर मेहमान टीम के गेंदबाज़ों को विकेट के लिए तरसाए रखा था।
इसके बाद भारत के पास 13 रनों की मामूली बढ़त थी। ओपनर मयंक अग्रवाल तो रबाडा की गेंद पर एलबीडब्ल्यू हो गए, रिव्यू में फैसला बदल गया, लेकिन सात रन बनाते ही रबाडा ने उन्हें पहली स्लिप में कैच करा दिया। यानसन ने शुरुआत में गेम खेला और वह कामयाब हो गए, क्योंकि केएल राहुल एक फ़ुल लेंथ गेंद पर ड्राइव करने के चक्कर में अपना विकेट गंवा चुके थे।
दिन के अंत तक पुजारा और कोहली ने भारतीय टीम को 33 रनों की बढ़त दिला दी थी।