साउथ अफ़्रीका 210 (पीटरसन 72, बुमराह 5-42) और 212 पर 3 (पीटरसन 82, वान दर दुसें 41*, बवूमा 32*) ने भारत 223 (कोहली 79, पुजारा 43, रबाडा 4-73, यानसन 3-55) और 198 (पंत 100*, कोहली 29, यानसन 4-36, एनगिडी 3-21, रबाडा 3-53) को सात विकेट से हराया
साउथ अफ़्रीका ने कभी टेस्ट मैच नहीं छोड़ा। बहुत पहले की बात नहीं है, वह पूरी दुनिया में सबसे बड़ी यात्रा करने वाली टीम थी, लेकिन इस बार ऐसा नहीं था। लेकिन जब आपके पास क्रिकेट में पूरे दिन बल्लेबाज़ी करने का साहस, जीवटता हो तो घर के मैच में 212 रनों का लक्ष्य चिंता की कोई बात नहीं है।
भारतीय टीम ने खूब लड़ाई लड़ी। उन्होंने चौथे दिन की शुरुआत चार खाली गेंद के साथ की। इन दो गेंद में बल्लेबाज़ बीट हुए। एक गेंद तो इतनी घातक थी जो शरीर की ओर आ रही थी और उसे छोड़ना लगभग नामुमकिन था, लेकिन गेंद बल्ले के क़रीब से निकल गई।
जसप्रीत बुमराह ने अपनी यॉर्कर को जल्दी गेम में लाया। मोहम्मद शमी ने उसी तरह की घातक सीम गेंदबाज़ी की जैसी वह करते आए हैं। शार्दुल ठाकुर को ही दिन का अकेला विकेट नसीब हुआ। यह एक ऐसा गेंदबाज़ी आक्रमण था जिसे खेलना आसान नहीं था और साउथ अफ़्रीका यह जानता था। उन्होंने इस तथ्य का सम्मान किया कि जिन 111 रनों की उन्हें अभी भी ज़रूरत है उसे हासिल करने के लिए उन्हें अपने शरीर, दिमाग और आत्मा को एक लाइन में रखना होगा और कुछ ऐसा ही उन्होंने करके दिखाया।
कीगन पीटरसन के बारे में क्या ही कहा जाए, क्या बेहतरीन लड़का है यह। आख़िकार अब साउथ अफ़्रीका के पास अपना केपी है।
उस पर एक प्रकार की सहज कृपा है। इसको बता पाना मुश्किल है, लेकिन बस दिमाग में रोहित शर्मा और उनके शॉट का एक दृश्य चलाइए। शानदार ढंग से न्यूनतावादी।
33वें ओवर में ऐसा दिखा। यह केवल एक सिंगल था लेकिन अगर किसी ने इस शॉट और उनकी पॉज़िशन में आने की तस्वीर ली हो जहां पर उन्होंने ऑन ड्राइव लगाया था, तो क्रिकेट नियमावली के निर्माताओं की इसमें रुचि हो सकती है।
शमी की स्विंग होती गेंद उनकी ओर आ रही थी, वह उनको क्रैंप की कोशिश कर रहे थे। उन्होंने इसे पहले ही देख लिया और उन्होंने अपना फ्रंट पफुट पहले ही आगे निकाल लिया, लेकिन ज़्यादा आगे नहीं और ऐसा एंगल बनाया कि जब गेंद को खेला जाए तो यह सीधे बल्ले से खेला जाए।
उनके शॉट्स में किसी तरह का गुस्सा नहीं था। वह अपने ऑफ़ साइड के खेल पर ही विश्वास जताते दिखे, ख़ास तौर पर जब वह बैकफुट पर जाने का फ़ैसला लेते थे। प्वाइंट की ओर कट्स और कवर की ओर उनके पंच एक छाप छोड़ रहे थे।
पीटरसन का साथ रासी वान दर दुसें ने दिया, जिनकी लो बैकलिफ्ट उनके स्टंप्स को बचाने के लिए बनाई गई है, उनके साथ साउथ अफ़्रीका के लिए शतक लगाने वाले पहले अश्वेत बल्लेबाज़ तेंबा बवूमा ने भी योगदान दिया। उन्होंने जनवरी 2016 में पहला और आख़िरी शतक लगाया था। इसके बाद से वह कई बार 70 या 80 के अंदर आउट हुए, लेकिन उन्हें शतक लगाए छह साल हो गए हैं। अभी भी 47 टेस्ट में उनके नाम एक ही शतक है।
साउथ अफ़्रीका ने तब भी उन पर विश्वास जताया। यह एक ऐसी टीम है जो बदलाव से गुजर रही है। उन्हें सीनियर खिलाड़ियों की ज़रूरत है जो उन्हें दिशा दिखा सकें। और शुक्रवार को, बवूमा के हाथ स्थिर थे, जिससे उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में सबसे ख़ौफनाक गेंदबाज़ी हमलों में से एक को बेहतरीन ढंग से खेला।
विकेट के पीछे से विराट कोहली कह रहे थे, "अब बस कीपर और गेंदबाज़ ही बचे हैं लड़कों।" इन सभी का टेस्ट में औसत 15 के क़रीब है। ये सभी अपने विकेट गंवा सकते थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ, इसके लिए बवूमा को धन्यवाद देना चाहिए।
अब सेंचूरियन में मिली पहली हार बस एक विसंगति लग रही है। साउथ अफ़्रीका ने छह महीने के बाद कोई टेस्ट मैच खेला था और वह यह पहले टेस्ट के पहले दिन के खेल को देखकर लग भी रहा था। उसके बाद से साउथ अफ़्रीका ने लगातार एकत्रित होकर प्रदर्शन किया। लुंगी एनगिडी ने कहा था, यह सुपरस्टार्स की टीम नहीं है। वह यह कहते नहीं रह पाएंगे अगर वे इसी तरह से खेलते हैं।
अलगप्पन मुथु ESPNcricinfo में सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी में सीनियर सब एडिटर निखिल शर्मा ने किया है।