पांच आईपीएल मैच, कप्तान धोनी के पांच ज़बरदस्त दांव
अपने आईपीएल कप्तानी के इतिहास में महेंद्र सिंह धोनी ने अक्सर अनहोनी को होनी कर दिखाया

2008 के बाद से कभी भी चेन्नई सुपर किंग्स ने महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी के बिना किसी सीज़न की शुरुआत नहीं की है। हालांकि इस बार ऐसा होने जा रहा है। आईपीएल के शुरुआती संस्करण से धोनी ने सीएसके की कप्तानी की है और इस दौरान उनकी टीम चार बार ट्रॉफ़ी जीतने में सफल रही है।
आइए नज़र डालते हैं धोनी के उन पांच आईपीएल मैचों पर, जहां धोनी ने अपने प्रदर्शन या किसी एक फ़ैसले के बलबूते पर पूरे मैच का रूख़ बदल दिया हो।
आईपीएल 2010 का फ़ाइनल चल रहा था। मैदान - नवी मुंबई में स्थित डीवाई पाटिल स्पोर्ट्स अकादमी। सीएसके ने अपने 20 ओवरों में 168 का स्कोर बनाया और मुंबई को 17वें ओवर की समाप्ति तक छह विकेट पर 114 के स्कोर पर रोक दिया था। ऐसे में मुंबई इंडियंस के लिए बल्लेबाज़ी करने उतरे कायरन पोलार्ड।
पोलार्ड ने अपने पहली छह गेंदों पर डग बॉलिंजर पर प्रहार करते हुए लक्ष्य से 22 रन कम कर दिए। ऐसे में धोनी ने गेंद ऐल्बी मॉर्कल को थमाई और पोलार्ड के शक्तिशाली हिटिंग को नाकाम करने के इरादे से लॉन्ग ऑफ़ पर सुरेश रैना के साथ-साथ मैथ्यू हेडेन को मिड ऑफ़ पर तैनात किया। मॉर्कल के लिए आदेश स्पष्ट था - सीधी और फ़ुल गेंदबाज़ी कीजिए और मैच में टीम को बनाए रखिए। एक चौका खाने के बावजूद लगातार गेंदों पर अम्बाती रायुडु का रनआउट होना और फिर पोलार्ड के ड्राइव का हेडेन के हाथों लपका जाना धोनी के नीति को सही साबित करते हुए सीएसके को अपना पहला ख़िताब दिला गया। - देबायन सेन
आईपीएल इतिहास का सबसे कम लक्ष्य बचाया
आईपीएल इतिहास में सबसे कम लक्ष्य का बचाव करने का रिकॉर्ड सीएसके ने चेपॉक में तो नहीं बनाया, लेकिन सीएसके के स्पिनरों ने यह कारनामा 2009 में डरबन में करके दिखाया। जहां वह नौ विकेट पर 116 रनों का बचाव करने में सफल रहे थे। इस मैच में किंग्स इलेवन पंजाब के बल्लेबाज़ी क्रम में बायें हाथ के बल्लेबाज़ों की भरमार थी और धोनी इस चीज़ को अच्छे तरीक़े से जान रहे थे।
ऐसे में उन्होंने आर अश्विन, पार्ट टाइमर सुरेश रैना और अनुभवी मुथैया मुरलीधरन को टीम के गेंदबाज़ी आक्रमण की कमान सौंप दी। इसके बाद इन तीनों गेंदबाज़ो ने मिलकर पंजाब के बल्लेबाज़ों का क्रीज़ पर टिकना मुश्किल कर दिया। मुरलीधरन ऑफ़ ब्रेक और दूसरा डालकर परेशान कर रहे थे, तो दूसरी ओर अश्विन स्टंप्स को टारगेट कर रहे थे जहां उन्हें कुमार संगाकारा का अहम विकेट मिला। एक समय पंजाब की टीम का स्कोर एक विकेट पर 32 रन था, लेकिन 20वें ओवर तक पंजाब की टीम आठ विकेट पर 92 रन ही बना सकी, जहां धोनी के स्पिनरों ने 12 ओवर में 38 रन देकर छह विकेट लिए। - निखिल शर्मा
बात 2010 धर्मशाला की है, यह मैच चेन्नई सुपर किंग्स को जीतना बेहद ही ज़रूरी था। महेंद्र सिंह धोनी की अपनी टीम को अगले दौर में ले जाने की उम्मीदों पर किंग्स इलेवन पंजाब के बल्लेबाज़ लगातार पानी फेरते दिख रहे थे। शॉन मार्श अलग ही लय में नज़र आ रहे थे और रूकने का नाम ही नहीं ले रहे थे। 57 गेंद में आठ चौके और पांच छक्कों की मदद से 88 रन के आंकड़े उनकी आक्रामकता की कहानी बयां करते ही हैं, लेकिन अंत में इरफ़ान पठान की 27 गेंद में 44 रनों की पारी का मतलब था कि पंजाब की टीम अब 20 ओवर में तीन विकेट पर 192 रन बना चुकी थी।
सीएसके को दो शुरुआती झटके लगे और उनके अहम बल्लेबाज़ मुरली विजय और मैथ्यू हेडेन सस्ते में पवेलियन लौट गए। धोनी यह मैच कतई नहीं हारना चाहते थे। उन्होंने एक ऐसे अंदाज़ में यह पारी खेली जो पहले शायद ही देखने को मिला हो। आख़िरी ओवर में 16 रनों की दरकार थी और सामने गेंदबाज़ी पर इरफ़ान थे। धोनी ने दो गेंद में लगातार दो छक्के लगाए और अपनी टीम को जीत दिला दी। इस मैच में पहली बार देखा गया कि धोनी ने मैच को जिताने के बाद अपने हेलमेट पर मुक्का मारते हुए, गुस्से में अपनी जीत का इज़हार कर रहे थे। - निखिल शर्मा
टॉस चेन्नई जीतती है और धोनी फ़ैसला करते हैं कि उनकी टीम पहले गेंदबाज़ी करेगी। बेंगलुरु के बल्लेबाज़ मूड में थे और जम कर धुनाई शुरू हुई। एबी डीविलियर्स और क्विंटन डिकॉक के ताबड़तोड़ पारियों के बदौलत 20 ओवर के बाद बेंगलुरु का स्कोर था 8 विकेट के नुकसान पर 205।
जवाब में चेन्नई सुपर किंग्स की शुरुआत तो आक्रामक रही लेकिन 9वें ओवर में उनके चार अहम बल्लेबाज़ पवेलियन जा चुके थे। क्रीज़ पर अब महेंद्र सिंह धोनी और अंबाती रायडू की जोड़ी मौजूद थी। उमेश उस मैच में शानदार गेंदबाज़ी कर रहे थे। उनकी गेंद लगातार कांटा बदल रही थी। विराट ने आठवें ओवर में ही उनका स्पेल ख़त्म करवा दिया। धोनी को इस बात की पूरी तरह से इल्म था कि अब आरसीबी के पास एक मुख्य गेंदबाज़ की कमी है।
चेन्नई को आख़िरी 7 ओवरों में 99 रनों की आवश्यकता थी। यहां से दोनों बल्लेबाज़ों ने अपना गियर चेंज़ किया। हालांकि 82 के निजी स्कोर पर रायडू रन आउट हो गए और तब सीएसके को 11 गेंदो में 31 रनों की दरकार थी। कमान धोनी के हाथ में थी और उन्हें पता था कि बेंगलुरु को अंतिम दो में से एक ओवर कोरी एंडरसन से करवाना होगा। 20वें ओवर में एंडरसन गेंदबाज़ी करने आए और तब सीएसके को 16 रनों की ज़रूरत थी। धोनी तो उन्हीं के इंतज़ार में थे और उन्होंने चार गेंदों में मैच ख़त्म कर दिया। - राजन राज
उसी सीज़न का 56वां मैच। पुणे का मैदान। धोनी ने टॉस जीत कर पहले गेंदबाज़ी करने का फ़ैसला किया। चेन्नई के गेंदबाज़ों ने कप्तान के फ़ैसले को सही साबित करते हुए पंजाब की टीम को 159 रनों के स्कोर पर रोक दिया। इस पिच पर तेज़ गेंदबाज़ों के लिए अच्छी-ख़ासी मदद थी।
जवाब में जब चेन्नई के बल्लेबाज़ भी पिच पर आए तो पंजाब के तेज़ गेंदबाज़ों ने भी अपना जौहर दिखाना शुरू किया और अपनी स्विंग से सीएसके के बल्लेबाज़ों को काफ़ी परेशान किया। पांचवें ओवर में चेन्नई के तीन बल्लेबाज़ पवेलियन जा चुके थे। जब धोनी ने देखा कि पंजाब के तेज़ गेंदबाज़ आग बरपा रहे हैं तो उन्होंने अपने पुछल्ले क्रम के बल्लेबाज़ों को उनके सामने खड़ा कर दिया। तीसरे विकेट के पतन के बाद देखा गया कि हरभजन सिंह बल्लेबाज़ी करने आ रहे हैं और जब हरभजन 10वें ओवर में पवेलियन की तरफ जा रहे थे, तब दीपक चाहर बल्लेबाज़ी करने उतर रहे थे। तब टीम का स्कोर 58 था। दीपक ने 20 गेंदों में 38 रनों की पारी खेली और बाक़ी काम रैना और धोनी ने कर दिया। - राजन राज
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