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आउट होने के नए-नए तरीक़े ईजाद कर रहे हैं कोहली

एकादश से बाहर होना या आराम लेना इसका समाधान नहीं है

हां या ना : विराट कोहली का ख़राब फ़ॉर्म उनके दिमाग़ में बैठ गया है

हां या ना : विराट कोहली का ख़राब फ़ॉर्म उनके दिमाग़ में बैठ गया है

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विराट कोहली दुनिया के सार्वकालिक सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज़ों में से एक हैं, लेकिन राजस्थान रॉयल्स ने उनके ख़िलाफ़ मंगलवार के टी20 मैच में दो लेग साइड के कैचर (शॉर्ट स्क्वेयर लेग और शॉर्ट मिडविकेट) के साथ शुरुआत की। तीसरी ही गेंद एक कैचर (शॉर्ट स्क्वेयर लेग) से बस एक या दो इंच पहले गिरी। यह दिखाता है कि कैसे विराट कोहली विपक्षी टीम के जाल में आसानी से फंस जा रहे हैं।

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अब यह कहने में कोई संकोच नहीं होना चाहिए कि कोहली इस समय ख़राब फ़ॉर्म से जूझ रहे हैं। उनका पिछला पांच स्कोर 9, 0, 0, 12 और 1 का रहा है। हालांकि ऐसा कई खिलाड़ियों के साथ हो चुका है, जो बुरे फ़ॉर्म से उबरकर इस समय सर्वश्रेष्ठ फ़ॉर्म में हैं। केएल राहुल 2020-21 में 0, 1, 0, 0 और 14 के स्कोर के साथ ख़राब फ़ॉर्म से जूझ रहे थे, वहीं निकोलस पूरन का भी स्कोर पिछले आईपीएल सीज़न में 0, 0, 0, 0, 9, 0, 19, 0 और 32 का था। इस सीज़न केएल राहुल सर्वाधिक रन बनाने वालों की सूची में दो शतक के साथ दूसरे स्थान पर हैं, वहीं निकोलस पूरन भी 56 के बेहतरीन औसत से रन बना रहे हैं।

राजस्थान रॉयल्स के ख़िलाफ़ मैच में कोहली सलामी बल्लेबाज़ के तौर पर आए। उन्होंने दो चौके लगाए लेकिन दोनों में आत्मविश्वास की कमी दिखी। पहला चौका जब उन्होंने स्क्वेयर लेग की दिशा में फ़्लिक करके मारा तो ऐसा लगा कि जैसे बल्ले का हैंडल उनके हाथ से सरक गया हो और ग़लती से चौका चला गया। वहीं दूसरा चौका तो अंदरुनी किनारा लेकर स्टंप के बिल्कुल बगल से गुज़रा। इसके बाद दो और अंदरुनी किनारे लगे और दोनों बार वह प्लेड ऑन होने से बाल-बाल बचे।

रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु में कोहली को 'दुनिया के सबसे व्यस्ततम इंसानों' में जाना जाता है। टीम के लिए जैसे वह किसी विश्व स्तरीय नेता के समान हैं। अगर आपको उनसे थोड़ी देर के लिए भी बात करनी है तो आपको स्पष्ट और संक्षिप्त होना होगा। ऐसा कहा जाता है कि 2018 के सीज़न में कप्तान होने के बावज़ूद भी उन्होंने अपने टीम के एनालिस्ट से कभी बात नहीं की थी। हालांकि यह सीज़न उनके लिए बहुत शानदार गया था और उन्होंने 48 के औसत और 139 के स्ट्राइक रेट से 530 रन बनाए थे।

यह एक दिलचस्प सीज़न था क्योंकि इसके बाद से उनका प्रदर्शन गिरता चला गया। 2019 के सीज़न से कोहली ने आईपीएल में सिर्फ़ 31 के औसत और 126 के साधारण स्ट्राइक रेट से रन बनाए हैं, जबकि इससे पहले उनका औसत 52 और स्ट्राइक रेट 139 का था। 2019 से उनका आईपीएल ही नहीं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय करियर भी लगभग शांत ही रहा है और 112 पारियों (आईपीएल सहित) में उनके नाम कोई शतक नहीं है, जबकि इससे पहले उनके नाम पेशेवर क्रिकेट की 709 पारियों में 86 शतक थे।

हालिया समय में यह प्रदर्शन और भी ख़राब हुआ है। हम सभी ने उनको हर जगह, हर देश और हर पिच पर संघर्ष करता हुआ देखा है। हालांकि कोई एक तरीक़ा नहीं है, जिसके कारण विराट कोहली बार-बार आउट हो रहे हैं, बल्कि वह हर बार आउट होने का नया तरीक़ा खोज रहे हैं।

आप अपने फ़ॉर्म को कैसे प्राप्त कर सकते हैं, जब आप लगातार गोल्डन डक पर या फिर रन आउट होकर पवेलियन जा रहे हैं?

लखनऊ सुपर जायंट्स के ख़िलाफ़ आईपीएल 2022 के 31वें मैच में कोहली को पहले ही ओवर में क्रीज़ पर आना पड़ा क्योंकि बेंगलुरु के सलामी बल्लेबाज़ अनुज रावत दुश्मंता चमीरा का शिकार हो चुके थे। चमीरा ने कोहली को पहली गेंद ऑफ़ स्टंप से बाहर बैक ऑफ़ लेंथ पर की। यह गेंद पड़कर बाहर भी निकली। कोहली बैकफ़ुट पर गए और आक्रामक ढंग से कट लगाने की कोशिश की। हालांकि वह गैप नहीं निकाल पाए और ना ही गेंद को नीचा रख पाए और गेंद सीधे बैकवर्ड प्वाइंट पर खड़े दीपक हुड्डा के हाथों में चली गई। कोहली इसके बाद पवेलियन जाने से पहले दूसरे छोर पर खड़े अपने कप्तान फ़ाफ़ डुप्लेसी को देखकर मुस्कुराने लगे।

यह मुस्कान सनराइज़र्स के ख़िलाफ़ अगले मैच में नहीं दिखाई दी। इस मैच में कोहली दूसरे ओवर में ही क्रीज़ पर आ गए थे। मार्को यानसन की पहली गेंद को कोहली ने दूर से ही खेलना चाहा और गेंद बल्ले का किनारा लेकर दूसरी स्लिप में खड़े एडन मारक्रम के हाथों में चली गई। इस बार कोहली पिच को घूरने लगे। पहले जब क्रीज़ पर आते थे तो दो स्लिप देखकर आश्चर्य होता था लेकिन अब लग रहा था कि यह आवश्यकता बन गई है। कोलकाता नाइट राइडर्स के ख़िलाफ़ सीज़न के शुरुआती मैच में उन्हें उमेश यादव ने भी कुछ इस तरह ही विकेट के पीछे लपकवाया था, जब वह छठे स्टंप की बाहर जाती गेंद को दूर से ही छेड़ने का प्रयास कर रहे थे।

कोहली अब लेंथ को पढ़ने में भी नाकाम हो रहे हैं, जैसा कि चेन्नई सुपर किंग्स के ख़िलाफ़ मैच में देखने को मिला, जब वह युवा मुकेश चौधरी की अंदर आती लेंथ गेंद को डीप स्क्वेयर लेग पर हवा में फ़्लिक कर बैठे थे। ऐसे शॉट पर सवाल इसलिए भी उठना चाहिए क्योंकि कोहली ने यह शॉट पारी की शुरुआत में ही खेला था। 'वह आउट ऑफ़ फ़ॉर्म हैं', ऐसा कहना तो मुश्किल था लेकिन वह आउट हो गए हैं, ऐसा कहना बिल्कुल आसान था।

कोहली इस सीज़न में दो बार रन आउट भी हुए हैं। दोनों ही बार वह गेंद, फ़ील्डर और अपने साथी बल्लेबाज़ को देखे ही बिना रन लेने के लिए दौड़े और दोनों ही बार उनके जोड़ीदार ने उन्हें वापस भेजा। हालांकि दोनों ही बार देर हो चुकी थी। इस दौरान सिर्फ़ एक ही मैच था, जब कोहली कुछ रंग में दिखाई दिए। मुंबई इंडियंस के ख़िलाफ़ मैच में उन्होंने 48 रन की पारी खेली।

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रवि शास्त्री, केविन पीटरसन और डैनियल विटोरी सहित कई लोगों का मानना है कि कोहली अगर थोड़ा आराम करते हैं, टीम से बाहर रहते हैं तो उनका फ़ॉर्म वापस आ सकता है। हालांकि मैं इससे कुछ इतर सोचता हूं। टीम से बाहर होना इस समस्या का समाधान नहीं है और ना ही कोहली इतने छोटे खिलाड़ी हैं, जिन्हें कोई भी टीम इतने आसानी से बाहर कर सकती है। ऐसा करना किसी भी टीम के लिए आसान नहीं है।

मंगलवार रात ट्रेंट बोल्ट का पहला ओवर बहुत ही कठिनाई से खेलने के बाद कोहली प्रसिद्ध कृष्णा का शिकार हो गए। प्रसिद्ध ने उन्हें अपने बैक ऑफ़ लेंथ और शॉर्ट गेंदों से निशाना बनाया। ऑफ़ स्टंप से बाहर की शॉर्ट गेंदों को कोहली ने या तो छोड़ा या फिर पुल करने के प्रयास में बीट हुए, लेकिन जब प्रसिद्ध ने शरीर पर शॉर्ट गेंद कर दी तो कोहली के पास कोई ज़वाब नहीं था। कोहली ने बिना गेंद तक पहुंचे ही हुक शॉट खेलने का प्रयास किया और वह नियंत्रण में तो बिल्कुल भी नहीं थे। गेंद ने बल्ले का मोटा किनारा लिया और बैकवर्ड प्वाइंट पर उछल गई। यह रियान पराग के लिए एक आसान सा कैच था।

इस बार जब कोहली पवेलियन वापस जा रहे थे तो उनके चेहरे पर तनिक भी मुस्कान नहीं थी।

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जैरड किंबर ESPNcricinfo में क्रिकेट लेखक हैं, अनुवाद ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो हिंदी के दया सागर ने किया है