जुरेल: मैं अपने शतक के लिए नहीं टीम की जीत के लिए खेलता हूं
भारतीय टेस्ट दल में ध्रुव जुरेल अब एक नियमित नाम बन चुके हैं, लेकिन ऑस्ट्रेलिया ए के ख़िलाफ़ सीरीज़ से पहले उनके नाम सिर्फ़ एक प्रथम श्रेणी शतक था। यह शतक भी लगभग तीन साल पहले दिसंबर 2022 में नागालैंड की एक कम अनुभवी टीम के ख़िलाफ़ आया था, जब उन्होंने 249 रनों की एक बड़ी पारी खेली थी।
हालांकि जुरेल का मानना है कि इससे ज़्यादा फ़र्क नहीं पड़ता कि वह शतक बना रहे हैं या नहीं, बस उनके ये रन, उनकी टीम के काम आने चाहिए।
ऑस्ट्रेलिया ए के ख़िलाफ़ पहले अनाधिकृत टेस्ट में 140 रन की पारी खेल अपना सिर्फ़ दूसरा प्रथम श्रेणी शतक लगाने वाले जुरेल ने कहा, "ईमानदारी से कहूं तो पहले फ़र्क पड़ता था कि मेरा स्कोर 100 हो, 150 हो। लेकिन एक समय के बाद मुझे समझ आ गया कि टीम का जीतना ज़्यादा महत्वपूर्ण है।
"वैसे तो फर्स्ट क्लास क्रिकेट में मेरी 7-8 एटीज़- नाइंटीज़ (वास्तव में कुल चार) की ऐसी पारियां हैं, जो शतक हो सकती थी। इसमें वह एक रांची वाला टेस्ट भी था, जिसमें मैं प्लेयर ऑफ़ द मैच बना था और हम जीते थे। हम क्रिकेट इसलिए ही खेलते हैं कि टीम जीते क्योंकि यह टीम गेम है। तो मैं भी अपनी शतक की बजाय टीम की जीत के बारे में सोचता हूं।"
जुरेल जिस रांची टेस्ट की बात कर रहे हैं, वह उनके करियर का सिर्फ़ दूसरा टेस्ट था। इस मैच में उन्होंने दोनों पारियों में नंबर सात पर आते हुए क्रमशः 90 और नाबाद 39 रनों की दो महत्वपूर्ण पारियां उस समय खेली थी, जब भारतीय टीम मैच में पीछे दिख रही थी।
24 साल का यह विकेटकीपर बल्लेबाज़ दिसंबर 2023 में पहली बार भारतीय टीम के ए के सेटअप में आया था, जब भारत ए टीम साउथ अफ़्रीका के दौरे पर गई थी। वहां बनोनी के दूसरे अनाधिकृत टेस्ट में 69 रन की पारी खेल वह सीधे भारतीय दल में आ गए। सिर्फ़ डेढ़ महीने बाद उनके नाम टेस्ट कैप भी था।
तब से वह लगातार भारतीय टेस्ट टीम के सेटअप में बने हुए हैं और ऑस्ट्रेलिया व इंग्लैंड जैसे महत्वपूर्ण दौरों पर टेस्ट मैच भी खेल चुके हैं। इसके अलावा वह भारत के लिए चार T20I भी खेल चुके हैं। उत्तर प्रदेश के इस खिलाड़ी का मानना है कि लगातार भारत ए और भारतीय टीम के इर्द-गिर्द रहने से उनका आत्मविश्वास बढ़ा है।
उन्होंने कहा, "टीम के साथ या ईर्द-गिर्द रहने से कॉन्फ़िडेंस ज़रूर मिलता है। मैं अपने आप को बहुत प्रिविलेज मानता हूं कि मुझे भारत की तरफ़ से टेस्ट खेलने का मौक़ा मिला और मैं टीम के साथ रहता हूं। अगर आप खेल भी नहीं रहे होते हो, लेकिन सीनियर्स आसपास होते हैं, तो आप उनसे बहुत सारी चीजें सीखते हैं। अरबों के इस देश में कितने लोगों को यह मौक़ा मिलता है!"
वैसे भारतीय टीम से जुड़ने के बाद जुरेल का आत्मविश्वास बढ़ने के साथ-साथ उनके प्रदर्शन और निरंतरता में भी बहुत सुधार आया है, जो कि उनके आंकड़ों में भी दिखता है। भारतीय टेस्ट टीम में आने से पहले जुरेल का प्रथम श्रेणी औसत 46 का था और इस दौरान उन्होंने 19 पारियों में एक शतक और पांच अर्धशतक लगाए थे।
लेकिन भारतीय टेस्ट टीम में आने के बाद वह प्रथम श्रेणी मैचों में 54 से ऊपर की औसत से रन बना रहे हैं और इन अगली 18 पारियों में उनके नाम एक शतक और सात अर्धशतक हैं। इसमें रांची की पारी के अलावा भारत ए की तरफ़ से ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड में खेली गई पांच महत्वपूर्ण अर्धशतकीय पारियां और पिछले साल ईरानी ट्रॉफ़ी मैच में मुंबई के ख़िलाफ़ रेस्ट ऑफ़ इंडिया के लिए खेली गई 93 रन की पारी भी शामिल है।
वह कहते हैं, "सबका सपना होता है भारत के लिए खेलना। जब मुझे टेस्ट कैप मिला तो मुझे भी लगा कि हां, ऐसा हो सकता है। मैं आगरा जैसे बहुत छोटे से शहर से आता हूं। यह फ़ीलिंग मुझे बहुत अच्छा लगता है कि इंडिया के लिए खेलकर मैं अपने मां-बाप और वहां (आगरा) के लोगों को थोड़ा अच्छा और प्राउड महसूस करा पाया। जहां से मैं आता हूं, वहां पर विकेट भी नहीं था। सीमेंट के विकेट पर मैंने प्रैक्टिस किया है। तो वहां पर लोगों को लगना चाहिए कि यार कहीं से भी आप निकल सकते हो, बस आपको सच्चे दिल से मेहनत करनी पड़ती है।"
भारत अगले महीने से अपने घरेलू टेस्ट सीज़न की शुरुआत कर रहा है और उन्हें वेस्टइंडीज़ और साउथ अफ़्रीका के ख़िलाफ़ दो-दो टेस्ट मैचों की सीरीज़ खेलनी है। ऋषभ पंत की फ़िटनेस पर संशय को देखते हुए जुरेल ज़रूर इनमें से कुछ मैचों का हिस्सा हो सकते हैं। हालांकि फ़िलहाल वह इतना ज़्यादा दूर का नहीं सोच रहे हैं।
उन्होंने कहा, "अब मैं एक मैच लेकर चलता हूं और ज़्यादा आगे का नहींं सोचता। जितना सोचोगे, उतना आप अपने आप पर दबाव डालोगे। अभी मैंने आज मैच खेला और तीन दिन बाद अब अगला मैच भी है। तो मैं अब सिर्फ़ अगले मैच का सोच रहा हूं, उसके बाद ही आगे का देखा जाएगा।"
दया सागर ESPNcricinfo हिंदी में सब एडिटर हैं।dayasagar95