प्रतिका रावल : अब मेरे पास अपना मेडल है

टीम के साथ जश्न मनाने के लिए व्हीलचेयर से उठतीं प्रतिका रावल © ICC/Getty Images

चोट के चलते महिला विश्व कप 2025 का सेमीफ़ाइनल और फ़ाइनल न खेल पाने वालीं भारतीय सलामी बल्लेबाज़ प्रतिका रावल ने कहा कि उन्हें उनके विकल्प तौर पर भारतीय दल में शामिल की गईं शेफ़ाली वर्मा पर भरोसा था कि वह फ़ाइनल में कुछ ख़ास करेंगी। फ़ाइनल में भारत की साउथ अफ़्रीका पर जीत के बाद जश्न में व्हीलचेयर के साथ शामिल हुईं रावल को उनका मेडल दिया गया जो कि पहले उनके टूर्नामेंट से बाहर होने के चलते नहीं दिया गया था।

PTI वीडियोज़ में उन्होंने कहा, "अब मेरे पास अपना ख़ुद का मेडल है। सपोर्ट स्टाफ़ में से किसी ने मुझे अपना मेडल उधार दिया था क्योंकि मेरा समय पर नहीं पहुंचा था। किसी ने मुझे बताया कि जय (शाह, ICC अध्यक्ष) सर ने मुझे मेडल भेजा है। मैं बहुत ख़ुश थी लेकिन ऑनलाइन लोगों ने इसे बहुत बढ़ा चढ़ाकर पेश किया। इसमें थोड़ा समय लगेगा लेकिन यह मेरे पास ज़रूर आएगा।"

ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ सेमीफ़ाइनल और साउथ अफ़्रीका के ख़िलाफ़ फ़ाइनल में शेफ़ाली ने स्मृति मांधना के साथ पारी की शुरुआत की, जहां उन्होंने फ़ाइनल में 87 रनों की पारी खेलने के साथ ही दो अहम विकेट भी चटकाए। रावल ने बताया कि फ़ाइनल से पहले उनकी शेफ़ाली के साथ क्या चर्चा हुई थी।

रावल ने कहा, "शेफ़ाली को किसी प्रेरणा की ज़रूरत नहीं है। वह अपनी अंतरात्मा की आवाज़ और ख़ुद पर विश्वास के साथ खेलती हैं। फ़ाइनल से पहले वो मेरे पास आईं और उन्होंने मुझसे कहा, 'मुझे बहुत अफ़सोस है कि तुम नहीं खेल रही हो,' मैंने उससे कहा कि सब ठीक है और यह सब होते रहता है। मुझे विश्वास था कि वह फ़ाइनल में ज़रूर कुछ ख़ास करेंगी।"

टूर्नामेंट में 308 रन बनाने वालीं रावल ने सर्वाधिक रन बनाने वाली बल्लेबाज़ों में लॉर वुलफ़ार्ट (571), स्मृति मांधना (434) और ऐश्ली गार्डनर (328) के बाद चौथी सर्वाधिक रन बनाने वालीं बल्लेबाज़ रहीं। बांग्लादेश के ख़िलाफ़ अंतिम लीग मैच में फ़ील्डिंग के दौरान रावल अपने टखने को चोटिल कर बैठीं। मनोविज्ञान की छात्रा होने के नाते उन्होंने कहा कि इस सदमे से बाहर निकलने में उन्हें अधिक परेशानी नहीं हुई।

"चूंकि मैंने मनोविज्ञान पढ़ा है इसलिए मुझे भावनाओं को समझने में मदद मिली (अपनी भावनाएं भी)। पहली चीज़ यही होती है कि जो हुआ है उसे आपको स्वीकार करना होता है। आप इसे बदल नहीं सकते। एक बार मैंने अपनी चोट स्वीकार ली उसके बाद मैंने इसी पर ध्यान दिया कि मैं क्या नियंत्रित कर सकती हूं - रिकवरी, समय पर सोना-खाना और टीम को सपोर्ट करना।"

"निश्चित तौर पर मैं निराश थी लेकिन मैं टूटी नहीं। मेरे पिता मेरे साथ थे और मेरे कोच (श्रवण कुमार) मेरा हालचाल पूछ रहे थे। मेरी मां और भाई हर दिन मुझे कॉल किया करते थे। मेरा सपोर्ट करने के लिए काफ़ी लोग साथ थे और उन्होंने मुझे अकेला महसूस नहीं होने दिया।"

उनके पिता उनसे अधिक तकलीफ़ में थे। "मैं अपनी भावनाओं को आसानी से दिखने नहीं देती लेकिन मेरे पिता काफ़ी रोए। मुझे उन्हें शांत कराना पड़ा।"

अपनी रिकवरी को लेकर रावल आशावादी नज़र आईं। "अब मैं काफ़ी बेहतर महसूस कर रही हूं। कुछ दिनों में मेरा एक्स-रे होना है और मैं अपना ज़्यादातर काम ख़ुद कर पा रही हूं। जैसे ही डॉक्टरों से मुझे हरी झंडी मिलेगी मैं बल्लेबाज़ी करना शुरू कर दूंगी। मुझे वापसी को लेकर बहुत उत्सुक हूं, मुझे बल्ला पकड़ने की काफ़ी याद आ रही है।"

"मेरा अगला लक्ष्य रिहैब को पूरा करना और घरेलू सीज़न में खेलना है। मुझे रिकवरी में जल्दबाज़ी पसंद नहीं है। मैं ऐसी बल्लेबाज़ हूं जो पूरे दिन बल्लेबाज़ी कर सकती हूं और थकती नहीं हूं। मैं फिर से उसी ज़ोन में जाना चाहती हूं।"

2024 में अपने डेब्यू के बाद से रावल ने 24 वनडे में 50.45 की औसत से 1110 रन बनाए हैं जिसमें दो शतक और सात अर्धशतक शामिल हैं। हालांकि बाहर से उनके स्ट्राइक रेट को लेकर आलोचना हो रही थी लेकिन भारत के मुख्य कोच अमोल मजूमदार ने टूर्नामेंट के दौरान इन चिंताओं को ख़ारिज किया था। रावल ने कहा कि वह तय भूमिकाओं में विश्वास नहीं करती हैं।

उन्होंने कहा, "हर मैच की मांग अलग होती है। अगर स्मृति जल्दी आउट हो जाती हैं तो मुझे बताया जाता है कि मुझे टिक रहना है और लंबी पारी खेलनी है। अगर हमें तेज़ी से रन बनाने की ज़रूरत पड़ती है, तो मुझे गति बढ़ाने के लिए कहा जाता है। मेरे लिए व्यक्तिगत उपलब्धियां मायने नहीं रखतीं बल्कि टीम की लय मायने रखती है।"

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