मंगेश यादव: जनरल डिब्बे में सफ़र करने वाले टेनिस बॉल फ़्रीलांसर से IPL तक का सफ़र
मंगेश यादव को अभी तक यक़ीन नहीं है कि वह IPL खेलने जा रहे हैं। नीलामी के दिन उन्हें उम्मीद तो थी कि शायद उनके लिए बोली लगेगी, लेकिन उनके पीछे चार टीमें जाएंगी, यह उन्होंने सोचा भी नहीं था। जब इन टीमों की बोली रुकी, तब तक रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) ने उन्हें 5.2 करोड़ रूपये में ख़रीद लिया था, जो उनके लिए "ज़िंदगी बदल देने वाली रक़म" है।
नीलामी को एक हफ़्ता हो चुका है और सिर्फ़ 23 साल के मंगेश अब भी अपनी नई शोहरत को समझने की कोशिश कर रहे हैं। वह मुस्कुराते हुए कहते हैं, "मुझे पहले से कहीं ज़्यादा कॉल्स मिल रही हैं। लेकिन आगे चलकर मुझे इन सब चीज़ों से निपटना सीखना होगा।"
मंगेश एक बाएं हाथ के तेज़ गेंदबाज़ हैं, जिनके पास 140 किमी प्रति घंटे की रफ़्तार से गेंद डालने की क़ाबिलियत है। शुरुआत में उनकी स्टॉक डिलीवरी दाएं हाथ के बल्लेबाज़ के लिए बाहर जाती हुई गेंद थी। समय के साथ उन्होंने गेंद को अंदर लाने पर काम किया और कुछ स्लोअर वैरिएशन भी विकसित किए। RCB में वह संभवतः यश दयाल के कवर होंगे। लेकिन टीम के स्काउट्स मानते हैं कि मंगेश सीधे एकादश में आने की क़ाबिलियत रखते हैं।
मंगेश कहते हैं, "मुझे नहीं पता था कि ये सब कैसा लगेगा, लेकिन मैं ख़ुशनसीब हूँ कि मेरे अपने राज्य से रजत पाटीदार भैया, वेंकी (वेंकटेश) अय्यर भैय्या और आनंद राजन सर जैसे लोग मुझे गाइड करने के लिए हैं।"
सात साल पहले तक मंगेश टेनिस-बॉल क्रिकेट खेलते थे। वह उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ में लोकल टूर्नामेंट खेलने के लिए जनरल ट्रेन के डिब्बों और सरकारी बसों में सफ़र करते थे। इन मैचों से होने वाली कमाई ने उन्हें आत्मनिर्भर बनने में मदद की।
वह कहते हैं, "अपने पिता से पैसे न मांगना मुझे एक उपलब्धि जैसा लगता था। आज भी इतनी बड़ी बोली मिलने की भावना को समझ पाना मुश्किल है। मैं अपने माता-पिता को सुकून देना चाहता हूं। इसके लिए मुझे मेहनत करनी होगी और ज़्यादा उड़ना नहीं होगा।"
"जब मैं सात साल का था, मेरी मां हमारे बोरगांव वाले घर के सामने मुझे गेंदें उछालकर फेंकती थीं। वहीं से मेरे क्रिकेट की शुरुआत हुई। मेरे पिता ट्रक चलाते हैं। मैंने, पैसे और मेहनत की क़ीमत तब समझी, जब मैंने उन्हें रोज़ सुबह तीन बजे उठकर ख़तरनाक सड़कों पर गाड़ी चलाते देखा।"
"उन्होंने इतने साल परिवार के लिए मेहनत की है, अब मैं उन्हें आराम देना चाहता हूं। हम चार भाई-बहन हैं। मेरी सबसे छोटी बहन भी क्रिकेट से प्यार करती है और एक तेज़ गेंदबाज़ बनना चाहती है। मैं चाहता हूं कि वह बिना पैसों की चिंता के पूरा समय क्रिकेट खेल सके।"
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मंगेश का एक प्रोफ़ेशनल क्रिकेटर बनने का सफ़र 16 साल की उम्र में शुरू हुआ, जब वह नोएडा चले गए। पारिवारिक दोस्त सुनील सिन्हा ने एक लोकल टूर्नामेंट में मंगेश को देखने के बाद उनके पिता को उनकी प्रतिभा का यक़ीन दिलाया, जहां मंगेश 'प्लेयर ऑफ़ द सीरीज़' बने थे। उन्हें इस टूर्नामेंट में 21,000 रूपये की नक़द ईनामी रक़म मिली थी।
मिचेल जॉनसन और आरपी सिंह की ऐक्शन कॉपी करने वाला यह लड़का नोएडा में फूलचंद शर्मा के वंडर क्रिकेट क्लब से जुड़ा। फूलचंद नोएडा के एक मशहूर कोच है, जिन्होंने भुवनेश्वर कुमार, शिवम मावी और रेलवे के पूर्व तेज़ गेंदबाज़ अनुरीत सिंह को ट्रेन किया है।
फूलचंद मंगेश की स्वाभाविक बाएं हाथ के कोण और स्विंग से काफ़ी प्रभावित हुए और अगले तीन साल के लिए उनकी हॉस्टल फ़ीस माफ़ कर दी। एकेडमी में मंगेश ने उत्तर प्रदेश के पूर्व कप्तान और मौजूदा BCCI अंपायर तन्मय श्रीवास्तव को भी प्रभावित किया, जो वहां कोचिंग सेशन लेते थे।
मंगेश आभार के साथ कहते हैं, "तन्मय भैया ने सालों तक मुझे स्पाइक्स, किट, कपड़े और क्रिकेट का पूरा सामान दिया। वह मेरे लिए गाइडिंग फ़ोर्स रहे। उन्होंने मेरे खेल में ख़ास दिलचस्पी ली और मुझे बेहतर बनने के तरीक़े बताए। वह हमेशा अतिरिक्त मेहनत करते थे।"
श्रीवास्तव ने मंगेश को UP सेट-अप में लाने की कोशिश की, लेकिन उनके करियर का निर्णायक मोड़ तब आया, जब मध्य प्रदेश के पूर्व तेज़ गेंदबाज़ आनंद राजन ने दख़ल दिया।
श्रीवास्तव की सिफ़ारिश पर राजन, मंगेश को इंदौर ले आए और प्रतिस्पर्धी क्रिकेट तक पहुंचने का रास्ता तैयार किया। राजन ने मंगेश को सही माहौल दिया और लगातार मौक़े सुनिश्चित किए।
राजन कहते हैं, "तन्मय और मैं काफ़ी अरसे से एक-दूसरे को जानते हैं। उन्होंने मुझसे कहा, 'मैं एक होनहार लड़के को तुम्हारे पास भेज रहा हूं, इसका ख़्याल रखना।' मैंने उसे उसी एकेडमी में दाख़िला दिलवाया, जहां वेंकटेश अय्यर खेलते हैं। वह वहां लगातार अच्छा कर रहा था, लेकिन वहां भी नियमित मौक़े मिलना आसान नहीं था।"
राजन ने मंगेश को फिर इंदौर की बजाय जबलपुर के ज़िला ट्रायल्स में भेजा और मुश्किल दौर में हमेशा उसका साथ दिया। राजन की मदद आख़िरकार मंगेश के लिए मध्य प्रदेश में ब्रेकथ्रू लेकर आई।
राजन कहते हैं, "उसे जबलपुर भेजने का मक़सद ज़्यादा मैच टाइम दिलाना था, क्योंकि वहां प्रतिस्पर्धा कम थी। उसने तुरंत ज़िला टीम में जगह बना ली और एक सीज़न में 35-40 विकेट लिए।"
इन प्रदर्शनों के दम पर मंगेश को तमिलनाडु में हुए 2024 बुची बाबू आमंत्रण टूर्नामेंट के लिए MP दल में चुना गया। लेकिन उनके करियर का असली उछाल 2025 MP T20 के दौरान आया।
ग्वालियर चीताज़ के लिए खेलते हुए मंगेश ने छह मैचों में 14 विकेट लिए और उन्हें 'प्लेयर ऑफ़ द टूर्नामेंट' चुना गया। इसी दौरान IPL स्काउट्स की नज़र उन पर पड़ी। उन्होंने मुंबई इंडियंस, RCB, दिल्ली कैपिटल्स और राजस्थान रॉयल्स के ट्रायल दिए। सनराइज़र्स हैदराबाद और पंजाब किंग्स के उनके ट्रायल, देशभर में फ़्लाइट कैंसिलेशन के कारण नहीं हो पाए।
MP T20 में शानदार प्रदर्शन के बाद मंगेश ने 2025-26 सैयद मुश्ताक़ अली ट्रॉफ़ी में सीनियर टीम के लिए डेब्यू किया। उन्होंने दो मैचों में तीन विकेट लिए और पंजाब के ख़िलाफ़ 12 गेंदों में 28 रन बनाकर अपनी हिटिंग क़ाबिलियत भी दिखाई।
मंगेश कहते हैं, "आनंद (राजन) सर ने मुझे एक प्रोफ़ेशनल क्रिकेटर की तरह सोचना सिखाया।"
नीलामी के एक हफ़्ते बाद भी मंगेश की दिनचर्या में ज़्यादा बदलाव नहीं आया है। अगले ही दिन वह इंदौर लौट आए और विजय हज़ारे ट्रॉफ़ी से पहले आनंद राजन के साथ अपने रन-अप और "कुछ तकनीकी बातों" पर काम किया।
ट्रेनिंग उनकी पहली प्राथमिकता बनी हुई है। हालांकि उनका फ़ोन अब पहले से ज़्यादा बजता है, लेकिन वह जानते हैं कि क्रिकेट में क़िस्मत कितनी तेज़ी से बदल सकती है।
नीलामी की रात मंगेश ने थोड़ी देर सपने ज़रूर देखे, लेकिन वह नहीं चाहते कि वह इस एहसास पर ज़्यादा देर तक रूके रहे। उनके लिए यह पैसा अब भी अवास्तविक लगता है, लेकिन उनका फ़ोकस अब विजय हज़ारे ट्रॉफ़ी पर है।
वह कहते हैं, "मैंने RCB की जर्सी पहनकर गेंदबाज़ी करने का सपना तो देखा है, लेकिन मैंने MP के लिए विकेट लेने और मैच जिताने की भी कल्पना की है। वही मेरा मुख्य लक्ष्य है।"
शशांक किशोर ESPNcricinfo में संवाददाता हैं
