कृष्णस्वामी : कोहली ने दिखाया कि महारत तो आख़िर महारत होती है
2014 में भारत के इंग्लैंड दौरे पर पांच टेस्ट मैचों में विराट कोहली की औसत 13.40 थी। चार साल बाद जब वह वापस इंग्लैंड पहुंचे तो दो शतकों के साथ वह सीरीज़ में सर्वाधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज़ बनकर उभरे और उनकी औसत 59.30 रही।
समय की मांग को देखते हुए लोग अक्सर टीवी में संक्षिप्त विवरण को जगह देते हैं और उस समय कोहली के प्रदर्शन में हुई इस बेहतरी के बारे में कहा गया कि 2018 में उन्होंने ऑफ़ स्टंप के बाहर की गेंदों को बड़ी समझदारी के साथ छोड़ने का काम किया था, जहां 2014 के कोहली अक्सर दोहरे मन से ऑफ़ स्टंप के बाहर की गेंदों को खेल बैठते थे।
हालांकि सच्चाई इस विवरण से थोड़ी अलग और जटिल थी। 2018 के कोहली ने ख़ूबसूरती से बल्लेबाज़ी की, क्योंकि किसी को भी कहीं भी इतने रन बनाने के लिए अपने बल्लेबाज़ी में सकारात्मक रंग जोड़ना होता है। इंग्लैंड में जेम्स एंडरसन के नेतृत्व वाली गेंदबाज़ी के ख़िलाफ़ बढ़िया बल्लेबाज़ी करते हुए कोहली ने न सिर्फ़ इसलिए इतने रन नहीं बनाए कि वह ऑफ़ स्टंप के बाहर की गेंदों को छोड़ रहे थे। उस सीरीज़ में कई तकनीकी चीज़ों के अलावा, भाग्य ने भी कोहली का बहुत साथ निभाया था।
ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो के आंकड़ों के अनुसार, कोहली 2014 में भाग्यशाली नहीं रहे थे। आंकड़ों के अनुसार उन्होंने 54 ग़लत शॉट खेलने के भीतर 10 बार अपनी विकेट गंवाई थी। वहीं 2018 में वह 200 ग़लत (फ़ॉल्स) शॉट खेलते हुए सिर्फ़ 10 बार आउट हुए। ऑफ़ स्टंप के बाहर भले ही अनिश्चितता कम रही हो, लेकिन ज़्यादातर वह ऑफ़ स्टंप के बाहर की गेंद पर शॉट लगाने गए। वह तब भी उन गेंदों पर शॉट खेल रहे थे और चूक भी रहे थे लेकिन उन गेंदों पर बल्ले का किनारा नहीं लग रहा था।
मंगलवार को हालांकि कोहली ने एक ऐसी पारी खेली, जो ऑफ़ स्टंप के बाहर अटूट अनुशासन की कहानी को बयां करती है।
ईएसपीएनक्रिकइंफ़ो के आंकड़ों के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में 143 टेस्ट पारियां हुई हैं जहां बल्लेबाज़ो ने ऑफ़ स्टंप के बाहर की लाइन में तेज़ गेंदबाज़ों की 100 से अधिक गेंदों का सामना किया है। उन सभी 143 पारियों में कोहली ने न्यूलैंड्स में 57.4% गेंदों को छोड़ा, जो सर्वाधिक है।