रणजी ट्रॉफ़ी में डे-नाइट मैच?
टेस्ट क्रिकेट में कई टॉप टीमें लगातार अंतराल पर पिंक बॉल से मैच खेलने लगी हैं। उदाहरण के तौर पर ऑस्ट्रेलिया ने 2015-16 से हर सीज़न में कम से कम एक पिंक बॉल टेस्ट मैच खेला है। ऐसे में गुलाबी गेंद के साथ अभ्यास करना और दूधिया रोशनी से अनुकूल होना अहम हो जाता है।
भारत ने अब तक तीन पिंक बॉल टेस्ट मैच का आयोजन किया है लेकिन प्रथम श्रेणी के सबसे बड़े टूर्नामेंट रणजी ट्रॉफ़ी में अब तक एक भी ऐसा मैच नहीं खेला गया है। इससे पहले केवल दलीप ट्रॉफ़ी (जो अब रद्द कर दी गई है) में 2016, 2017 और 2018 के बीच 12 पिंक बॉल मुक़ाबले खेले गए थे।
रणजी ट्रॉफ़ी 2022 के क्वार्टर-फ़ाइनल से पहले कर्नाटका के वरिष्ठ बल्लेबाज़ करुण नायर ने कहा, "आने वाले वर्षों में हम इन मैचों को नियमित तौर पर आयोजित होते देखेंगे। भारत में और डे-नाइट टेस्ट मैच खेले जाएंगे। मुझे भरोसा है कि हमें रणजी ट्रॉफ़ी में भी डे-नाइट मैच खेलने को मिलेंगे।"
बंगाल के कप्तान अभिमन्यु ईश्वरन भी प्रत्येक सीज़न में कुछ डे-नाइट मैच के आयोजन को लेकर सकारात्मक हैं। उनका मानना है कि इससे राष्ट्रीय टीम में चुने जाने वाले खिलाड़ियों को बेहतर अभ्यास करने का अवसर मिलेगा क्योंकि पिंक बॉल टेस्ट मैच नियमित रूप से खेले जा रहे हैं।
ईश्वरन ने कहा, "बीसीसीआई हर सीज़न में एक या दो पिंक बॉल मैच आयोजित करने पर विचार कर सकता है। वह इसलिए कि अगर कोई खिलाड़ी भारतीय टीम के लिए चुना जाता है तो उसे इस गेंद के ख़िलाफ़ खेलने का अनुभव मिलेगा। अगर भारत हर सीरीज़ में एक डे-नाइट मैच खेलने जा रहा है तो हर साल एक या दो मैच (रणजी ट्रॉफ़ी में) खेले जा सकते है।"
उन्होंने आगे कहा, "मुझे नहीं लगता कि ज़्यादातर खिलाड़ियों ने पिंक बॉल के साथ डे-नाइट मैच खेला होगा। वह एक अलग गेंद है, हम अलग समय पर खेलते हैं और परिस्थितियां भी बदल जाती है। इससे आपको बहुत कुछ सीखने मिलता है।"
हिमांशु अग्रवाल ESPNcricinfo में सब एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सब एडिटर अफ़्ज़ल जिवानी ने किया है।