भारत ने अक्षर की जगह हुड्डा को क्यों खिलाया?
भारत को टी20 विश्व कप 2022 में साउथ अफ़्रीका के हाथों अपनी पहली हार मिली। भले ही बांग्लादेश और ज़िम्बाब्वे को हराकर इस टीम के पास अंतिम चार में जाने का अच्छा मौक़ा है, पर इस हार ने कुछ सवाल खड़े कर दिए हैं। आइए हम और आप मिलकर इन बातों पर चर्चा करते हुए इन फ़ैसलों को समझने का प्रयास करते हैं।
भारत ने दो मैच जीत चुकी एकादश में बदलाव क्यों किया?
प्रेस कॉन्फ़्रेस में भारतीय ख़ेमे ने संकेत दिया है कि वह अपने संयोजन को बदलेगा नहीं। अंधविश्वास नहीं बल्कि यह जीतने वाली टीम को बदलने से बचने की बात है। पहले दो मैचों में एकादश ने लगभग सभी विभागों को पूरा किया था।
फिर अक्षर पटेल की जगह दीपक हुड्डा को क्यों चुना गया? ऐसा करते हुए आपने शीर्ष सात में मौजूद इकलौते बाएं हाथ के बल्लेबाज़ और हुड्डा से बेहतर गेंदबाज़ को टीम से बाहर कर दिया। हालांकि भारत ने सोचा होगा कि अगर छठे गेंदबाज़ का इस्तेमाल करने की बात आती है तो पार्ट टाइम ऑफ़ स्पिनर बाएं हाथ के बल्लेबाज़ों के विरुद्ध कारगर साबित होगा। इसी तरह के आकार वाले मेलबर्न के मैदान में अक्षर पर प्रहार किया गया था और वह केवल एक ओवर डाल पाए थे। पर्थ में हार्दिक के चार ओवरों की लगभग गारंटी होने के कारण भारत ने हुड्डा के साथ जाने का निर्णय लिया होगा।
हालांकि सबसे बड़ा कारण शायद कठिन परिस्थितियों में अपनी बल्लेबाज़ी को मज़बूत करना था। यह कहा जा सकता है कि हुड्डा की बल्लेबाज़ी ने कोई प्रभाव नहीं डाला और अक्षर शायद अश्विन के कोटे के ओवर डाल सकते थे जहां हुड्डा पर भरोसा नहीं दिखाया गया। टीम प्रबंधन यह भी कह सकता है कि उन्हें एक अतिरिक्त बल्लेबाज़ की आवश्यकता थी क्योंकि हुड्डा को आठवें ही ओवर में क्रीज़ पर आना पड़ा।
भारत का अगला मैच बांग्लादेश के विरुद्ध है जिसके पास टॉप छह में चार बाएं हाथ के बल्लेबाज़ हैं। जीत दर्ज करने वाली एकादश पर जाना सही लग सकता है लेकिन हुड्डा को टीम में बरक़रार रखने का कारण भी नज़र आ रहा है।
पहले बल्लेबाज़ी क्यों चुनी?
सवाल बिल्कुल सही है क्योंकि लक्ष्य सामने होने से पाकिस्तान के विरुद्ध भारत और भारत के विरुद्ध साउथ अफ़्रीका को पारी आगे बढ़ाने में आसानी हुई थी। हालांकि ऑस्ट्रेलियाई परिस्थितियों में लक्ष्य का पीछा करना अन्य देशों के मुक़ाबले इतना फ़ायदेमंद नहीं है। पर्थ स्टेडियम में पहले बल्लेबाज़ी करने वाली टीमों ने रविवार से पहले 15 मैच जीते और 11 गंवाए थे। अंत में परिणाम भारत के पक्ष में नहीं गया लेकिन पहले बल्लेबाज़ी करने के पीछे का तर्क साफ़ है।
हुक हुक हुक... अरे बाबा रुक?
शॉट चयन की भी आलोचना हुई क्योंकि शीर्ष छह में से चार बल्लेबाज़ पुल या हुक लगाते हुए आउट हुए। चौतरफ़ा तेज़ गेंदबाज़ी आक्रमण के ख़िलाफ़ तेज़ उछाल वाली पिच पर यह अनुचित आलोचना है। यदि आप शॉर्ट गेंद को आड़े हाथों नहीं लेंगे तो आप अंत में पांच विकेट पर 100 रन के स्कोर पर बने रहेंगे। एडन मारक्रम को प्रेस कॉन्फ़्रेस में भारतीय टीम के हुक शॉट के बारे में पूछा गया लेकिन उन्हें इसमें कोई ग़लती नहीं दिखी। मारक्रम ने कहा, "मुझे लगता है कि ऐसी पिच पर आप अतिरिक्त उछाल के कारण अन्य विकेटों की तुलना में अधिक ख़राब शॉट खेलेंगे। ऐसे में यह एक कठिन शॉट है लेकिन अगर कोई टीम उसी लेंथ पर गेंद डालते रहे तो आपको भी खेलना होगा। शायद यही कारण है कि दोनों टीमों ने शॉर्ट गेंदों पर आक्रमण किया क्योंकि अगर आप ऐसा नहीं करेंगे तो आपके पास अच्छा स्कोर नहीं होगा।"
क्यों यॉर्कर का इस्तेमाल नहीं किया गया?
इससे पहले के मैच में मोहम्मद वसीम ने नीदरलैंड्स को अपने सटीक यॉर्कर के साथ परेशान किया था। हालांकि भारतीय गेंदबाज़ लेंथ पर गेंदबाज़ी करते रहे जबकि यॉर्कर अर्शदीप सिंह और मोहम्मद शमी की मज़बूत गेंद है। यह इसलिए हुआ क्योंकि सामने की बाउंड्री छोटी थी और यॉर्कर पर ग़लती की गुंजाइश काफ़ी कम थी। हार्ड लेंथ पर उछाल आपका साथी बन रहा था और यॉर्कर पर आपको ज़्यादा विकेट नहीं मिलते जो भारत को चाहिए थे। अगर डेविड मिलर अंत तक खेलते तो साउथ अफ़्रीका के जीतने की पूरी संभावना थी और अंत में वही हुआ।
अश्विन को आख़िरी ओवर के लिए क्यों नहीं रोककर रखा गया?
जब साउथ अफ़्रीका ने रविचंद्रन अश्विन के तीसरे ओवर में प्रहार किया, उनका अंतिम ओवर ख़तरे की घंटी बनने वाला था। साधारण परिस्थितियों में अधिकतर कप्तान यह कमज़ोर ओवर को अंत तक के लिए रोककर रखते हैं। इसके पीछे का तर्क यह है कि अगर कमज़ोर ओवर में रन पड़े तो आपके प्रमुख गेंदबाज़ों को कोटा पूरा करने की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी।
रोहित शर्मा ने अश्विन को 18वां ओवर देने के पीछे का एक कारण यह दिया कि अंत में स्पिनर का गेंदबाज़ी करना कठिन है। एक और कारण हो सकता है - अब भारत के विरुद्ध पाकिस्तान को ही ले लीजिए। उन्हें पता था कि भारत, मोहम्मद नवाज़ के अंतिम ओवर को आड़े हाथों लेगा और इसलिए उन्होंने अन्य गेंदबाज़ों को उनसे पहले गेंदबाज़ी करवाई। एक अंतर यह था कि पाकिस्तान के पास अधिक रन थे और उसे उम्मीद थी कि प्रमुख गेंदबाज़ अंतिम ओवर के लिए ज़्यादा से ज़्यादा रन बचाकर रखेंगे। अंतिम तीन ओवरों में भारत को 48 जबकि साउथ अफ़्रीका को केवल 25 रन बनाने थे। अगर भारत अपने प्रमुख गेंदबाज़ों से ओवर पहले करवा भी लेता तो साउथ अफ़्रीका ख़ुशी-ख़ुशी अंतिम ओवर में 11-12 रनों का पीछा कर लेता। अधिकतर लोग रोहित के निर्णय से असहमत होंगे लेकिन आप देख सकते हैं कि उन्होंने ऐसा क्यों किया।
सिद्धार्थ मोंगा ESPNcricinfo के असिस्टेंट एडिटर हैं। अनुवाद ESPNcricinfo हिंदी के सब एडिटर अफ़्ज़ल जिवानी ने किया है।