जसप्रीत बुमराह सेर तो प्रसिद्ध कृष्णा सवा सेर
वर्तमान क्रिकेट में, जहां प्रायोजक लगभग हर चीज़ पर अवॉर्ड देते हैं, वहां अगर सबसे दोषरहित गेंदबाज़ी एक्शन का अवॉर्ड कभी दिया जाता, तो प्रसिद्ध कृष्णा शायद इसके सबसे प्रबल दावेदार होते। ठीक वैसे ही जैसे सोमवार को भारतीय चयन समिति की बैठक में प्रसिद्ध ना सिर्फ़ एशिया कप दल, शायद विश्व कप दल के लिए भी एक प्रबल दावेदारी पेश करेंगे।
शुक्रवार को एक चोटग्रस्त साल के बाद भारतीय टीम में वापसी करते हुए जिस कौशल और बेदाग़ तरीक़े से उन्होंने गेंदबाज़ी करते हुए भारत की जीत में अहम भूमिका निभाई थी, रविवार को भी वह ठीक उसी लय में दिखे। पहले मैच में 32 पर दो विकेट अनुकूल परिस्थितियों में आए थे। दो दिन बाद मैलाहाइड में आसमान साफ़ था और पिच काफ़ी सपाट। वह अच्छी गति से गेंद को डालते हुए अतिरिक्त उछाल से बल्लेबाज़ों को परेशान करते रहे। हालांकि ऐसा बिल्कुल लगा नहीं कि उन्हें अतिरिक्त प्रयास की ज़रूरत पड़ रही है।
जहां जसप्रीत बुमराह अपनी डेलिवेरी स्ट्राइड में आते हुए ही गति में वृद्धि लाते हैं, प्रसिद्ध लगभग रोबॉट की तरह एक ही गति से दौड़ते हुए क्रीज़ पर आते हैं। गेंद की लोडिंग और रिलीज़ में भी एक मखमली स्वाभाव है, जिससे बल्लेबाज़ों को लगता होगा यह गेंदबाज़ कहीं और वॉर्म-अप करते हुए गेंदबाज़ी पर आया होगा।
पॉल स्टर्लिंग जिस तरीक़े से एक पुल लगाने के चक्कर में फ़ाइन लेग पर अर्शदीप सिंह को कैच थमा बैठे, शायद उन्हें ऐसा ही लगा होगा। वह गेंद कंधे के हाइट की थी और उसे स्टर्लिंग ने ऑफ़ स्टंप के बाहर से निकालने की ग़लती की। एक बड़े लक्ष्य का पीछा करते हुए पावरप्ले के उस्ताद का आउट होना आयरलैंड के लिए एक बड़ा धक्का था।
स्टर्लिंग की जगह आए लोर्कान टकर तो और भी लाचार नज़र आए। उसी ओवर की आख़िरी गेंद पर टकर गति को परख नहीं पाए और पुल के प्रयास में बल्ले के ऊपरी हिस्से से संपर्क के चलते केवल मिड-ऑन तक ही गेंद भेज पाए। तीन गेंदों के डक की इस पारी ने आयरलैंड को मैच में और भी धकेल दिया। प्रसिद्ध ने शुरुआती स्पेल के बाद शायद उतनी घटना से भरी गेंदबाज़ी नहीं की, हालांकि उनके लय और गति के देखते हुए चयनकर्ता और टीम प्रबंधन बहुत उत्साहित हुए होंगे। वह निरंतर 140 किमी प्रति घंटी के ऊपर छू रहे थे और दूसरे ओवर में एंडी बैलबर्नी का विकेट भी उन्हें मिलता, अगर एक्स्ट्रा कवर पर ऋतुराज गायकवाड़ एक मुश्किल कैच पकड़ लेते।
तेज़ गेंदबाज़ी क्रम के उनके जोड़ीदार बुमराह के लिए यह एक आसान मैच रहा। हालांकि उन्होंने अपने हुनर का परिचय पहली गेंद पर ही दिया; एक लेंथ गेंद जो कोण के साथ अंदर आई लेकिन टप्पा खाकर कांटा बदली और बैलबर्नी के बाहरी किनारे को बीट करती निकल गई। उसी ओवर में उन्होंने लगातार अंदर आती गेंद से भी बल्लेबाज़ को चेतावनी दी कि वह दोनों तरह की स्विंग में माहिर हैं।
इस सब के बीच उन्होंने कुछ तीखे शॉर्ट गेंद भी किए, धीमी गति से लगातार बल्लेबाज़ों को छकाया और चिर परिचित अंदाज़ में कई पैने यॉर्कर भी डाले। सीरीज़ से पूर्व अपने कथन के मुताबिक़ ऐसा कतई नहीं लगा कि वह अपने पूरे प्रयास से कहीं पीछे थे। पोस्ट-मैच प्रेज़ेंटेशन में भी उन्होंने कुछ ऐसा ही ईशारा करते हुए कहा, "मुझे लगा आज मैं दौड़कर और तेज़ गेंदबाज़ी कर रहा था। आप अगर अपेक्षा का बोझ लेकर खेलते हैं, तो आप ख़ुद पर दबाव पैदा कर देते हैं। आपको अपेक्षाओं को अलग रखते हुए खेलना पड़ता है। मैं बस वापसी के साथ ख़ुश हूं और इसके अलावा अधिक नहीं सोच रहा।"
बुमराह ने जब अपना पहला विकेट निकाला तो आयरलैंड को 24 गेंदों पर 62 रनों की आवश्यकता थी। पारी के 17वें ओवर में उन्होंने केवल चार रन दिए। उन्होंने पूरे मैच में एक भी बाउंड्री नहीं दी। पारी का आख़िरी ओवर ख़ासा प्रभावशाली था, जिसमें उन्होंने विकेट मेडन कर दिखाया। आख़िरी गेंद एक डिप करती हुई धीमी गेंद थी जिसे जॉश लिटिल समझ नहीं पाए। गेंद चार बाई के लिए गई लेकिन बुमराह के आख़िरी फ़िगर थे 4-1-15-2 और उनकी मुस्कान बता रही थी कि यह एक विश्व-स्तरीय परफ़ॉर्मर है, जिसे पता है कि वह फिर से अपने शीर्ष फ़ॉर्म के काफ़ी नज़दीक़ है।
शशांक किशोर ESPNcricinfo में सीनियर सब एडिटर हैं, अनुवाद ESPNcricinfo के सीनियर सहायक एडिटर और स्थानीय भाषा प्रमुख देबायन सेन ने किया है