दूसरे दिन बुमराह की धारधार गेंदबाज़ी ने दिखाई भारत को जीत की राह
भारत 28 पर 0 (जायसवाल 15, रोहित 13, रेहान 5 पर 0) इंग्लैंड 253 (क्रॉली 76, स्टोक्स 47, बुमराह 45 पर 6) से 171 रन आगे
दूसरे दिन का खेल शुरू तो इंग्लैंड के पक्ष में हुआ था लेकिन दिन का खेल ख़त्म होते-होते भारत मुक़ाबले में हावी हो गया। भारत की ओर से मैच का पासा पलटने में जसप्रीत बुमराह और कुलदीप यादव ने अहम भूमिका निभाई।
बुमराह ने दूसरे दिन इंग्लैंड के छह विकेट चटकाए और सभी विकेट अच्छी गेंदों पर मिले। अक्षर पटेल ने क्रीज़ पर अपनी नज़रें जमा चुके ज़ैक क्रॉली को आउट करते हुए भारतीय टीम के लिए वापसी के दरवाज़े खोल दिए और इसके बाद बुमराह ने इंग्लैंड को पूरी तरह से बैकफ़ुट पर धकेल दिया।
बुमराह अपने पहले स्पेल में महंगे रहे थे। लेकिन दूसरे सत्र में ड्रिंक्स से ठीक पहले भारतीय कप्तान ने मुकेश कुमार को गेंद दी थी और उनके ओवर में गेंद ने हरकत करनी शुरु कर दी थी। इसी के बाद बुमराह के वापस आक्रमण में आने की आहट आ गई थी। ड्रिंक्स के ठीक बाद बुमराह को गेंद थमा दी गई और इसके बाद बुमराह ने इंग्लैंड की नाक में दम कर दिया। बुमराह ने टी से पहले पहले दो अहम विकेट लेते हुए, नए बल्लेबाज़ों को सेटल नहीं होने दिया। जो रूट को उन्होंने आठवीं बार अपना शिकार बनाते हुए स्लिप में शुभमन गिल के हाथों कैच करवाया। जबकि पिछले मैच के हीरो रहे ऑली पोप के पास बुमराह की यॉर्कर पर बोल्ड होने के अलावा और कोई चारा नहीं बचा था। इंग्लैंड के पुछल्ले क्रम ने जब संघर्ष दिखाया तब एक बार फिर बुमराह को आक्रमण पर लाया गया और उन्होंने पहले बेन स्टोक्स को अर्धशतक बनाने से रोका और उन्हें अपने टेस्ट करियर का 150वां शिकार बनाया।
बुमराह अब टेस्ट में भारत की ओर से सबसे तेज़ (64 पारी) 150 विकेट लेने वाले तेज़ गेंदबाज़ भी हैं। उनसे पहले यह रिकॉर्ड कपिल देव (67) के नाम था। बुमराह यहीं नहीं रुके और उन्होंने टॉम हार्टली को इस पारी का अपना पांचवां शिकार बनाया। बुमराह के टेस्ट करियर में यह 10 वां (घर पर दूसरा) मौक़ा है जब बुमराह ने किसी पारी में पंजा खोला है। बुमराह ने ही अपना छठा विकेट लेकर इंग्लैंड की पारी पर लगाम लगाया।
हालांकि भारतीय टीम इंग्लैंड के ऊपर हावी नहीं हो पाती अगर कुलदीप ने अहम मोड़ पर ब्रेकथ्रू नहीं दिलवाया होता। पारी का पहला ब्रेकथ्रू भी कुलदीप ने ही बेन डकेट को आउट कर दिलाया था। पहले सत्र में भारत को 396 के स्कोर पर समेटने के बाद इंग्लैंड की सलामी जोड़ी ने एक बार फिर तेज़ शुरुआत दी थी। कुलदीप लंच के बाद अपना दूसरा ओवर ही कर रहे थे कि उन्हें डिफेंड करने गए डकेट सिली प्वाइंट पर रजत पाटीदार को कैच थमा बैठे। पोप के क्रीज़ पर आते ही पहली ही गेंद पर स्टंप का मौक़ा भी उन्होंने बनाया लेकिन गेंद ने कीपर श्रीकर भरत और पोप दोनों को गच्चा दे दिया। तीसरे सत्र के पहले चरण में एक बार फिर कुलदीप की बारी आई। बेन फ़ोक्स कुलदीप की गेंद की लाइन को ही नहीं पढ़ पाए जबकि रेहान अहमद के शॉट पर गिल ने मिडविकेट में कैच लपक लिया।
हालांकि गिल ने दूसरे दिन तीन अन्य कैच (रूट, बेयरस्टो और हार्टली) स्लिप में भी पकड़े। गिल ने मिडविकेट पर क्रॉली का कैच टपका दिया था और उस समय क्रॉली सिर्फ़ 17 रन पर खेल रहे थे। क्रॉली को आउट करने का एक और बड़ा मौक़ा आया था जब वह 34 के स्कोर पर थे। पहली पारी की तर्ज पर ही रोहित शर्मा की तरह ही गेंद क्रॉली के बल्ले से लगकर लेग स्लिप की ओर गई थी लेकिन लेग स्लिप के वाइड खड़े होने चलते गेंद बाउंड्री के बाहर चली गई। यह दोनों ही अवसर रविचंद्रन अश्विन की गेंद पर आए थे। 2019 के बाद टेस्ट में भारतीय सरज़मीं पर यह पहला मौक़ा है जब अश्विन ने किसी पारी में एक भी विकेट नहीं लिया हो।
क्रॉली के 76 रन के अलावा स्टोक्स के 47 रन अगर ना होते तो भारत की बढ़त और बड़ी हो सकती थी। स्टोक्स जब 24 के स्कोर पर थे तब कुलदीप की गेंद पर मेज़बान टीम के कप्तान ने स्लिप में अपनी बाईं ओर कैच टपका दिया था। क्रॉली को मिले जीवनदानों से इतर भारत उनके ख़िलाफ़ आक्रामक फ़ील्ड भी सजा सकता था। क्रॉली के लिए शॉर्ट लेग और सिली प्वाइंट का उपयोग ना के बराबर किया गया जिसके चलते उन्हें आसानी से सिंगल निकालने के पर्याप्त मौक़े मिले।
इंग्लैंड की पारी समेटने के बाद एक बार फिर दिन के अंत में भारतीय टीम की बल्लेबाज़ी आई। दोनों दिन के खेल में सिर्फ़ दूसरे दिन का दूसरा सत्र ही था जब जायसवाल ने बल्लेबाज़ी नहीं की। दूसरे दिन के तीसरे सत्र में उन्होंने आक्रामक बल्लेबाज़ी की और रोहित के साथ मिलकर भारत को और अच्छी स्थिति में पहुंचा दिया।
दूसरे दिन का खेल जब शुरु हुआ था तब भारत छह विकेट के नुकसान पर 336 रन बना चुका था। अश्विन ने जायसवाल का साथ ज़रूर दिया लेकिन उनके आउट होने के बाद परिस्थितियां बदल गईं। हालांकि जायसवाल ने अपना अंदाज़ नहीं बदला और बड़े शॉट्स खेलते रहे। जायसवाल ने जल्द ही अपना पहला दोहरा शतक भी पूरा किया और वह भारत की ओर से टेस्ट में विनोद कांबली, सौरव गांगुली और गौतम गंभीर के बाद दोहरा शतक लगाने वाले चौथे बाएं हाथ के बल्लेबाज़ भी बन गए।
कुलदीप ने रक्षात्मक अंदाज़ में खेलते हुए जायसवाल का साथ दिया लेकिन जेम्स एंडरसन को आज भी मूवमेंट प्राप्त हो रही थी। इसलिए जायसवाल एंडरसन के ओवर में ख़ुद ही बल्लेबाज़ी कर रहे थे और कुलदीप को बचा रहे थे। एंडरसन ने भी जायसवाल के सामने फ़ील्ड को पूरी तरह से खोल दिया था। अपनी पारी में एंडरसन के 65 गेंद खेलने के बाद अनुभवी तेज़ गेंदबाज़ ने जायसवाल को बड़ा शॉट खेलने के लिए उकसाया और जायसवाल अगली ही गेंद पर बड़ा शॉट खेलने के चक्कर में आउट हो गए।