सरफ़राज़ ख़ान : अब्बू के ज़िंदा रहते भारत के लिए क्रिकेट खेलना मेरा ख़्वाब था

नवनीत झा

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राजकोट टेस्ट में गुरुवार को भारतीय टीम के लिए डेब्यू करने वाले सरफ़राज़ ख़ान ने कहा कि वह अपने पिता का जीवित रहते भारतीय टीम के लिए क्रिकेट खेलना चाहते थे। सरफ़राज़ ने कहा कि वह जब बल्लेबाज़ी करने आए तो शुरु में थोड़ा घबराए हुए थे लेकिन जल्द ही उन्होंने अपनी भावनाओं पर नियंत्रण पा लिया। सरफ़राज़ ने अपनी पहली अंतर्राष्ट्रीय पारी में धुआंधार 62 रन बनाए लेकिन पिच पर हुई गफ़लत के चलते वह रन आउट हो गए। सरफ़राज़ ने अपने रन आउट घटनाक्रम पर भी प्रतिक्रिया दी।

पहले दिन के खेल की समाप्ति के बाद सरफ़राज़ ने प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा, "मैं अपने अब्बू के जीते जी इंडिया के लिए क्रिकेट खेलना चाहता था। यह मैंने उनके लिए सपना देखा था। मैं जब छह साल का था तभी से उन्होंने मेरे ऊपर मेहनत शुरु कर दी थी।"

सरफ़राज़ ने अपनी पारी में एक छक्का और नौ चौके लगाए। सरफ़राज़ ने एक तूफ़ानी अर्धशतकीय पारी खेली और इस दौरान वह इंग्लैंड के गेंदबाज़ों के ख़िलाफ़ काफ़ी आत्मविश्वास में नज़र आए लेकिन उन्होंने ख़ुद बताया कि वह शुरुआत में नर्वस थे।

सरफ़राज़ ने कहा, "मैं चार घंटे पहले से पैड पहन कर तैयार बैठा था। लेकिन फिर मैंने सोचा कि जब जीवन में इतना धैर्य रखा है तब थोड़ा और रखता हूं। मैं पहली बार खेलने गया था इसलिए शुरु में एक दो गेंद नर्वस था लेकिन मैंने काफ़ी ज़्यादा अभ्यास किया था और इसलिए मैंने जल्द ही अपने आप पर काबू पा लिया।"

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सरफ़राज़ को अनिल कुंबले ने जब डेब्यू कैप दिया, उसके तुरंत बाद ही वह बाउंड्री लाइन के पास खड़े अपने पिता और पत्नी के पास गए। हालांकि ख़ुद सरफ़राज़ ने बताया कि पहले उनके पिता उनके डेब्यू के अवसर पर आना नहीं चाहते थे।

सरफ़राज़ ने कहा, "पहले मेरे अब्बू नहीं आ रहे थे लेकिन उन्हें कुछ लोगों ने कहा यहां आने के लिए ज़ोर देते हुए कहा कि इससे बड़ा गर्व का पल और कुछ नहीं हो सकता। ज़ाहिर सी बात है उन्होंने इतनी मेहनत इसी दिन के लिए की थी। मेरे दिमाग में यही चल रहा था कि उनके सामने कैप लूंगा। वह और मेरी पत्नी दोनों ही काफ़ी भावुक थे। ऐसा लगा जैसे मेरे कंधों से बोझ उतर गया।"

राजकोट टेस्ट के पहले दिन भारत ने पांच विकेट के नुकसान पर 326 रन बनाए। इस स्कोर में रोहित शर्मा और रवींद जाडेजा की शतकीय पारियों का योगदान तो है ही क्योंकि उन्होंने भारतीय पारी को संकट से निकाला। हालांकि भारतीय पारी को गति देने में पहले दिन सबसे अहम भूमिका सरफ़राज़ ने ही निभाई। सरफ़राज़ दुर्भाग्यवश रन आउट हो गए लेकिन उन्हें अपने शतक से चूकने का मलाल नहीं है और वह रन आउट को खेल का हिस्सा भर मानते हैं।

सरफ़राज़ ने कहा, "मिसकम्युनिकेशन हो जाता है, यह तो खेल का हिस्सा है। ख़ुद उन्होंने (जाडेजा) मुझसे आकर बोला कि 'मिसकम्युनिकेशन हो गया'। तब मैंने उन्हें कहा, 'कोई बात नहीं, ऐसा होते रहता है'।

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