दुख, दुर्भाग्य के बीच कैसे लगातार आगे बढ़ते रहे आकाश दीप
यदि भारत एजबेस्टन में नहीं जीतता या किसी और के बेहतरीन प्रदर्शन की बदौलत जीता होता तो शायद हमें आकाश दीप का साक्षात्कार सुनने का मौक़ा नहीं मिलता, वह अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं करते और हमें यह नहीं पता चल पाता कि एक बार फिर ज़िंदगी ने उन्हें किन कठिनाइयों से गुज़ारा है। और वह एक बार फिर अपनी उस क़िस्मत के साथ अलग-थलग पड़े होते जिसने ज़िंदगी भर उनका साथ कम ही दिया है।
यह एक मार्मिक क्षण था, उनके इर्द गिर्द टेस्ट जीत के दृश्य थे और वह चेतेश्वर पुजारा को यह बता रहे थे कि वह इस जीत को अपनी बहन को समर्पित करना चाहते हैं जिन्हें दो महीने पहले कैंसर का पता चला है। एक मैच विजेता दूसरे मैच विजेता से बात कर रहा था, जिसमें एक अब ब्रॉडकास्टर है और उसने ख़ुद भी एक छोटे बच्चे के रूप में कैंसर के कारण अपनी मां को खो दिया था।
लगभग आठ वर्ष पहले आकाश दीप के पिता को स्ट्रोक आया और फिर उन्हें लकवा हो गया और आकाश दीप के पिता दुनिया में नहीं रहे। इसके कुछ महीनों बाद उनके एक भाई को सामान्य खांसी हुई। अपने एक छोटे से शहर में उनका इलाज ढंग से नहीं हुआ और फिर वाराणसी जाने के रास्ते में उन्होंने दम तोड़ दिया।
आकाश दीप का जन्म एक साधारण परिवार, साधारण शहर और एक साधारण राज्य के छोटे से शहर में हुआ जहां उस समय क्रिकेट एसोसिएशन नहीं था। उन्हें उनके हिस्से से अधिक दुर्भाग्य मिला लेकिन साथ ही साथ ही उन्हें धैर्य के साथ उसे सहन करने और आगे बढ़ते रहने का साहस पाने, सभी प्रकार के आघातों को झेलने के बाद भी ख़ुश रहने का विकल्प चुनने का दुर्लभ उपहार भी मिला।
आकाश दीप की ख़ुशी क्रिकेट में थी। जब उनके पिता जीवित थे और वह उनके क्रिकेट खेलने के पक्ष में नहीं थे तब आकाश दीप ने नौकरी की तलाश के बहाने घर छोड़ दिया था। और उन्होंने क्रिकेट खेलते रहने और छोटे-मोटे क्लब में खेलने पर मिलने वाले स्टाइपेंड का एक हिस्सा घर भेजना शुरू किया।
जसप्रीत बुमराह के बिना एक सपाट पिच पर गेंदबाज़ी करना एक बड़ी चुनौती थी लेकिन यह चुनौति आकाश दीप की उन चुनौतियों के सामने कुछ भी नहीं थी जिन्हें उन्होंने पार किया था। चुनौतियों को पार करने के क्रम में आकाश दीप ने एक ऐसी गेंदबाज़ी शैली विकसीत की जिसने उन्हें मौक़ा दिया।
संयोग से मोहम्मद शमी के साथ उनकी एक मुलाक़ात ने सबकुछ बदल दिया जिसने उनके लिए सबकुछ बदल दिया जब आकाश दीप बंगाल टीम में अभी भी एक नियमित खिलाड़ी थे। शमी ने उन्हें बताया कि इंटेंसिटी और सटीकता बरक़रार रखने के लिए उन्हें फ़िट बने रहने के लिए क्या करने की आवश्यकता है।
आकाश दीप शमी जैसी गेंदबाज़ी करने वाले गेंदबाज़ के रूप में भारतीय टीम में आए। शायद शमी की तरह ही उनकी गेंद को छोड़ना उतना आसान नहीं है। वो क्रीज़ के पार से दौड़ते हैं, सीम प्राप्त करने की कोशिश करते हैं और हमेशा बल्लेबाज़ों को जल्दबाज़ी का शिकार करने की कोशिश करते हैं। यह सब उनकी रिलीज़ प्वाइंट और आर्म ऐक्शन के चलते संभव हो पाता है।
इंग्लैंड में जितने भी भारतीय तेज़ गेंदबाज़ हैं उनमें केवल प्रसिद्ध कृष्णा का ही रिलीज़ प्वाइंट उनसे ज़्यादा है लेकिन थोड़ा ही। दोनों की औसत रिलीज़ हाइट में केवल 0.013 मीटर का अंतर है जबकि दोनों की हाइट में 0.03 मीटर का अंतर है।
आकाश दीप, जॉश टंग और बेन स्टोक्स की तुलना में अधिक ऊंची प्वाइंट से गेंद को रिलीज़ करते हैं। ऊंचा रिलीज़ प्वाइंट और एकदम सीधी सीम उन्हें सतह से सीम मूवमेंट प्राप्त करने में मदद करती है। यह संभव है कि गेंद जब सीम करती है तो बल्लेबाज़ जल्दबाज़ी में प्रतिक्रिया करता है और ऐसा प्रतीत होता है कि वह एक स्किडी गेंदबाज़ हैं।
आकाश दीप ने मेज़बान गेंदबाज़ों को यह सबक सिखाया है कि एक सपाट पिट पर कैसी गेंदबाज़ी की जाती है। ऑफ़ स्टंप को टारगेट करने के लिए वह लगातार वाइड ऑफ़ द क्रीज़ जा रहे थे। जब वह बाहर की ओर सीम प्राप्त करना चाह रहे थे तब वह वाइड ऑफ़ द क्रीज़ जाकर फुल गेंद करने का प्रयास कर रहे थे। और जब ऐसा हुआ तो पहली पारी में ऑली पोप और दूसरी पारी में जो रूट का विकेट देखने को मिला। दो पारियों के बीच टंग ने के एल राहुल को आउट करने के लिए यही तरीका आज़माया।
अंतिम दिन की सुबह आकाश दीप को उनके मनपसंद छोर से आक्रमण पर लाने के लिए शुभमन गिल ने प्रसिद्ध को गेंद थमाई। हालांकि गिल ने देखा कि प्रसिद्ध अच्छी लय में हैं और उन्होंने प्रसिद्ध को पूरा एक स्पेल दिया। लेकिन इससे आकाश दीप को फ़र्क़ नहीं पड़ा और उन्होंने एक "ग़लत छोर" से गेंदबाज़ी करते हुए छह ओवर में 22 रन देते हुए दो विकेट चटका लिए और भारत को जीत की ओर अग्रसर कर दिया।
ऑस्ट्रेलिया में बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफ़ी के दौरान आकाश दीप का किस्मत उनका अधिक साथ नहीं दे रही थी, वह लगातार बल्लेबाज़ों को बीट कर रहे थे, स्टीव स्मिथ की ओर से उन्हें तारीफ़ भी मिली लेकिन उनका ज़्यादा समय मैदान के मुक़ाबले अस्पालों के चक्कर काटने में बीता। आकाश दीप चोटिल हो गए और IPL 2025 में लखनऊ सुपर जायंट्स के लिए छह मैच खेले। लखनऊ में बिताई अपनी हर रात में वह अपनी बहन को देखने जाते।
बर्मिंघम में आकाश दीप उमेश यादव के बाद 10 विकेट हॉल लेने वाले पहले भारतीय तेज़ गेंदबाज़ हैं। बुमराह के पास भी बर्मिंघम में 10 विकेट हॉल नहीं है। आकाश दीप ने पुजारा से कहा कि वह अपनी बहन के चेहरे पर मुस्कान देखना चाहते हैं। आकाश दीप, ऐसे कई और लोग भी हैं जिनके चेहरे पर मुस्कान है और वह बिना किसी शिकायत के लगातार आगे बढ़ते रहने की आपकी क्षमता पर आश्चर्यचकित हैं।
सिद्धार्थ मोंगा ESPNcricinfo के वरिष्ठ लेखक हैं।