हीली के शतक ने ऑस्ट्रेलिया को दिलाई ऐतिहासिक जीत
ऑस्ट्रेलिया 331/7 (हीली 142, पेरी 47*, गार्डनर 45, चरणी 3/41) ने भारत 330 (मांधना 80, रावल 75, सदरलैंड 5/40) को तीन विकेट से हराया
महिला वनडे विश्व कप के इस मुक़ाबले में विशाखापट्टनम की गर्मी, भीड़ और उम्मीदें, सब कुछ भारतीय बल्लेबाज़ों के साथ था। लेकिन रात के अंत तक कहानी ऑस्ट्रेलिया के नाम रही। भारत ने पहले बल्लेबाज़ी करते हुए 330 रन बनाए, जो विश्व कप में उनका अब तक का सबसे बड़ा स्कोर था। लेकिन ऑस्ट्रेलिया की कप्तान अलीसा हीली की 142 रनों की शानदार पारी ने उस विशाल स्कोर को छोटा साबित कर दिया। ऑस्ट्रेलिया ने यह लक्ष्य सात विकेट खोकर हासिल कर लिया। यह महिला वनडे इतिहास का सबसे बड़ा सफल चेज़ था।
पहली दो जीत के बाद भारत के लिए यह लगतार दूसरी हार है। भारत अगर सेमीफ़ाइनल में पहुंचना चाहता है तो आने वाले मैच उनके लिए लगभग करो या मरो वाले मैच हैं। पहली पारी में भारत ने वैसा प्रदर्शन दिखाया, जिसका इंतज़ार टीम लंबे समय से कर रही थी। स्मृति मांधना और प्रतिका रावल ने शुरुआती सतर्कता के बाद शानदार साझेदारी की। दोनों ने 155 रनों की ओपनिंग जोड़ी बनाई, जो विश्व कप इतिहास में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ सबसे बड़ी साझेदारी बनी।
मांधना ने जब सोफ़ी मोलिन्यू को सिक्सर मारा, तभी वह एक कैलेंडर वर्ष में 1000 वनडे रन पूरे करने वाली पहली महिला खिलाड़ी बन गईं। उन्होंने 46 गेंदों पर अपना अर्धशतक पूरा किया और आगे बढ़ते हुए 80 रन बनाए।
रावल ने भी धैर्य और टाइमिंग का अच्छा मिश्रण दिखाया। उन्हें 41 पर जीवनदान मिला और उन्होंने उसका फ़ायदा उठाते हुए 75 रनों की पारी खेली। उनके आउट होने के बाद कप्तान हरमनप्रीत कौर ने कुछ आकर्षक शॉट्स लगाए, लेकिन वह ज़्यादा देर नहीं टिक सकीं। भारत 38वें ओवर तक 240 रन पर पहुंच गया था और बड़े स्कोर के लिए मंच तैयार था।
इसके बाद ऋचा घोष और जेमिमाह रॉड्रिग्स ने तेज़ी से रन जोड़ते हुए 31 गेंदों पर 50 रन की साझेदारी की। घोष ने तीन चौके और दो छक्के लगाए और दिखाया कि वह डेथ ओवर्स में कितनी ख़तरनाक साबित हो सकती हैं। लेकिन ऐनाबेल सदरलैंड की वापसी ने भारत की रफ़्तार रोक दी। उन्होंने शानदार बदलाव के साथ पांच विकेट लिए और भारत के आख़िरी चार विकेट सिर्फ़ 20 रन के भीतर गिरा दीं। नतीजतन 350 के पार जाने का सपना 330 पर थम गया।
यह स्कोर किसी भी मैच में जीत के लिए काफ़ी लग सकता था, लेकिन ऑस्ट्रेलिया ने शुरुआत से ही इरादे साफ़ कर दिए। हीली और फ़ीबी लीचफ़ील्ड ने पहले सात ओवरों में बिना ज़्यादा जोखिम के स्कोर आगे बढ़ाया। 12वें ओवर में जब लीचफ़ील्ड 40 रन बनाकर आउट हुईं, तब तक स्कोर 85 हो चुका था। हीली ने इस साझेदारी को आधार बनाते हुए भारतीय गेंदबाज़ों पर हमला बोल दिया। उन्होंने कवर्स के ऊपर से ड्राइव लगाए, स्पिनर्स को पैर जमाने का मौक़ा नहीं दिया और हर गेंदबाज़ पर दबाव बनाए रखा।
हीली को एलिस पेरी का साथ मिला, जिन्होंने 154 के स्कोर पर चोट लगने तक 47 रन जोड़े और रिटायर्ड हर्ट हुईं। बीच में श्री चरणी ने सदरलैंड और दीप्ति ने बेथ मूनी को जल्दी आउट करके भारत को वापसी की उम्मीद दिलाई, लेकिन ऐश्ली गार्डनर ने उस पर पानी फेर दिया। गार्डनर और हीली के बीच 95 रनों की साझेदारी ने मैच को एकतरफ़ा बना दिया। इसी दौरान हीली ने अपना छठा वनडे शतक पूरा किया और अंततः 142 रनों की अविश्वसनीय पारी खेली। यह न सिर्फ़ भारत के ख़िलाफ़ सबसे बड़ी वनडे पारी बनी, बल्कि विश्व कप इतिहास की भी सबसे बड़ी व्यक्तिगत पारी रही।
उनके आउट होने के बाद अमनजोत कौर ने दो विकेट लेकर थोड़ी उम्मीद ज़रूर जगाई, लेकिन पेरी चोट के बावजूद लौट आईं और किम गार्थ के साथ मिलकर टीम को लक्ष्य तक पहुंचा दिया। पेरी ने संयम से खेलते हुए अंत तक बल्लेबाज़ी की और ऑस्ट्रेलिया को ऐतिहासिक जीत दिलाई।
भारत की तरफ़ से श्री चरणी ने तीन अमनजोत ने दो विकेट लिए, लेकिन उनका असर सीमित रहा। यह हार भारत के लिए काफ़ी भारी रही क्योंकि सेमीफ़ाइनल की रेस अब उनके लिए काफ़ी मुश्किल बन रही है। वहीं ऑस्ट्रेलिया के लिए यह जीत उनके आत्मविश्वास और गहराई का प्रतीक रही।