महिला वनडे विश्व कप में टीवी अंपायरिंग पर उठे सवाल
महिला विश्व कप 2025 में अंपायरिंग के स्तर पर सवाल उठने लगे हैं। टूर्नामेंट के पहले ढाई हफ्तों में कई विवादित फ़ैसलों ने ध्यान खींचा है। इनमें सबसे अधिक चर्चा डीआरएस (Decision Review System) के इस्तेमाल को लेकर रही है, जो महिलाओं के क्रिकेट में सीमित रूप से उपयोग किया जाता है। इसी वजह से अंपायरों के अनुभव और डीआरएस प्रोटोकॉल की समझ पर सवाल उठे हैं।
सबसे बड़ा विवाद इंग्लैंड और बांग्लादेश के बीच हुए मैच में देखने को मिला, जब हेदर नाइट को तीन बार जीवनदान मिला। उनमें से एक मौक़ा था जब शोरना अख्तर ने उनका लो कैच पकड़ा था। उस समय नाइट 13 रन पर थीं और इंग्लैंड 179 रन का पीछा कर रहा था। नाइट ने फ़हीमा ख़ातून की गेंद को कवर पर खेला, जहां शोरना ने शानदार कैच लिया।
नाइट ख़ुद पवेलियन की ओर बढ़ गई थीं, लेकिन टीवी अंपायर गायत्री वेणुगोपालन ने इसे "अपर्याप्त साक्ष्य" बताते हुए नॉट आउट करार दिया। इससे पहले एक कॉट-बिहाइंड का फ़ैसला भी मैदान पर आउट दिया गया था, लेकिन तीसरे अंपायर ने उसे पलट दिया। यह कहते हुए कि गेंद बल्ले से नहीं, पैड से लगकर कीपर तक गई थी।
ब्रॉडकास्टर नासिर हुसैन ने कहा, "मैंने मैच के बाद नाइट से पूछा तो उन्होंने कहा कि उन्हें लगा था कि वह आउट हैं और वह ख़ुद पवेलियन लौट रही थीं। उन्होंने कहा, 'मैं शायद एक ही मैच में इतनी बार कभी आउट नहीं हुई।' इसके बाद उन्होंने नाबाद 79 रन बनाए और इंग्लैंड को जीत दिलाई, जो विरोधी टीम के लिए बहुत निराशाजनक था।
एक और घटना भारत-पाकिस्तान मैच के दौरान हुई जब पाकिस्तान की सलामी बल्लेबाज़ मुनीबा अली को अजीब परिस्थितियों में रन आउट दिया गया। पहले टीवी अंपायर ने उन्हें नॉट आउट बताया, लेकिन बाद में निर्णय को बदलकर आउट कर दिया। यह मामला इसलिए उलझ गया क्योंकि अंपायर ने पहले सभी एंगल से फुटेज नहीं देखी थी। जब उन्होंने बाक़ी फुटेज देखी, तब उन्हें रन आउट की स्थिति भी दिखी और फ़ैसला बदला गया। इससे मैदान पर भ्रम की स्थिति बन गई और मुनीबा तथा कप्तान फ़ातिमा सना चौथे अंपायर से स्पष्टीकरण लेने पहुंचीं।
भारत और साउथ अफ़्रीका के बीच मुक़ाबले में एक और विवादित फ़ैसला तब आया जब भारत ने सुने लूस के ख़िलाफ़ एलबीडब्ल्यू रिव्यू लिया। तीसरे अंपायर कैंडेस ला बॉर्ड ने अल्ट्रा-ऐज़ पर आए हल्के से कंपन को बल्ले का संपर्क मान लिया, जबकि साइड एंगल रिप्ले में स्पष्ट रूप से दिख रहा था कि गेंद और बल्ले के बीच दूरी थी। नतीजतन लूस को नॉट आउट करार दिया गया।
भारत-ऑस्ट्रेलिया मैच में स्नेह राणा द्वारा अलीसा हीली का लिया गया कैच भी चर्चा में रहा। तीसरे अंपायर जैकलीन विलियम्स ने पहले कहा कि "गेंद ज़मीन को छू रही है", लेकिन बाद में उन्होंने फ़ैसला बदल दिया और कैच को वैध बताया।
हुसैन ने हीली के आउट वाले फ़ैसले पर कहा, "अगर आप इन रिप्ले को बार-बार देखें, ज़ूम इन करते रहें मुझे ठीक से याद नहीं है कि मैं कहां था, शायद मैं टीवी पर देख रहा था तो यह उनमें से एक था जहां गेंद उंगलियों और हाथों के नीचे चली जाती है। थर्ड अंपायर ने पंद्रह अलग-अलग रिप्ले या एंगल नहीं देखे। उन्होंने बस दो-तीन बार देखा, अपने अनुभव और महसूस के आधार पर कहा कि उंगलियां गेंद के नीचे थीं, इसलिए आउट। लेकिन यही चीज़ मुझे हमेशा परेशान करती है जब मैं घर पर या प्रसारण में देख रहा होता हूं। अगर आप बार-बार रिप्ले देखते रहें, तो आपको कुछ न कुछ ऐसा ज़रूर दिखेगा जो भ्रम पैदा करे; इसलिए बहुत सावधानी और सटीकता की ज़रूरत होती है।"
इस विश्व कप में अब तक 10 अंपायरों ने टीवी अंपायर की भूमिका निभाई है, लेकिन इनमें से केवल तीन के पास 20 से अधिक मैचों में डीआरएस का अनुभव है। सू रेडफ़र्न (42), एलोइस शेरिडन (25) और किम कॉटन (24)। वहीं तीन अंपायर कैंडेस ला बॉर्ड, एन जननी और सारा डंबानेनावा ने इससे पहले कभी भी वनडे मैच में डीआरएस के साथ टीवी अंपायरिंग नहीं की थी।
कुल मिलाकर 10 में से पांच अंपायरों ने पांच से कम मैचों में डीआरएस के साथ काम किया है, यानी अनुभव की कमी साफ़ झलक रही है। इस विश्व कप में ऑन-फ़ील्ड फ़ैसलों को पलटने की दर भी पहले की तुलना में ज़्यादा है। अब तक 36 पारियों में 25 फ़ैसले पलटे गए हैं, यानी प्रति पारी 0.67 बार। 2023 के पुरुष वनडे विश्व कप में यह दर 0.46 थी।
आईसीसी ने अंपायरों के अनुभव या डीआरएस से जुड़ी गलतियों पर कोई टिप्पणी करने से इनकार किया है। यह भी स्पष्ट नहीं किया गया कि क्या किसी टीम ने इन फ़ैसलों पर औपचारिक शिकायत दर्ज कराई है। आईसीसी के अंपायर मैनेजर शॉन ईज़ी टूर्नामेंट के दौरान कई स्थलों पर मौजूद रहे हैं।
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