मिताली राज: ऑस्ट्रेलिया के पास खोने के लिए बहुत कुछ है लेकिन भारत के लिए ऐसा नहीं है

क्या भारत गुरुवार को होने वाले विश्व कप सेमीफ़ाइनल में एक अजेय और लगभग अपराजेय दिखने वाली ऑस्ट्रेलियाई टीम को पछाड़ सकता है? हमने पूर्व भारतीय कप्तान मिताली राज से इस बारे में पूछा

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'आपके पास खोने के लिए कुछ नहीं, लेकिन ऑस्ट्रेलिया का बहुत कुछ दांव पर है'

महिला वनडे विश्व कप के सेमीफ़ाइनल में भारत का मुक़ाबला ऑस्ट्रेलिया के साथ है। महिला क्रिकेट का सबसे खुला रहस्य यह है कि अगर आपको टूर्नामेंट जीतना है तो ऑस्ट्रेलिया को हराना ही होगा। क्या ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ क्रिकेट में मानसिक स्तर पर भी कई चीज़े बहुत महत्वपूर्ण होती हैं?

ऑस्ट्रेलिया महिला क्रिकेट में सबसे प्रभावशाली टीम रही है। इसी कारण से मानसिक स्तर पर कई चीज़ें महत्वपूर्ण दिखती हैं। चाहे T20 विश्व कप हो या वनडे विश्व कप, लगभग हर साल वे फ़ाइनल के लिए क्वालीफ़ाई करती हैं। लेकिन WPL से मिले अनुभव के बाद मुझे लगता है कि भारतीय महिला क्रिकेट में कई चीज़ें तेज़ी से बदली हैं।

क्या आप इसकी तुलना 2017 और 2022 के दो विश्व कप से कर सकती हैं ? उन मैचों में आप भी शामिल थीं। तब ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ मैच से पहले माहौल थोड़ा अलग होता था। आपको लगता था कि इन लोगों को हराना अन्य टीमों की तुलना में कठिन होगा।

लेकिन अब जब आपने ख़ुद (WPL) फ़्रेंचाइज़ क्रिकेट में उनके साथ समय बिताया है, इन ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों को क़रीब से देखा है। उनसे बातचीत की है तो क्या इन खिलाड़ियों को बेहतर तरीक़े से जानने के बाद, उनके ख़िलाफ़ मैच के दौरान आपके मन में उनका डर थोड़ा कम हो जाता है?

मुझे लगता है कि अगर आप उनके साथ और उनके आस-पास कुछ समय बिताते हैं, ख़ासकर WPL के दौरान, तो इससे मदद मिलती है। खिलाड़ियों को तब पता चलता है कि वे क्या सोचते हैं, उनकी मानसिकता कैसी है, किसी ख़ास परिस्थिति में उनकी तैयारी कैसी होती है। आपको पता होता है कि वे उन परिस्थितियों का सामना कैसे करते हैं। आपको उनके बैकअप प्लान की समझ होती है।

इसलिए मुझे लगता है कि इन अनुभवों ने निश्चित रूप से मौजूदा खिलाड़ियों की मदद की है। विश्व कप से पहले द्विपक्षीय सीरीज़ में भारत ने एक मैच जीता और दूसरे मैच में भी अच्छी टक्कर दी। दिल्ली में तीसरा मैच भी काफ़ी क़रीबी था और भारत जीत की तरफ़ अग्रसर था। इसलिए मुझे भी लगता है कि जब नॉकआउट की बात आती है, तो ऑस्ट्रेलिया के मन में भी संदेह हो सकता है। ख़ासकर जब वे भारत का सामना कर रहे हैं।

क्या ऑस्ट्रेलियाई टीम को प्रतिद्वंद्वियों की एक सूची दें, तो वे दूसरों की तुलना में भारतीय टीम का सामना नहीं करना चाहती हैं। मुझे थोड़ा और बताइए, कोई ऐसा उदाहरण जब आपने बेथ मूनी या ऐश गार्डनर के ख़िलाफ़ खेला हो, और फिर जब आप उन्हें अपनी टीम के हिस्से के रूप में देखती हैं। यह आपके नज़रिए को कैसे बदलती है

यह आपको इस बात की भी जानकारी देता है कि वे कुछ मैचों के दौरान कैसे सोचते हैं। मुझे व्यक्तिगत रूप से लगता है कि जब हर कोई मैदान पर जाता है तो उसके पास कम से कम तीन से चार प्लान होने चाहिए। कुछ खिलाड़ी ऐसे होते हैं जो काम करे या न करे, प्लान पर टिके रहते हैं, और कुछ खिलाड़ी ऐसे होते हैं जो मैदान पर अपनी योजना को आसानी से बदलते हैं।

आप समझते हैं कि ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी कैसे काम करते हैं। वे मैदान पर कितनी जल्दी अपनी योजनाएं बदलते हैं। साथ ही खेल के प्रति उनकी जागरूकता का भी पता चलता है। ख़ासकर गेंदबाज़ी इकाई की बात करें तो, वे तुरंत विकेट को पढ़ते हैं और इस जानकारी को बाक़ी के खिलाड़ियों के साथ साझा करते हैं। यही वह चीज़ें हैं, जो मैंने पहले कुछ सीज़न के लिए फ़्रेंचाइज़ी टीम (गुजरात जायंट्स) के साथ रहकर महसूस किया।

क्या आपको लगता है कि जिन खिलाड़ियों ने आपके साथ खेला और अभी भी इस टीम का हिस्सा हैं, वे भी ऑस्ट्रेलियाई प्रतिद्वंद्वी को थोड़ा अलग तरीक़े से देखते होंगे। जैसा कि वे शायद 2022 के पिछले विश्व कप में भी देखते थे?

मुझे लगता है कि अब भारतीय खिलााड़ियों को लगता है कि इस ऑस्ट्रेलियाई टीम को हराना संभव है। उनकी गहरी बल्लेबाज़ी लाइन-अप, उनकी मज़बूत गेंदबाज़ी आक्रमण, प्लेइंग इलेवन में ऑलराउंडरों की संख्या जैसी कई ताक़तों के बावजूद खिलाड़ी सोचते हैं के उन्हें हराया जा सकता है। इस कैलेंडर वर्ष में भारत ने काफ़ी मैच जीते हैं। कई खिलाड़ी अच्छे फ़ॉर्म में हैं और यह सब मायने रखता है।

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क्या भारत अमनजोत कौर को चुनेगा या फिर एक अतिरिक्त बल्लेबाज़ को प्लेइंग XI का हिस्सा बनाया जाएगा

ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ सेमीफ़ाइनल से पहले टीम का माहौल कैसा होता है? उस माहौल का अनुभव आपने 2017 में किया होगा। यह अन्य बड़े मैचों से कैसे अलग होता है?

जब विश्व कप की बात आती है और जब आप नॉकआउट में होते हैं, तो आप जानते हैं कि फ़ाइनल में पहुंचने के लिए उस दिन आपको अच्छा खेलना होगा।। यहां तक कि ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी भी जानते हैं कि उन्हें नॉकआउट मैच में अपना सर्वश्रेष्ठ देना होगा। अन्यथा आप बाहर हो जाओगे। मैं निश्चित रूप से जानती हूं कि भारतीय टीम पूरी तरह से सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ने की कोशिश कर रही होगी। उन्होंने विशाखापत्तनम में जो ग्रुप मैच खेला है, उससे उनका आत्मविश्वास बढ़ा होगा। उस मैच में भारत 300 (330) का स्कोर बनाने में सक्षम था। मैंने प्रेस कांफ़्रेंस में अलिसा हीली को यह कहते हुए सुना कि हर दिन आप 300 का पीछा नहीं करते हैं। यह स्वयं ही उनके सोचने के तरीके को बताता है।

ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ परिस्थितियों की कल्पना करते हैं। एक चीज़ जो हमें लगभग देखने मिलती है वह यह है कि अगर आप उनके पांच या छह विकेट भी ले लेते हैं, तो आपको नहीं लगता कि वे दबाव में हैं। वे पलटवार करते हैं। हमने इसे ऐश गार्डनर को (न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़) देखा , हमने इसे पाकिस्तान के ख़िलाफ़ देखा। अगर ऑस्ट्रेलियाई टीम दबाव में होती है या फिर अगर वे अच्छी स्थिति में होते हैं तो भारतीय टीम को किस चीज़ का ध्यान रखना होगा?

भारतीय टीम के लिए एक चीज़ जो अच्छी हो रही है वह यह है कि स्पिनरों ने अच्छा प्रदर्शन किया है। लेकिन तथ्य यह है कि इस मैदान पर (नवी मुंबई) गेंद कम स्पिन होती है। उस हिसाब से आपको यह सोचना होगा कि सेमीफ़ाइनल में गेंदबाज़ी क्रम कैसा होगा। दूसरा यह है कि आपको शुरुआती सफलताएं हासिल करने की ज़रूरत है। ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ खेलते समय यह बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि वे उस शुरुआत पर निर्भर करते हैं जो अलिसा हीली और फ़ीबी लिचफ़ील्ड देती हैं। और अगर आप पिछले कुछ मैचों को देखें, तो आप जानते हैं कि एलिस पेरी भी उतनी फ़ॉर्म में नहीं हैं।

यह थोड़ी उम्मीद देता है कि उनके मध्यक्रम को अभी भी गुणवत्तापूर्ण गेंदबाज़ों के साथ रोका जा सकता है। अगर आप उन पर दबाव डालते हैं तो मध्य ओवरों में रनों को रोका जा सकता है। लेकिन अगर वे साझेदारी बनाने में सक्षम होते हैं तो मुश्किल है। आपको ऐसे गेंदबाज़ों की ज़रूरत है जो उन साझेदारियों को तोड़ सकें।

अगर मैं इस भारतीय टीम की बात करूं तो एक बड़ी चिंता यह है कि आपको छठा गेंदबाज़ टीम में लाना है। अगर आप अमनजोत कौर को टीम में लाएंगे तो उन्हें एक विशेषज्ञ बल्लेबाज़ के स्थान पर लाना होगा। लेकिन जेमि (जेमिमा रोड्रिग्स) ने न्यूज़ीलैंड मैच में दिखाया कि वह लय में हैं। इसके बाद हरलीन देओल हैं। ऐसे में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ इतने बड़े मैच में कौन सी रणनीति सही होगी ?

अगर आप सही तरीक़े से चलते हैं, तो भारत को उसी संयोजन पर टिके रहना चाहिए जिसे वे अपनी ताक़त महसूस करते हैं। कभी-कभी, मनोवैज्ञानिक पहलू भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। आप जिस XI के साथ उतर रही हैं, उसके साथ आपको आत्मविश्वास महसूस करने की ज़रूरत है। भले ही दुनिया संयोजन के बारे में कुछ भी सोचे।

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मिताली : ऑस्ट्रेलियाई टीम अब उतनी ताक़तवर नहीं रही

क्या आपको लगता है कि जब ऑस्ट्रेलिया की टीम आपके सामने होती है तो यह फ़ैसला लेना और कठिन हो जाता है? अगर प्रतिद्वंद्वी कोई और होता, तो शायद आप तब भी कहतीं, "ठीक है, हम एक बल्लेबाज़ कम होने का जोखिम ले सकते हैं", लेकिन क्या आपको लगता है कि भारत बल्लेबाज़ी के अतिरिक्त सहारे के साथ उतरेगा, क्योंकि इससे उन्हें जीतने बेहतर मौक़ा मिलता है?

इस पूरे साल जब भी उन्होंने 300 का स्कोर बनाया है, वे हमेशा एक अतिरिक्त बल्लेबाज़ के साथ गए हैं। ऐसा इसलिए है, क्योंकि बल्लेबाज़ों को लगता है कि लगता है कि अभी भी काफ़ी बल्लेबाज़ी बची है। मान लीजिए, आपको स्मृति के (मांधना) या प्रतिका के रूप में शुरुआती विकेट मिलता है, तो आपको पता होता है कि आपके पास अभी भी बल्लेबाज़ हैं। मुझे लगता है कि इंग्लैंड के ख़िलाफ़ भी कुछ ऐसा ही था। हमने एक तरह से उस मैच को अपने हाथों से जाने दिया और लक्ष्य [289] का पीछा नहीं कर पाए। लेकिन वह सबसे अच्छा संयोजन था।

आप मैच के दौरान ऑस्ट्रेलिया पर दबाव कैसे डालती हैं?

मुझे लगता है कि ऑस्ट्रेलिया पर हमारे सलामी बल्लेबाज़ों का दबाव पड़ेगा। अगर हमारे सलामी बल्लेबाज़ अच्छी शुरुआत देते हैं, अगर स्मृति लय में रहती हैं तो भारत को उसका फ़ायदा मिल सकता है। उनकी बल्लेबाज़ी के आस-पास ही भारतीय बल्लेबाज़ी क्रम घूमती है। जैसा कि वनडे द्विपक्षीय सीरीज़ के तीसरे मैच में हुआ था। उस मैच में भारत 400 से ज़्यादा रनों का पीछा कर रहा था। तब भी वही देखने को मिला था। साथ ही अगर ऑस्ट्रेलिया की बात करें तो, जब भी नॉकआउट मैच होता है, तो वे हमेशा बोर्ड पर रन बनाना पसंद करते हैं और दूसरी टीम पर दबाव वापस डालते हैं।

क्या आपको लगता है कि भारत के पास अब जो युवा गेंदबाज़ों का समूह है, जैसे क्रांति, श्री चरानी, उनमें उतना दबाव नहीं है जितना कि हमारे उन सीनियर खिलाड़ियों में होता है? क्या यह एक अच्छी बात है या कभी-कभी आपको लगता है, "हमें सेमीफ़ाइनल में अनुभव की ज़रूरत है।" आप एक इतनी अनुभवी ऑस्ट्रेलियाई टीम के मुक़ाबले भारत की इस अनुभवहीनता को कैसे देखती हैं? क्या यह एक फ़ायदा हो सकता है?

यह एक फ़ायदा हो सकता है क्योंकि एक चीज़ जो आप एक खिलाड़ी के रूप में नहीं चाहते हैं, वह यह है कि आप इस अवसर से अभिभूत हो जाएं। आप अपने घरेलू दर्शकों के सामने सेमीफ़ाइनल खेल रहे हैं तो उसके दबाव में नहीं आना चाहते। ऐसे में आप उस हिसाब से प्रदर्शन नहीं कर पाते। इसलिए मुझे लगता है कि यह एक फ़ायदा है कि उस अनुभव का कोई बंधन नहीं है। अगर दबाव हो तो टीम के अनुभवी खिलाड़ियों पर बहुत अधिक बोझ आ जाता है। दीप्ति शर्मा, स्नेह राणा और रेणुका ठाकुर के पास विश्व कप खेलने का अनुभव है। अगर टीम दबाव में आए तो उन पर अधिक जिम्मेदारी होगी।

क्या ऑस्ट्रेलिया हाल के वर्षों के कई अन्य ICC टूर्नाेमेंट की तुलना में कम मज़बूत या कम अजेय है?

कम अजेय कहना सही होगा। इस टूर्नामेंट में ही हमने कुछ मैच देखे हैं जहां उनके मध्यक्रम की परीक्षा ली गई थी। हालांकि उनकी बल्लेबाज़ी में गहराई है। आप जानते हैं कि शीर्ष क्रम को सस्ते में निपटाया जा सकता है। आप इन्हें कम स्कोर पर रोक सकते हैं। जिन टीमों के पास गुणवत्ता वाले गेंदबाज़ हैं, जिन्हें अच्छी फ़ील्डिंग से समर्थन मिला है, वे ऑस्ट्रेलिया पर दबाव बनाने में सक्षम रहे हैं।

अब उस बिंदु पर आते हैं जो आपने थोड़ी देर पहले दूसरे तरीक़े से कहा था। भारत ने अन्य सेमीफ़ाइनलिस्ट टीमों में से किसी को भी नहीं हराया है। यह टूर्नामेंट उतार-चढ़ाव भरा रहा है। दूसरी ओर ऑस्ट्रेलिया ने साउथ अफ़्रीका को हराया और प्वाइंट टेबल में शीर्ष पर रहा। उन्होंने इंग्लैंड को आसानी से हराया। ऐसे में ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी वर्तमान में भारत को कैसे देखते हैं? क्या ऑस्ट्रेलिया को ऐसा लगता होगा कि भारत अन्य टीमों की तुलना में ज़्यादा मुश्किल विपक्षी टीम है ?

संभवतः, हाँ… क्योंकि वे जानते हैं कि भारत के पास ऐसे खिलाड़ी हैं जो मैच को उनसे दूर ले जा सकते हैं। उनके लिए पहली बाधा हमारे ओपनर होंगे। जब भी भारत ने 300 का स्कोर बनाया है, उसमें सलामी बल्लेबाज़ों की अहम भूमिका रही है। इसलिए वे उन्हें जल्दी आउट करने की कोशिश करेंगे। यह संभवतः ऑस्ट्रेलियाई टीम की सबसे बड़ी योजना होगी।

क्या भारत पहले बल्लेबाज़ी करना चाहेगा ? क्या वे इस तरह से सोचना चाहेंगे कि पहले बल्लेबाज़ी करते हुए, 300-330 तक पहुंचें।

यह दोनों टीमों के लिए एक बड़ा मैच है। ऑस्ट्रेलिया भी उसी तरह से खेलता है। महत्वपूर्ण मैचों में वे आमतौर पर ज़्यादा रन बनाना पसंद करते हैं। लक्ष्य का पीछा करने का दबाव नहीं लेते हैं। भारत यही सोचेगा कि अच्छा स्कोर बनाया जाए और अगर आप एक अतिरिक्त बल्लेबाज़ के साथ जा रहे हैं, तो यही सही तरीक़ा होगा।

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मिताली : ऑस्ट्रेलियाई टीम अब उतनी ताक़तवर नहीं रही

कप्तान हरमनप्रीत कौर के लिए यह कितना बड़ा मैच है? गेंदबाज़ी में बदलाव से लेकर फ़ील्ड सेट करने तक, उनके फ़ैसलों की भूमिका कैसी होगी ? भारत ने फ़ील्ड में काफ़ी अच्छे मानक स्थापित किए हैं, लेकिन फिर अचानक जब ऑस्ट्रेलिया प्रतिद्वंद्वी के रूप में आता है तो कैच छूट जाते हैं, भारतीय बल्लेबाज़ दबाव में रन-आउट होते हैं।

ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ आपको अपना सर्वश्रेष्ठ देना ही पड़ता है। जब हम सेमीफ़ाइनल की बात करते हैं, तो मुझे लगता है कि उम्मीदें ऑस्ट्रेलिया पर बहुत ज़्यादा हैं, क्योंकि वे (पिछले साल) T20 विश्व कप में नहीं जीत पाए थे। इसलिए वे इसकी भरपाई करना चाहेंगे। हर कोई जानता है कि ऑस्ट्रेलिया सबसे मज़बूत टीम है। इसलिए वे उस प्रतिष्ठा को साथ रखते हैं।

यह मत सोचिए कि, "ठीक है, हम घर पर खेल रहे हैं", बस ऐसे अप्रोच करें जैसे आप इंग्लैंड में खेल रहे हैं या आप ऑस्ट्रेलिया में खेल रहे हैं। आपके पास खोने के लिए कुछ नहीं है। आप बस मैदान पर जाएं और अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करें। ऑस्ट्रेलिया के पास खोने के लिए बहुत कुछ है।

इस टीम के लिए कोई एक सलाह

मैं बस उन्हें बताऊंगी कि आप सेमीफ़ाइनल में पहुंच गए हैं। ख़ुद पर बहुत ज़्यादा दबाव न डालें। अगर आप अच्छा खेलते हैं, तो आप क्वालीफ़ाई करेंगे। आप फ़ाइनल खेलना चाहते हैं, हर कोई चाहता है। लेकिन आज वह दिन है जब आपको अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना है। न केवल आपका कौशल, बल्कि आपकी मानसिक तैयारी भी अच्छी होनी चाहिए।

मैच के दौरान कुछ चीज़ें हमारे पक्ष में होंगी, कुछ नहीं होंगी। लेकिन अगर आप वर्तमान में हैं, तो सर्वश्रेष्ठ टीम के ख़िलाफ़ खेल की जागरूकता महत्वपूर्ण है। खेल आपको ऐसे क्षण देता है जहां आप मोमेंटम को अपनी ओर मोड़ सकते हैं। अगर आप जागरूक नहीं हैं, तो आप उसे जाने देते हैं। ऑस्ट्रेलिया इस मामले में बहुत अच्छा है। इसलिए अगर आप ऑस्ट्रेलिया को हराना चाहते हैं, तो आपको उन क्षणों को पहचानना होगा।

आपका अनुमान क्या कहता है?

मुझे लगता है मैच काफ़ी क़रीबी होगा।

और जीतने का मौक़ा?

ऑस्ट्रेलिया 60, भारत 40।

*यह इंटरव्यू उस समय हुआ जब प्रतीका रावल को टखने की चोट के कारण टूर्नामेंट से बाहर नहीं किया गया था।

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