हार्मर के जाल को तोड़ना पंत की सबसे बड़ी चुनौती
कप्तान के तौर पर मैदान में उतरना कभी आसान नहीं होता है। गुवाहाटी में होने वाले दूसरे टेस्ट में ऋषभ पंत के लिए यह जिम्मेदारी और भी पेचीदा होगी। शनिवार को वे भारत के 38वें टेस्ट कप्तान बनेंगे। शुभमन गिल चोट के कारण टीम में नहीं है। इस तरह से टीम के पास नंबर चार का दिग्गज बल्लेबाज़ भी बाहर है। पेचीदा स्थिति सिर्फ़ यहीं नहीं रूकती। साउथ अफ़्रीका के ख़िलाफ़ हो रही श्रृंखला में 0-1 से पीछे है। ऐसे में भारत के पास सिर्फ़ सीरीज़ ड्रॉ करने का ही मौक़ा है।
क़रीब एक साल पहले तक भारत बारह साल में कोई घरेलू टेस्ट श्रृंखला न हारने वाली टीम थी। लेकिन अब तस्वीर बदल चुकी है। पिछले साल भारत को न्यूज़ीलैंड से 0-3 की हार मिल चुकी थी और साउथ अफ़्रीका के ख़िलाफ़ भी सीरीज़ हार का ख़तरा मंडरा रहा है।
गुवाहाटी में यह पहला टेस्ट है और परिस्थितियों को लेकर भी साफ़ तस्वीर नहीं मिल रही है। भौगोलिक स्थिति के कारण मैच की शुरुआत सामान्य समय से पहले होगी और जल्दी सूरज ढलने का असर भी बना रहेगा। इन परिस्थितियों को समझते हुए लिए गए फै़सले मैच पर गहरा असर डाल सकते हैं।
संक्षेप में कहें तो पंत के सामने सोचने के लिए बहुत कुछ है। या एक विकल्प यह भी है कि वह ज़्यादा कुछ सोचने से बचना चाहेंगे।
मैच के पूर्व संध्या प्रेस कांफ़्रेंसमें पंत ने कहा, "इस स्तर पर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में आप हमेशा दबाव में रहते हैं। सीरीज़ में आप 0-1 से पीछे भी हो सकते हैं। लेकिन बतौर टीम हम हर बार नतीजे में उलझना नहीं चाहते। हमें साफ़ सोच के साथ मैदान पर उतरना है। चाहे हम आगे हों या पीछे हों, मैदान में उतरते हुए हमें अपना दो सौ प्रतिशत देना ही होगा।"
उन्होंने आगे कहा, "अनावश्यक दबाव लेकर खेलने की जरूरत नहीं होती है। खेल को सरल रखिए। मैदान में जाइए और अपनी पूरी कोशिश कीजिए। आख़िर में वही टीम जीतती है जो बेहतर क्रिकेट खेलती है।"
कप्तान के रूप में अपनी पहली प्रेस कांफ़्रेंस में पंत की यही मुख्य सोच थी कि दबाव मत लो। कंट्रोल में रहने वाली चीज़ों पर ध्यान दो।
पंत जानते हैं कि नियंत्रण में रहने वाली चीज़ें भी हर वक़्त नियंत्रण में नहीं रहतीं। कोलकाता टेस्ट के तीसरे दिन की सुबह उन्होंने रवींद्र जाडेजा और अक्षर पटेल को एक साथ गेंदबाज़ी पर लगाया था। उनसे पूछा गया कि क्या जसप्रीत बुमराह के साथ शुरू करना बेहतर होता।
उस मैच में तीसरे दिन सुबह भारत विकेट के लिए तरसता रहा। लेकिन तेम्बा बवूमा और कॉर्बिन बॉश ने आठवें विकेट के लिए मैच बदल देने वाली साझेदारी कर दी।
पंत ने कहा, "टीम के तौर पर काफ़ी बात हुई और हमें लगा कि स्पिनर से शुरुआत करना सही रहेगा। आप हमेशा सोच सकते हैं कि तेज़ गेंदबाज़ लाए जाते तो क्या होता। ख़ासकर जब बाद में कोई विकेट मिलता है। लेकिन कप्तान होने की यही चुनौती है। हर दिन आपको सवाल झेलने पड़ते हैं, लेकिन अंत में वही करना होता है जो उस समय आपको सही लगे। और भरोसा रखना होता है कि जिसके हाथ में गेंद है, वह टीम के लिए काम करेगा।"
जैसे-जैसे बवूमा और बॉश की साझेदारी बढ़ती रही, भारतीय फैंस के मन में दो तरह के ख्याल आ रहे होंगे। उन्हें यह भी लग सकता था कि पंत ने अक्षर को बहुत देर तक गेंदबाज़ी करा दी और यह भी कि वे गेंदबाज़ों को बहुत जल्दी बदल भी रहे थे। टेस्ट कप्तानी का यही द्वंद है। समय बहुत होता है, लेकिन वही समय पलक झपकते निकल भी जाता है।
पंत ने कहा, "लाल गेंद की क्रिकेट में समय ज्यादा होता है इसलिए छोटी-छोटी रणनीतिक चीज़ों को आप सुधार सकते हैं। लेकिन साथ ही भावनाओं पर काबू रखना पड़ता है ताकि खेल आपके हाथ से देर तक न फिसले। दबाव की स्थिति में आप खेल के जितना क़रीब रहेंगे, उतना बेहतर रहेगा।"
पंत का मतलब शायद यह था कि खेल में जितना संभव हो उतना लंबे समय तक बने रहो और फै़सले ऐसे लो जो आपको जीत का मौक़ा दे सकें। बल्लेबाज़ी में वह अक्सर यही करते हैं। जब गेंदबाज़ हावी हों तो जोखिम उठाकर दबाव उलटा डालते हैं और उनकी योजनाओं को बिगाड़ देते हैं।
जब पंत किसी भी गेंदबाज़ के सामने लंबे समय तक बल्लेबाज़ी करते हैं तो आमतौर पर यह साफ़ दिखता है कि उनके मन में एक ठोस योजना है। चाहे वह पारंपरिक हो या कुछ ऐसा जो सिर्फ़ वही सोच सकते हैं और अमल भी कर सकते हैं।
लेकिन कोलकाता में ऑफ़स्पिनर साइमन हार्मर के सामने पंत पहली बार असमंजस में दिखे। न वह हमला कर पा रहे थे न बचाव में आत्मविश्वास दिख रहा था। दो पारियों में उन्होंने 27 और 2 रन बनाए और हार्मर की 23 गेंदों में नौ बार गलत शॉट खेले।
इससे पहले छह टेस्ट में पंत किसी स्पिनर के ख़िलाफ़ नौ या उससे ज़्यादा ग़लत शॉट खेल चुके हैं। हालांकि उन छह मैचों में उन्होंने कम से कम एक अर्धशतक भी बनाया।
एक मैच की संख्याओं से ज़्यादा निष्कर्ष निकालना मुश्किल होता है। ख़ासकर ऐसी पिच पर जहां गेंद हर समय अलग हरकत कर रही थी। लेकिन गुवाहाटी की परिस्थितियों के संकेत बताते हैं कि बल्लेबाज़ी यहां बेहतर होनी चाहिए। यदि ऐसा होता है तो कोई गेंदबाज़ कोलकाता की तरह अजेय नहीं दिखेगा।
लेकिन हार्मर की चुनौती सिर्फ़ पिच पर निर्भर नहीं है। वह गति और लेंथ में बेहद सटीक नियंत्रण रखते हैं और अपनी ट्रैजेक्टरी बदलते रहते हैं। वह अच्छी परिस्थितियों में भी मुश्किलें पैदा कर सकते हैं। पंत यह जानते हैं और शायद इसके लिए तैयारी भी कर चुके हैं।
गुवाहाटी में यह एक अहम टकराव बन सकता है। साउथ अफ़्रीका पंत के खेल बदलने की क्षमता से वाकिफ है। कोलकाता में भी उन्होंने केशव महाराज को दस गेंदों में बाइस रन जड़ दिए थे। इसलिए पंत अगर क्रीज़ पर आते हैं तो हार्मर को गेंदबाज़ी पर लाया जाएगा।
पंत उनकी गेंदबाज़ी को कैसे संभालते हैं और उनके साथी बल्लेबाज़ उन्हें कितना सहयोग देते हैं, इसका असर गुवाहाटी टेस्ट पर दूर तक पड़ सकता है। यह कप्तानी के दौरान लिए गए फ़ैसले से भी ज़्यादा महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।