पांच विकेट लेने के बाद जसप्रीत बुमराह • Getty Images
भारत 278 और 52/1 (राहुल 26, रोहित 12 *) को इंग्लैंड 183 और 303 (रूट 109, करन 32, बुमराह 5-64, ठाकुर 2-37) को हराने के लिए 157 रन की जरूरत
जो रूट और जसप्रीत बुमराह ने ट्रेंट ब्रिज टेस्ट को रोमांचक बना दिया है। पहली पारी में 95 रनों से पिछड़ने के बाद इंग्लैंड ने रूट के 21वें शतक के दम पर वापसी की। लेकिन जैसे ही मैच भारत की पकड़ से बाहर हो रहा था, बुमराह ने पांच विकेट लेकर भारत को फिर से मैच में वापसी करा दी। इंग्लैंड ने भारत के लिए 209 रन का लक्ष्य रखा। दिन के अंत तक भारत ने सिर्फ 65 मिनट में ही 52 रन बना लिया है और उसके 9 विकेट शेष हैं।
दिन की शुरुआत में 70 रन से पीछे चल रहे इंग्लैंड के सभी विकेट शेष थे। लेकिन ऐसा माना जा रहा था कि उनकी अपेक्षाकृत युवा व अनुभवहीन बैटिंग यूनिट को सिर्फ बारिश या रूट ही बचा सकते हैं। हालांकि आज बारिश पूरे दिन नहीं आई, लेकिन रूट ने यह सुनिश्चित किया कि चौथी पारी में भारत को देने के लिए इंग्लैंड के पास पर्याप्त रन हो। हालांकि नई गेंद मिलने पर फिर से डॉम सिबली, डैन लॉरेंस और जॉस बटलर ने अपने विकेट उपहार में दिए और भारत को फिर से मुकाबले में वापस ला दिया।
हालांकि भारतीय टीम ने सुबह में भी शानदार गेंदबाज़ी की, जिसकी वजह से रूट को क्रीज पर आना पड़ा। मोहम्मद सिराज ने बाएं हाथ के बल्लेबाज़ों पर अपनी बढ़त बनाए रखी और रोरी बर्न्स को एक बाहर निकलती गेंद से आउट किया। इसके बाद बुमराह ने ज़ैक क्रॉली का बाहरी किनारा निकलवाया और भारत को दूसरी सफलता दिलाई। भारत ने पहले आधे घंटे में ही दो विकेट ले लिए थे, जबकि इंग्लैंड अभी भी 49 रन से पीछे था।
रूट जल्द से जल्द भारत के बढ़त को खत्म करने के इरादे से उतरे थे। उन्होंने तीसरी गेंद पर ही कवर ड्राइव लगाकर इसका सबूत दिया। रूट ने पहली 18 गेंदों पर चार चौके लगाए, जिनमें से एक बाहरी किनारा लेकर गई थी। उस समय तक बुमराह दिन का पहला स्पेल कर चुके थे। मोहम्मद शमी अच्छे रंग में नहीं थे और नियमित अंतराल पर ओवरपिच गेंद फेंक रहे थे। इसके बाद आए शार्दुल ठाकुर को रूट ने भुनाने का फैसला किया।
दिन के खेल में एक दौर ऐसा भी आया जब रूट ने दो लेट-कट, एक स्लॉग-स्वीप, एक हुक और एक रैंप खेला, लेकिन इन पर एक भी रन नहीं बने। लेकिन जब यह दौर समाप्त हुआ, तब ऐसा लग रहा था कि वह एक फ्लैट विकेट पर बल्लेबाज़ी कर रहे हैं, ना कि उस टेस्ट में जहां किसी बल्लेबाज़ ने शतक नहीं बनाया था। हालांकि इसमें भी कोई शक नहीं कि दिन में बल्लेबाज़ी के लिए हालात कुछ आसान हो गए थे।
दोपहर के भोजन तक डॉम सिबली 132 गेंदों पर 28 रन बनाकर खेल रहे थे। लेकिन बुमराह की एक शॉर्ट लेकिन अंदर आती गेंद पर उन्होंने ड्राइव करने का फैसला किया, जो बल्ले का अंदरूनी किनारा लेकर ऋषभ पंत के सुरक्षित दस्तानों में समा गई। रूट और सिबली ने 40 रन पर 3 विकेट गिरने के बाद प्रभावशाली तरीके से 89 रन जोड़े और इंग्लैंड को मैच में बनाए रखा था।
सिबली के आउट होने के बाद जॉनी बेयरस्टो ने रन बनाने की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ली। नए बल्लेबाज़ को भारतीय गेंदबाज़ो से भी उपहार स्वरूप ओवरपिच गेंदें मिलीं, जिन्हें उन्होंने बाउंड्री पार पहुंचाने में कोई गलती नहीं की। वास्तव में, हर नए बल्लेबाज़ भारत ने कमजोर गेंदबाज़ी की। बेयरेस्टो के आने के बाद रूट थोड़े रक्षात्मक हो गए और एक-दो रनों के साथ अपनी पारी को आगे बढ़ाया, जबकि बेयरस्टो आक्रामक ढंग से खेल रहे थे। लंच के बाद बुमराह का पहला स्पेल उतना प्रभावी नहीं रहा। इस समय नई गेंद भी दूर थी और भारत शमी या ठाकुर के पास भी गेंदबाज़ी के लिए नहीं जा रहा था। यह इंग्लैंड के लिए मैच में दबाव बनाने का एक बेहतरीन मौका था।
बेयरस्टो ने 32 गेंदों में चार चौके लगाए। सिराज की एक शॉर्ट गेंद पर वह पांचवे चौके के लिए गए, लेकिन यह फ्लैट पुल डीप स्क्वेयर लेग पर खड़े वह रवींद्र जाडेजा को पार नहीं कर सका। हालांकि यह एक सटीक और ऊंचा बॉउंसर भी नहीं था और ना ही इसके लिए भारतीय टीम ने कोई योजना बनाई थी।
इसके बाद लॉरेंस और बटलर ने रूट को निराश किया। हालांकि रन अभी भी आसानी से आ रहे थे। दोनों को अच्छी शुरूआत भी मिल गई थी। इन दोनों ने 54 गेंदों में सात चौके लगाए। लॉरेंस ने अब तक संघर्ष कर रहे शार्दुल ठाकुर की रिवर्स होती गेंद को ड्राइव करने के लिए अपना फ्रंट फुट आगे बढ़ाया, लेकिन गेंद उनके पैर पर ही आकर लग गई और वह पगबाधा थे। इसके बाद बटलर अपना स्टंप कवर किए बिना ही गेंद को छोड़ रहे थे और गेंद उनके ऑफ स्टंप को चूमते हुए चली गई। यह टेस्ट क्रिकेट में छठीं बार था, जब वह गेंद को छोड़ने के चक्कर में आउट हुए। वह भी तब जब कुछ ही मिनट पहले वह एक रिवर्स होती गेंद पर ऐसा ही करते हुए एक करीबी एलबीडब्ल्यू अपील से बचे थे।
इंग्लैंड के अब छह विकेट गिर गए थे और वह केवल 142 रन से आगे था। नई गेंद 10 ओवर दूर थी और भारत अभी भी एक बेहतरीन स्पेल के लिए संघर्ष कर रहा था। इन 10 ओवरों का रूट और सैम करन ने पूरा फायदा उठाया। रूट ने अपना शतक पूरा किया, उस वक्त इंग्लैंड 177 रन पर पहुंच गया था। नई गेंद उपलब्ध होते ही भारत ने उसे ले लिया। यह मैच का एक बहुत महत्वपूर्ण मोड़ था। नई गेंद पर भारत को विकेट लेने की सख्त जरूरत थी, नहीं तो इंग्लैंड मैच पर अपनी पकड़ पूरी तरह मजबूत कर सकता था।
नई गेंद के साथ बुमराह ने शुरूआत की और पहले ही ओवर में उन्होंने वह किया जिसके लिए वह जाने जाते हैं। ऑफ साइड से थोड़ी बाहर की लेंथ गेंद पड़ने के बाद अतिरिक्त उछाल लेते हुए हल्का सा अंदर की ओर आई और रूट के बल्ले का किनारा लेते हुए पंत के पास चली गई। यह मैच में भारत की वापसी का पहला लेकिन सबसे मजबूत संकेत था। नई गेंद के साथ पांचवें ओवर में उन्होंने अजीब उछाल और अंदर की ओर आती गेंद से करन को तंग किया, जो कि इस गेंद को पुल करने के चक्कर में मिड-ऑन पर कैच दे बैठे। अगली ही गेंद पर उन्होंने स्टुअर्ट ब्रॉड को एक खूबसूरत इनस्विंगिंग यॉर्कर से बोल्ड कर दिया।
इंग्लैंड के पुछल्ले बल्लेबाज़ भारत को परेशान करने का माद्दा रखते थे, लेकिन शमी ने ऑली रॉबिन्सन को फ्लाइंग स्लिप के हाथों लपकवा कर इंग्लैंड की इस आस को भी खत्म कर दिया। अब भारतीय सलामी जोड़ी के सामने एक चार्ज-अप गेंदबाज़ी यूनिट और जबरदस्त शोर मचा रहे इंग्लिश दर्शकों की चुनौती थी। स्टंप में भी अब बहुत ही कम समय बचा था। मैदान पर घिरे बादलों के बीच बारिश की भी आशंका थी। ऐसे हालात में भारतीय सलामी बल्लेबाज़ों को यह भी नहीं पता था कि वे कितने समय के लिए पिच पर गए हैं। उन्हें बस इतना पता था कि उन्हें अपने ऑफ स्टंप को बचाना है।
केएल राहुल और रोहित शर्मा दूसरी पारी में भी शानदार रंग में दिखें। उन्होंने बाहर जाती गेंदों को छोड़कर गेंदबाजों को परेशान करना शुरू किया। हालांकि ब्रॉड ने एक बेहतरीन गेंद डालकर राहुल की पारी का अंत किया। यह कुछ वैसी ही गेंद थी, जिस पर बुमराह ने क्रॉली और रूट को आउट किया था। इंग्लैंड ने आखिरी 15 मिनट में अपने सभी गेंदबाज़ों को गेंदबाज़ी के लिए लगा दिया, लेकिन कोई भी विकेट नहीं प्राप्त कर सका। इस कड़ी में इंग्लैंड के गेंदबाज़ों ने रन बनाने के भी मौके दिए, जिसे फॉर्म के लिए जूझ रहे पुजारा ने खुले दिल से स्वीकार किया।
दिन के आख़िरी ओवर में रोहित ने रॉबिन्सन के खिलाफ पुल शॉट को दोहराया। लेकिन पहली पारी की तरह उन्होंने गलती नहीं की और इसे जमीन से रखकर खेला। पुजारा ने दिन की आख़िरी गेंद पर चौका लगाकर भारतीय टीम के कल के इरादे को जतला दिया।