इंग्लैंड (बेयरस्टो 106, सिराज 4-66, बुमराह 3-68) और 378 पर 3 (रूट 142*, बेयरस्टो 114*, लीस 56, क्रॉली 46) ने भारत 416 (पंत 146, जाडेजा 104, एंडरसन 5-60) और 245 (पुजारा 66, पंत 57, स्टोक्स 4-33) को सात विकेट से हराया
पिछले तीन टेस्ट में 277, 299 और 296 रनों के लक्ष्य को हासिल करने के बाद इंग्लैंड की टीम एजबेस्टन पहुंची थी। मंगलवार को लगातार चौथी बार उन्होंने एक बड़े लक्ष्य का पीछा कर के दिखाया।
जो रूट और
जॉनी बेयरस्टो के नाबाद शतकों की बदौलत इंग्लैंड ने अपना टेस्ट क्रिकेट का सबसे बड़ा लक्ष्य हासिल करके रिकॉर्ड बना दिया।
रूट ने रिवर्स स्वीप लगाकर इंग्लैंड को जीत दिलाई। रूट ने शार्दुल ठाकुर पर रिवर्स लैप लगाकर छक्का लगाया, जो मैच के अंतिम ओवरों में लगाया गया था। इंग्लैंड ने आख़िरी के 46 रन मात्र 34 गेंद में ही बना डाले, जिससे इस टीम की आक्रामकता का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
भले ही फ्लैट पिच हो या फ्लैट ड्यूक बॉल की कहानी, इंग्लैंड ने यह लक्ष्य दुनिया के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज़ी आक्रमण में से एक के ख़िलाफ़ हासिल किया है। वह तेज़ गेंदबाज़ी आक्रमण जिसकी वजह से भारत पिछले साल 2-1 की बढ़त लेकर गया था। यह नए कप्तान
बेन स्टोक्स और नए कोच
ब्रैंडन मक्कलम के लिए बड़ी उपलब्धि है। हालांकि अगर वे अपनी ऐसी आक्रामक शैली से ही टेस्ट क्रिकेट खेलते हैं, तो गेंदबाज़ी के मुफ़ीद परिस्थितियों में उनका असल टेस्ट होगा।
इंग्लैंड को आख़िरी दिन 119 रनों की ज़रूरत थी और भारत को सात विकेट की। इंग्लैंड ने कभी भी इस तेज़ गति से लक्ष्य हासिल नहीं किया था और भारत ने कभी पहली पारी में 400 रन बनाने के बावजूद टेस्ट नहीं हारा था। अब वापसी के लिए भारत के पास बस जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद शमी का ही सहारा था।
दिन के दूसरे ही ओवर में गेंद बदली गई, जबकि इंग्लैंड की पारी के पहले 59 ओवर में बनावट ख़राब होने की वजह से दो गेंद बदली जा चुकी थी। ड्यूक गेंद के बदलने पर भारत की थोड़ी सी उम्मीद जग रही थी, लेकिन यह विकेट में तब्दील नहीं हो सकी। बुमराह और शमी ने दोनों बल्लेबाज़ों को बीट किया और एक बार तो रूट के बल्ले से इनसाइड ऐज़ लगा और यह स्टंप्स के बेहद नज़दीक से निकली, लेकिन दोनों ही तेज़ गेंदबाज़ या तो गेंद बहुत बाहर डाल रहे थे या बहुत सीधी गेंद कर रहे थे। शमी की गेंद पर तो दो ओवर के भीतर दो बाउंड्री बाय की भी निकली।
इन ग़लतियों की सजा मिली और यहां तक की अच्छी गेंदों पर भी। बेयरस्टो ने बुमराह की गेंद को मिडविकेट के बगल से बाउंड्री पर भेजा तो रूट बल्ले का मुंह खोलकर लगातार गुड लेंथ गेंदों पर गली में रन बटोर रहे थे।
इसी दिशा में एक कट लगाकर रूट ने अपना टेस्ट क्रिकेट का 28वां शतक पूरा किया। रूट ने मात्र चार ओवरों के अंतराल में चार बाउंड्री लगा दी। एक समय लग रहा था कि रूट जैसे यह लक्ष्य ख़ुद ही हासिल करना चाहते हों। बेयरस्टो, रूट से पहले 90 के स्कोर तक पहुंचे लेकिन जब रूट 135 पर पहुंचे तब भी बेयरस्टो 90 से 100 रनों के बीच ही टिके थे।
कुछ देर बाद बेयरस्टो ने भी इस टेस्ट का दूसरा और पिछले पांच टेस्ट में चौथा टेस्ट शतक लगाया। शतक लगाते ही उन्होंने अगले ओवर में मोहम्मद सिराज की गेंद पर लगातार तीन बाउंड्री लगाई।
सिराज के गेंदबाज़ी आंकड़े 15-0-98-0 रहे। उन्होंने पहली पारी में भी करीब छह रन प्रति ओवर दिए थे लेकिन तब उन्हें चार विकेट मिले थे। वहीं ठाकुर ने दोनों पारियों में 18 ओवर में 113 रन दिए और केवल एक विकेट लिया। यही दो गेंदबाज़ थे जिन्होंने पिछले साल सीरीज़ में इंग्लैंड पर दबाव बनाए रखा था। इन दोनों के साथ जाडेजा को भी दूसरी पारी में निगेटिव लाइन से गेंदबाज़ी करने से फ़ायदा नहीं पहुंचा और यही वजह रही कि बुमराह और शमी अकेले पड़ गए।